तुर्की बना NATO का सिरदर्द,एर्दोगन के इस कदम से फ्लॉप हो जाएगा अमेरिका का बड़ा प्लान, टेंशन में यूरोप
तुर्की के राष्ट्रपति रैसप तैयप इर्दोगन ने रूस के राष्ट्रपति से इस परमाणु केंद्र के आसपास हो रहे हमलों को रुकवाने के लिए रूस और यूक्रेन के बीच बातची में मध्यस्था निभाने का सुझाव दिया है।
साइप्रस, 5 सितंबर : रूस और यूक्रेन के बीच सात महीनों से जंग जारी है। इस बीच तुर्की एक बार फिर से अहम जिम्मेदारी उठाना चाहता है। इसको लेकर उसने अपनी बात मास्को तक पहुंचा दी है। इस बार तुर्की यूरोप के सबसे बड़े परमाणु केंद्र जेपोरिजीया के आसपास अहम भूमिका निभाना चाहता है। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के 6 महीने से अधिक समय हो चुका है। इस जंग के कारण अमेरिका और कई यूरोपीय देशों ने मास्को पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। वहीं, दूसरी तरफ तुर्की ने पिछले छह महीनों में खुद की एक अलग छवि बनाने की कोशिश की है। मसलन, वह रूस और यूक्रेन के बीच एक तटस्थ शक्ति के तौर पर मध्यस्थता की भूमिका में नजर आ रहा है। इससे तुर्की को निर्यात से संबंधित सौदा करने की दिशा में बड़ी सफलता हाथ लगी है। कीव पर मास्को के हमले के बाद से अब वर्तमान में तुर्की अपने बंदरगाह से यूक्रेनी अनाज के निर्यात का रास्ता तलाश रहा था। बता दें कि, राष्ट्रपति एर्दोगन ने बार-बार कहा है कि वह रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों को लागू नहीं करेंगे, जबकि तुर्की एकमात्र नाटो देश है जिसने रूसी विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद नहीं किया है और रूसियों को अपनी नकदी जमा करने के लिए तुर्की के बैंकों के साथ खाते खोलने की अनुमति दी है। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध एक वरदान साबित होता दिख रहा है।
तुर्की के राष्ट्रपति ने क्या कहा, जानें
तुर्की के राष्ट्रपति रैसप तैयप इर्दोगन ने रूस के राष्ट्रपति से इस परमाणु केंद्र के आसपास हो रहे हमलों को रुकवाने के लिए रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत में मध्यस्था निभाने का सुझाव दिया है। आपको बता दें कि इससे पहले इन दोनों देशों के बीच अनाज डील को करवाने में तुर्की की अहम भूमिका रही थी। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने अनाज निर्यात को लेकर यूएन और राष्ट्रपति इर्दोगन से ही बातचीत की थी। इसके बाद ही उन्होंने रूस से इस बारे में बात की थी। आज इस डील के तहत 10 लाख टन से अधिक यूक्रन का अनाज बाहरी दुनिया तक पहुंचाया जा चुका है।
अमेरिका हुआ परेशान
तुर्की के इस कदम से किसी को कोई आश्चर्य नहीं है, क्योंकि इनके पास ईरान और जिहादी समूहों पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन करने का लंबा अनुभव रहा है। वहीं, राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन को यूक्रेन में युद्ध से उत्पन्न अवसरों का फायदा उठाने से पीछे नहीं हटेंगे। इससे तुर्की देश की बदहाली दूर करने में उन्हें काफी मदद मिलेगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्की के पास प्रतिबंधों को खत्म करने में महारत हासिल है। वह इसलिए क्योंकि इससे पहले भी राज्य के स्वामित्व वाले हल्कबैंक के मामले में लगभग 20 बिलियन अमेरिकी डालर के प्रतिबंधित ईरानी फंड को अवैध रूप से स्थानांतरित कर दिया था।
तुर्की के कदम से अमेरिका का प्लान फेल होगा
मैनहट्टन फेडरल कोर्ट में हल्कबैंक को तेहरान में सरकार के लाभ के लिए सोना खरीदने के लिए बैंक में जमा ईरानी ऊर्जा की बिक्री की आय की अनुमति देने और धोखाधड़ी से भोजन और दवा की खरीद के लिए डिज़ाइन किए गए लेनदेन की सुविधा के लिए अभियोग लगाया गया था। राष्ट्रपति एर्दोगन ने बार-बार कहा है कि वह रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों को लागू नहीं करेंगे, जबकि तुर्की एकमात्र नाटो देश है जिसने रूसी विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद नहीं किया है और रूसियों को अपनी नकदी जमा करने के लिए तुर्की के बैंकों के साथ खाते खोलने की अनुमति दी है। जाहिर है, एर्दोगन यूक्रेन में युद्ध को अपने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के अवसर के रूप में देखते हैं और यहां तक कि 21 मार्च को अपनी पार्टी के वफादार लोगों से बात करते हुए इसे स्पष्ट रूप से बताया है। उन्होंने कहा, "यूक्रेन संकट के बीच, हमारा देश वित्त और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में एक उभरता हुआ सितारा बन गया है। ईश्वर की इच्छा से, हम अवसरों का सर्वोत्तम उपयोग करके अपने देश को दुनिया की शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने के अपने वादे को पूरा करेंगे। हम अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते रहेंगे।"
तुर्की ने इनकार किया
अंकारा के अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों को लागू करने से इनकार करने से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ चार रूसी कुलीन वर्गों को तुर्की बंदरगाहों में अपनी सुपर-लक्जरी नौकाओं को डॉक करने के लिए प्रेरित किया गया और इस प्रकार, कम से कम अस्थायी रूप से, सुपररीच में अपनी संपत्ति को फ्रीज करने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों से बचने के लिए प्रेरित किया। बता दें कि, अंकार के अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों को लागू करने से इनकार करने से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ चार कुलीन वर्गो को तुर्की के बंदरगाहों में अपनी सुपर लक्जरी नौकाओं को डॉक करने से नहीं रोका। इतना ही तुर्की के इस कदम से इनके सुपर लक्जरी नौकाओं वाली संपत्ति को फ्रिज करने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को गहरा धक्का लगा। इनमें से दो सुपर नौका 700 मिलियन अमेरिकी डालर का एक्लिप्स और 600 मिलियन अमेरिकी डालर सोलारिस चेल्सी फुटबॉल कल्ब के मालिक रोमन अब्रामोविच के हैं। जबकि "फ्लाइंग फॉक्स" सुपर नौका मास्को के डोमोडेडोवो हवाई अड्डे के अध्यक्ष दिमित्री कमेंशचिक से संबंधित है। 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सुपर नौका "टाइटन" का स्वामित्व अलेक्जेंडर अब्रामोव के पास है, जबकि "रगनार" 85 मिलियन अमेरिकी डॉलर की नौका है, जो पूर्व केजीबी एजेंट व्लादिमीर स्ट्रज़लकोवस्की के पास है।
वाशिंगटन चिंतित है
प्रेस रिपोर्टों के अनुसार, वाशिंगटन चिंतित है क्योंकि तुर्की, उसका नाटो सहयोगी, पश्चिमी प्रतिबंधों को लागू करने के बजाय, रूस के साथ अपने व्यापार संबंधों को लगातार बढ़ा रहा है, जबकि रूसी व्यवसाय प्रतिबंधों और व्यापार प्रतिबंधों से बचने के लिए अंकारा का इस्तेमाल कर रहा है। इतना ही नहीं, इसके अलावा, मास्को तुर्की के पहले परमाणु संयंत्र को 20 बिलियन अमरीकी डालर की लागत से वित्त पोषित कर रहा है, जिसका निर्माण रूसी कंपनियां दक्षिणी तुर्की में स्थित अक्कुयू (Akkuyu) में कर रही है। बता दें कि, राष्ट्रपति एर्दोगन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीत सोची (Sochi) में एक बड़ी बैठक हुई थी। इस बैठक में दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई गई थी। एर्दोगन ने घोषणा की कि तुर्की रूसी गैस के लिए अपने भुगतान का एक हिस्सा रूबल में बदल देगा और उसने रूस के मीर भुगतान प्रणाली के उपयोग को बढ़ाकर मास्को के साथ संबंधों को गहरा करने की योजना बनाई है। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि रूस को तुर्की के निर्यात में पिछले वर्ष की तुलना में डॉलर के संदर्भ में लगभग 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह ऐसे समय में हो रहा है जब कई देशों ने रूस को निर्यात में कटौती की है।इसके अलावा, प्रेस रिपोर्टों के अनुसार, अंकारा, बीच-बीच में कार्य करके, पश्चिमी फर्मों को, प्रतिबंधों से घिरे रूस को निर्यात करने में सहायता करता है।
प्रतिबंधों को दरकिनार नहीं करने की चेतावनी
पिछले महीने ही, यूएस ट्रेजरी ने एक पत्र में तुर्की के सबसे बड़े व्यापारिक समूह TUSIAD को रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों को दरकिनार नहीं करने की चेतावनी दी थी। यूएस ट्रेजरी ने तुर्की को धमकी देते हुए कहा था कि, कोई भी व्यक्ति या संस्थाएं जिन्हें यूएस ने चिन्हित कर प्रतिबंधों के दायरे में लाया है, उसकी सहायता करने से वे खुद को अमेरिकी प्रतिबंध के सूची में शामिल हैं। वहीं, रॉयटर के मुताबिक, नाटो देश तुर्की को अमेरिकी प्रतिबंधों का डर नहीं लगता है इसलिए उसकी चेतावनी को सिरे से खारिज कर दिया है। इस बीच, तुर्की का पर्यटन उद्योग लगभग 2.2 मिलियन रूसी पर्यटकों को आकर्षित करने में कामयाब रहा है, जो विभिन्न प्रतिबंधों और रूसी विमानों के लिए हवाई क्षेत्र के बंद होने के कारण कुछ ही देशों का दौरा कर सकते हैं और तुर्की शायद उनकी पहली पसंद है। बता दें कि, अमेरिकी धमकी के बावजूद रूस से अंताल्या के लिए लगभग 80 दैनिक उड़ानें की जाती हैं। वहीं, तुर्की के इस कदम के बाद रूसी लोग धड़ल्ले से तुर्की में संपत्तियां खरीद रहे हैं और वहां जमकर पैसा लगा रहे हैं। इससे वे तुर्की के खरीदारों की लिस्ट में रूस शीर्ष स्थान पर है।
व्यापार लेनदेन के विस्तार के बारे में बहुत सावधान रहना चाहिए
हालांकि, अर्थशास्त्री बताते हैं कि अंकारा को मास्को के साथ अपने व्यापार लेनदेन के विस्तार के बारे में बहुत सावधान रहना चाहिए, क्योंकि तुर्की का यूरोपीय संघ के साथ व्यापार में 178.6 बिलियन अमरीकी डालर और रूस के साथ केवल 35 बिलियन अमरीकी डालर का व्यापार है। वहीं, राष्ट्रपति एर्दोगन, रूस और यूक्रेन के बीच अनाज के सौदे में अपनी सफलता से उत्साहित हैं। शायद वह यह महसूस करते हैं कि अंकारा पश्चिमी प्रतिबंधों को दरकिनार कर सकता है। इतना ही नहीं, एर्दोगन ने शनिवार को एक कदम आगे बढ़कर राष्ट्रपति पुतिन से कहा, " जैसे उसने अनाज सौदे में किया था ठीक उसी तरह से तुर्की रूस के कब्जे वाले ज़ापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र में एक सूत्रधार की भूमिका निभा सकता है।
दीर्घकालिक प्रभाव को लेकर काफी चिंतित है यूरोपीय देश
24 मार्च को फाइनेंशियल टाइम्स ने बताया था कि, तुर्की के रूस का पक्ष लेने से यूरोपीय देश इसके दीर्घकालिक प्रभाव को लेकर काफी चिंतित है लेकिन वे सार्वजनिक रूप से तुर्की के खिलाफ कुछ भी नहीं बोल पा रहे हैं। वहीं, एर्दोगन के लिए रूस यूक्रेन युद्ध एक वरदान साबित होता दिख रहा है। वह युद्ध और प्रतिबंधों के इस खेल में बीच में से निकलकर जीत की तरफ बढ़ रहे हैं और देश को आर्थिक तौर पर और भी मजबूत करने का काम कर रहे हैं।