कंगाल होने के कगार पर पाकिस्तान का जिगरी दोस्त, संकट से बचाने आया भारत का खास पार्टनर
एक तरफ तुर्की की अर्थव्यवस्था लगातार गिरती जा रही है, तो दूसरी तरफ राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन की जिद उसी अनुपात में बढ़ती जा रही है।
अंकारा, जनवरी 24: पाकिस्तान का जिगरी दोस्त तुर्की इन दिनों भीषण आर्थिक संकट में फंसा हुआ है देश में लगातार वित्तीय अधिकारियों के इस्तीफे हो रहे हैं। लेकिन, देश के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन की जिद में कोई कमी नहीं आई है, जबकि दूसरी तरह तुर्की की मुद्दा लगातार रसातल में जा रही है। तुर्की में स्थिति ये बन चुकी है, कि रोटी के दुकानों के बाहर भारी भीड़ लगी रहती है, पेट्रोल पंपों में तेल नहीं मिलता है और तुर्की के खेतों में बंजरपन फैला हुआ है। ऐसी स्थिति में भारत के खास दोस्त यूएई ने तुर्की की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है।
यूएई करेगा तुर्की की मदद
राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने देश के लोगों से वादा किया था, कि वो तुर्की का सुनहरा अतीत उन्हें लौटाकर देंगे, लेकिन लोगों को ये नहीं पता था, कि तुर्की के 'सुनहरे अतीत' में भीख मांगना लिखा हुआ था। बेहद खराब आर्थिक संकट के बीच तुर्की की मदद के लिए यूएई ने हाथ बढ़ाया है और अब यूएई ने तुर्की से करेंसी स्वैप करने पर तैयार हो गया है। आपको बता दें कि, करेंसी स्वैप का मतलब होता है, डॉलर के बजाए एक दूसरे की मुद्रा में व्यापार करना और यूएई के साथ ये समझौता तुर्की के लिए बहुत बड़ी राहत की बात है, क्योंकि तुर्की के पास विदेशी मुद्रा भंडार बचा ही नहीं है, कि वो दूसरे देशों से अपनी जरूरत का सामान खरीद सके। रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्की और यूएई के केन्द्रीय बैंक स्थानीय मुद्रा में करीब 5 अरब डॉलर के करेंसी स्वैप के लिए तैयार हो गये हैं।
तुर्की को मिलेगा सहारा
तुर्की और यूएई के केन्द्रीय बैंकों के बीच हुए इस करार के बाद भयानक आर्थिक संकट से जूझ रहे तुर्की को काफी मदद मिलेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, करार के बाद दोनों देशों की बैंकों की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि, इस समझौते से द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा और दोनों रिजनल कपटीटर्स के बीच वित्तीय सहयोग और मजबूत होगा।
संबंध सुधारने की कोशिश
आपको बता दें कि, पिछले दिनों यूएई और तुर्की ने आपसी संबंधों को सुधारने के लिए कई कोशिशें की हैं और रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के केन्द्रीय बैंकों के बीच हुआ ये समझौता अभी तीन सालों के लिए किया गया है और जरूरत पड़ने पर समझौते को आगे भी बढ़ाया जा सकता है। आपको बता दें कि, पिछले महीने समाचार एजेंसी रॉइटर्स ने दोनों देशों के बैंकों के बीच इस समझौते के लिए बातचीत चलने की रिपोर्ट दी थी, जिसमें दोनों देशों के अधिकारियों ने जल्द समझौता होने की उम्मीद जताई थी।
दोनों देशों के सौदे को समझिए
सौदे के मुताबिक, दोनों ही देशों के बैंकों ने इस करार को लेकर जो आंकड़े दिए हैं, उसके मुताबिक, तुर्की की मद्रा के हिसाब से देखें, तो ये सौदा 64 अरब लीरा का है, जबकि यूएई की मुद्रा के हिसाब से देखें, तो ये सौदा 18 अरब दिरहम का है। विश्लेषकों का कहना है कि, विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए तुर्की करेंसी स्वैपिंग की तरफ कदम बढ़ा रहा है और इससे पहले तुर्की चीन, कतर और दक्षिण कोरिया के साथ भी करेंसी स्वैप समझौता कर चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण कोरिया के साथ तुर्की ने 23 अरब डॉलर के करेंसी स्वैप समझौता किया है। आपको बता दें कि, विशेषज्ञों का मानना है कि, तुर्की की बदहाल स्थिति के लिए सीधे तौर पर राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन की नीतियां जिम्मेदार हैं और उन्हीं की वजह से एफएटीएफ ने तुर्की को ग्रे लिस्ट में डाल दिया है।
तुर्की में काफी ज्यादा महंगाई
तुर्की में आए दिन महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन किए जा रहे हैं और देश में महंगाई दर बढ़कर 21 फीसदी हो चुकी है। इसके साथ ही तुर्की की मुद्रा लीरा की वैल्यू घटने से जनता को सामान खरीदने के लिए काफी पैसे चुकाने पड़ते हैं, ऐसे में देश के मजबूर न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, ताकि वो रोजमर्रा की जरूरी चीजें खरीद सकें। आपको बता दें कि, राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन पिछले दो दशकों से तुर्की की सत्ता को नियंत्रित कर रहे हैं और पिछले 20 सालों में उन्होंने तुर्की के लोगों को रोटी के लाले कर दिए हैं। साल 2003 से साल 2014 तक रेचेप तैय्यप अर्दोआन देश के प्रधानमंत्री थे और फिर साल 2014 से वो देश के राष्ट्रपति बने हुए हैं। साल 2016 में देश की सेना के एक हिस्से ने उनकी सत्ता की तख्तापलट की कोशिश की थी, लेकिन वो नाकाम हो गई। वहीं, तुर्की में अगला चुनाव साल 2023 में होना है और विश्लेषकों का मानना है कि, अपने खो चुके जनाधार को वापस बनाने के लिए अर्दोआन लगातार मुस्लिम कार्ड खेलते रहते हैं।
राष्ट्रपति अर्दोआन की जिद
एक तरफ तुर्की की अर्थव्यवस्था लगातार गिरती जा रही है, तो दूसरी तरफ राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन की जिद उसी अनुपात में बढ़ती जा रही है। तुर्की की अर्थव्यवस्था रसातल में जा रही है, जबकि अर्दोआन दावा करते हैं, कि वो तुर्की की अर्थव्यवस्था को विश्व की सबसे बड़ी 10 अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना देंगे। नये साल के मौके पर भी अर्दोआन ने देश की जनता से कहा है कि, जल्दी ही तुर्की विश्व की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार होगा। हालांकि, राष्ट्रपति ने दे की खराब मौजूदा अर्थव्यवस्था के लिए बाहरी ताकतों को जिम्मेदार बताया है, जबकि देश के लोग राष्ट्रपति की बातों से इत्तेफाक नहीं रखते हैं और तुर्की के अलग अलग शहरों में प्रदर्शन होना आम बात हो गई है। खासकर राइज शहर, जो अर्दोआन को अपना बेटा मानता है और जहां अर्दोआन का जन्म हुआ था, वहां के लोगों ने भी अर्दोआन के खिलाफ अब प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है और तुर्की के जानकारों का कहना है कि, राष्ट्रपति अब अपनी गद्दी पर गंभीर खतरा महसूस कर रहे हैं, लिहाजा वो अब जमकर मुस्लिम कार्ड खेल रहे हैं।
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