भारत के विरोध के बाद ब्रिटेन में 'बुरहान वानी डे' कैंसिल हुआ
बर्मिंघम। बर्मिंघम सिटी काउंसिल ने हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी की बरसी पर होने वाली एक रैली के आयोजन को मंजूरी देने से साफ इनकार कर दिया है। यह कदम भारत की ओर से दर्ज कराए गए विरोध के बाद उठाया गया है। पिछले वर्ष आठ जुलाई को वानी जम्मू कश्मीर के त्राल में हुए एक एनकाउंटर में मारा गया था। उसकी बरसी पर 'बुरहान वानी डे' के तहत एक रैली की योजना थी लेकिन भारत ने इस पर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी।
पहले दी गई थी रैली को मंजूरी
बर्मिंघम सिटी काउंसिल ने शुरुआत में वानी के लिए होने वाली रैली की मंजूरी दी थी। यह रैली शनिवार को विक्टोरिया स्क्वायर पर होने वाली थी। सोशल मीडिया पर इस खास दिन से जुड़ी कई तरही की जानकारियों को शेयर किया जा रहा था। साथ ही रैली से जुड़े कई पोस्टर्स भी आपस में लोगों ने काफी शेयर किए थे। एक पोस्टर में वानी की फोटो लगी हुई थी और इसमें लिखा था, 'हम पूरी ताकत से वह लेंगे जो हमारा है। हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक कश्मीर काफिरों से आजादी नहीं हो जाता और फिर यहां पर इस्लामिक झंडा लहराया जाएगा।' बर्मिंघम सिटी काउंसिल के प्रवक्ता की ओर से इस पर जानकारी दी गई, 'हमनें कश्मीर में जारी मानवाधिकारों के उल्लंघन को सामने लाने वाली एक शांतिपूर्ण रैली की मंजूरी दी थी। लेकिन अब हम उन चिंताओं से वाकिफ हैं जो इस कार्यक्रम से जुड़ी हैं और साथ ही हमें कुछ मैटेरियल भी मिला है। इसके बाद विक्टोरिया स्क्वॉयर पर रैली के लिए दी गई मंजूरी को वापस ले लिया गया है।' वहीं भारत के उप-उच्चायुक्त दिनेश पटनायक की ओर से कहा गया है कि वह इस खबर से काफी खुश हैं। पटनायक के ऑफिस से ही ब्रिटिश विदेश कार्यालय को सोमवार को एक चिट्ठी भेजी गई थी।
30 वर्षों तक ब्रिटेन ने झेला आतंकवाद
यूनाइटेड किंगडम (यूके) पिछले कई वर्षों से आतंकवाद का सामना करने को मजबूर है। यहां पर सन् 1970 की शुरुआत से आतंकवाद ने अपने पैर फैलाने शुरू किए थे और करीब 30 वर्षों तक इसने आतंकवाद को झेला। यहां पर आयरिश रिपब्लिकन आर्मी (आईआरए) संगठन ने कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया। बर्मिंघम के एक पब में साल 1974 में बमबारी हुई और इसमें 21 लोगों की मौत हो गई थी। इस आतंकी हमले को आज तक सबसे खतरनाक आतंकी हमला माना जाता है। वर्ष 1996 में आईआए ने मैनचेस्टर के शॉपिंग सेंटर में 1500 किलोग्राम का एक बम फेंका था। इस हमले में 200 लेगों की मौत हो गई थी। वहीं मैनचेस्टर में हुआ आतंकी हमले ने भी 23 लोगों की जान ले ली थी। वहीं करीब एक दशक से भी ज्यादा समय से यहां पर इस्लामिक आतंकवाद अपने पैर पसारे हुए है। सात जुलाई 2005 में यहां पर आतंकी हमला हुआ और इसमें 52 लोगों की मौत हो गई थी। इस हमले के पीछे अल कायदा का हाथ था। 2005 के बाद से ब्रिटिश सरकार की ओर से हर बार लोगों को आतंकी हमलों के लिए अलर्ट रहने की सलाह दी जाती है।