UNSC में उत्तर कोरिया पर घमासान, अमेरिका से भिड़े चीन-रूस, किम जोंग को भारत ने लगाई फटकार
साल 2006 में उत्तर कोरिया ने पहली बार परमाणु परीक्षण किया था, जिसके बाद यूएनएससी ने उत्तर कोरिया के खिलाफ कई प्रतिबंध लगा दिए थे।
North Korea News: कोरियाई प्रायद्वीप में उत्तर कोरया की आक्रामकता को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जमकर बहसबाजी हुई है, जिसमें उत्तर कोरिया के एक के बाद एक लगातार मिसाइल प्रक्षेपण को लेकर यूएनएससी में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों से चीन और रूस भिड़ गये। जिसके बाद यूएनएससी दो हिस्सों में बंट गया और फिर यूएनएससी की कार्रवाई रोकनी पड़ी। अमेरिका ने उत्तर कोरिया की आक्रामकता को लेकर गहरी चिंता जताई है और एक दिन पहले तो उत्तर कोरिया ने 180 से ज्यादा फाइटर जेट्स को दक्षिण कोरिया की सीमा के पास भेज दिया था, जिसके बाद कोरियाई प्रायद्वीप मे जंग के हालात बन गये हैं।
अमेरिका ने उत्तर कोरिया को घेरा
यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि, 'उत्तर कोरिया इसल साल 59 बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च कर चुका है, जिसमें 27 अक्टूबर के बाद 13 बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च किए गये हैं। जिसमें से एक मिसाइल ने दक्षिण कोरिया के तट से करीब 50 किलोमीटर दूर अभूतपूर्व प्रभाव दिखाए हैं। इससे ये भी पता चलता है, कि उत्तर कोरिया की सैन्य क्षमता में काफी इजाफा हुआ है, और इसका इस्तेमाल वो पड़ोसियों के बीच तनाव और डर पैदा करने के लिए करना चाहता है।' अमेरिकी दूत ने आगे कहा कि, "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 15 में से 13 सदस्य देशों ने इस साल की शुरूआत से ही उत्तर कोरिया के ऐसे कारनामों की निंदा की है, लेकिन उत्तर कोरिया को लगातार चीन बचाता आ रहा है, जो यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल के प्रतिबंधों का उल्लंघन है और चीन डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ उत्तर कोरिया के पीछे खड़ा है और उसके पक्ष में झुका है'। अमेरिका ने इसके अलावा कहा कि, चीन ने उत्तर कोरिया की मदद करके उत्तर कोरिया को लगातार मिसाइल परीक्षण करने में सक्षम किया है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का मजाक बनाया है।"
अमेरिका पर चीन का पलटवार
यूएनएससी में अमेरिका के वार पर चीन के राजदूत झांग जून ने पलटवार किया और चीनी राजदूत ने कहा कि, उत्तर कोरिया जो बड़े पैमाने पर मिसाइल प्रक्षेपण कर रहा है, वो सीधे तौर पर अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच पांच साल के अंतराल पर किए जा रहे संयुक्त युद्धाभ्यास से जुड़ा हुआ है। इस युद्धाभ्यास में सैकड़ों विमान शामिल हैं। इसके साथ ही चीन ने अमेरिका के डिफेंस डिपार्टमेंट-2022 के न्यूक्लियर पॉस्चर रिव्यू का भी हवाला दिया और कहा कि, अपने इस कार्यक्रम के तहत अमेरिका मानता है, कि उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है और उत्तर कोरिया के शासन को खत्म करना अमेरिका के प्रमुख रणनीतिक लक्ष्यों में से एक लक्ष्य है
अमेरिका पर रूस भी आगबबूला
चीन के बाद यूएनएससी में रूस ने भी अमेरिका पर जमकर पलटवार किए और रूस के उप संयुक्त राष्ट्र राजदूत अन्ना एविस्तिग्नेवा ने साफ तौर पर अमेरिका को घेरते हुए कहा कि, कोरियाई प्रायद्वीप पर अमेरिका अपनी इच्छाओं को थोपना चाहता है और प्रतिबंध, दबाव और ताकत का इस्तेमाल कर उत्तर कोरिया को परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए मजबूर करना चाहता है और कोरियाई प्रायद्वीप की काफी बिगड़ती स्थिति के लिए यही वजहें जिम्मेदार हैं। यूएननएसी में रूस की प्रतिनिधि ने 31 अक्टूबर से अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच शुरू हुए युद्धाभ्यास को अभूतपूर्व कहा और उन्होंने कहा कि, "इस सैन्य अभ्यास में 240 से ज्यादा सैन्य विमानों को शामिल किया गया है, और सैन्य अभ्यास में इतना बड़ा आकार अभूतपूर्व है"। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, "सैन्य अभ्यास में 240 विमानों को शामिल करना अनिवार्य रूप से उत्तर कोरिया पर बड़े पैमाने पर हमला करने का एक पूर्वाभ्यास है"।
यूएनएससी में बहसबाजी
वहीं, अमेरिका के राजदूत थॉमस-ग्रीनफील्ड ने चीन और रूस के दावों का जवाब देते हुए कहा कि, सैन्य अभ्यास कोरियाई प्रायद्वीप पर तनाव पैदा कर रहे थे, "यह उत्तर कोरिया के प्रचार के अलावा और कुछ नहीं है।" उन्होंने कहा कि, ये युद्धाभ्यास लंबे समय से प्रस्तावित था और ये युद्धाभ्यास रक्षात्मक सैन्य अभ्यास के अलावा कुछ भी नहीं था और किसी और के लिए कोई खतरा पैदा नहीं करता था, उत्तर कोरिय की बात ही छोड़ दीजिए।" अमेरिका ने कहा कि, 'जबकि, इसके विपरीत उत्तर कोरिया ने अभी हाल ही में कहा था, कि वो जो लगातार मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है, उसमें नकली परमाणु हथियारों को शामिल किया गया है, जिसका मकसद ये है, कि उत्तर कोरिया अमेरिका और दक्षिण कोरिया के ठिकानों का सफाया करने की अपनी क्षमता की जांच कर रहा है।' अमेरिका ने कहा कि, "उत्तर कोरिया ने अपने गैरकानूनी कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए इसे केवल एक बहाने के रूप में उपयोग कर रहा है।"
उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध
आपको बता दें कि, साल 2006 में उत्तर कोरिया ने पहली बार परमाणु परीक्षण किया था, जिसके बाद यूएनएससी ने उत्तर कोरिया के खिलाफ कई प्रतिबंध लगा दिए थे और आने वाले सालों में उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों पर लगाम लगाने के लिए उसके वित्तपोषण में कटौती के लिए प्रतिबंधों को और कड़ा कर दिया गया। इस साल मई के महीने में अमेरिका ने उत्तर कोरिया के खिलाफ और भी सख्त प्रतिबंधों के लिए प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन चीन और रूस ने अमेरिकी प्रस्ताव को वीटो के जरिए रोक दिया था। ये पहली बार था, जब यूएनएससी में चीन और रूस ने खुलकर उत्तर कोरिया का साथ दिया था और उसके बाद से ये दोनों देश उत्तर कोरिया के साथ लगातार बने हुए हैं। हालांकि, अमेरिका, चीन और रूस एक बात पर सहमत हुए हैं, कि कोरियाई प्रायद्वीप में फैले तनाव वो कम करने के लिए नये सिरे से बातचीत करने और राजनयिक समाधान की आवश्यकता है।
भारत ने भी लगाई फटकार
वहीं, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत कोरियाई प्रायद्वीप में शांति और सुरक्षा के लिए परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए अपने निरंतर समर्थन को दोहराया और भारत ने कहा कि, यह "सामूहिक हित" में है। वहीं, भारत ने उत्तर कोरिया के लेटेस्ट ICBM (इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल) लॉन्च की आलोचना की है और भारत ने "संवाद और कूटनीति" का आह्वान किया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने अपने संबोधन में कहा कि, "हमने डीपीआरके (डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया) द्वारा हाल ही में लॉन्च की गई बैलिस्टिक मिसाइल पर अपनी चिंता व्यक्त की है और अब हमने 2 नवंबर को एक और आईसीबीएम लॉन्च की रिपोर्ट देखी है। ये पिछले महीने लॉन्च हुए थे जिसके बाद (यूएन) सुरक्षा परिषद की बैठक हुई थी।" भारतीय दूत ने कहा कि, "उत्तर कोरिया जो प्रक्षेपण कर रहा है, वो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन है।"
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