Special Report: ‘तियानक्सिया’ चीन का विस्तारवादी मंत्र और एक शपथ जिसमें पूरी दुनिया पर चीन का अधिपत्य होगा
तियानक्सिया (Tianxia) चीनी इतिहास का मूल मंत्र जिसके तहत पूरी दुनिया पर चीन का शासन होने की बात है और अब कैसे चीन Tianxia को आधार बनाकर आगे बढ़ रहा है।
बीजिंग: चीन में नववर्ष यानि स्प्रिंग फेस्टिवल मनाया जा रहा है। पूरे चीन में उत्साह है और हजारों सालों से चली आ रही इस परंपरा के मूल में ही चीन के विस्तारवाद का मंत्र छिपा हुआ है। उस मंत्र में चीन का एक शपथ है, जिसमें पूरी दुनिया पर चीन का नियंत्रण बताया गया है। उस शपथ में पूरी दुनिया में सिर्फ एक राज्य होने की बात कही गई है और वो राज्य है चीन। यानि, पूरी दुनिया चीन के अधीन होगा और आज जब हम चीन की विस्तारवादी नीति का विश्लेषण करते हैं तो पाते हैं कि चीन अपने शपथ को पूरा करने की तरफ अग्रसर है। आखिर क्या है चीनी मूल मंत्री 'तियानक्सिया' और क्या भविष्य में पूरी दुनिया पर सिर्फ चीन का अधिपत्य होगा...आईये जानते हैं।
चीन का बीज मंत्र 'तियानक्सिया'
चीनी इतिहास करीब 4 हजार या 5 हजार साल का रहा है, वो कभी समान और संप्रभू राज्यों को मान्यता नहीं देती है। जी हां, सबसे चौंकाने वाली बात यही है। चीन की मौलिक अवधारणा ये है कि सिर्फ एक सम्राट होगा, जो चीन का होगा। बाकी दुनिया में जो भी सम्राट होंगे सब चीनी सम्राट के अधीन होंगे। और चीन उसी की तैयारी करता भी दिख रहा है। तियानक्सिया ये शब्द चीन का मूल मंत्र है, जिसका मतलब होता है, स्वर्ग के तहत एकीकृत वैश्विक प्रणाली यानि पूरी दुनिया एक आकाश के नीचे है और सभी लोग वैश्विक सिद्धांत के तहत आपस में जुड़े हुए हैं। यानि, इस चीनी मूल मंत्र से आप समझ सकते हैं कि चीन आखिर चाहता क्या है। चीन, विश्व की अर्थव्यवस्था के लिहाज से नंबर दो पर आ चुका है और वो बहुत जल्द अमेरिका को पीछे छोड़कर नंबर एक की कुर्सी पर बैठने की कोशिश कर रहा है। ताकि वो विश्व की समस्त शक्तियों को अपने अधीन लाया जा सके और अपने मूल मंत्र को पूरा कर सके।
चीन की बीज में ही विस्तारवाद है और इसीलिए आप देख रहे होंगे कि चीन लगातार छोटे छोटे देशों को इतना कर्ज दे रहा है कि वो छोटे देश कभी भी उतने कर्ज की अदायगी चीन को नहीं कर पाएंगे और अंत में वो छोटे छोटे देश चीन की सत्ता के अधीन हो जाएंगे। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है अफ्रीकी महादेश के 50 से ज्यादा छोटे छोटे देश। अफ्रीका महाद्वीप के 50 से ज्यादा छोटे छोटे देशों को चीन ने अरबों डॉलर का कर्ज विकास के नाम पर दे रखा है, जिसे वो देश कभी भी वापस नहीं कर पाएंगे लिहाजा उन छोटे देशों के पास चीनी अधिपत्य स्वीकार करने के अलावा और कोई विकल्प नही होगा। दूसरी तरफ एशिया में अब पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों के पास चीनी अधिपत्य से बाहर निकलने का ऑप्शन खत्म हो चुका है। श्रीलंका और पाकिस्तान को चीन ने अरबों डॉलर का कर्ज दे रखा है और अब ये देश चीन के खिलाफ किसी भी तरह नहीं जा सकते हैं। चीन का ये विस्तारवाद 'तियानक्सिया' मूल मंत्र की वजह से ही माना जाता है।
'तियानक्सिया' का महत्व
चीन में मानना है कि पूरी दुनिया टूटी-फूटी हुई है। तमाम देश एक दूसरे से लड़ने में व्यस्त हैं और दुनिया को राह दिखाने की जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ चीन की है। इसीलिए अगर आप चीन के अखबारों और उनके स्कॉलर्स के लिखे हुए लेख पढ़ेंगे तो उसमें हर देश को ज्ञान और रास्ते दिखाने की कोशिश की जाती है। हर देश को चीन रास्ता दिखाने की बात करता दिखता है मानो वही सबका गुरु है। 'तियानक्सिया' की अवधारणा सभी देशों के लिए सद्भाव और समावेशी दुनिया को परिभाषित करता है। दरअसल, 'तियानक्सिया' एक तरह का साहित्यिक वर्णन है जो पूरी दुनिया को एक भौतिक स्थिति की तरह परिवर्तित करता है मगर मूल रूप से 'तियानक्सिया' एक राजनीतिक अवधारणा ही है जिसमें पूरी दुनिया के नेतृत्व के लिए चीन को कहता है और चीन उसी मंत्र की तरफ आगे बढ़ता दिख रहा है।
शतरंज और वीक्यू
शतरंज और वी क्यू दोनों खेल हैं। शतरंज में अलग अलग खाने होते हैं और उसपर बाजी तय होती है। भारत, चीन के मामले में शतरंज की चाल बिछाता रहता है। लेकिन चीनी वीक्यू पैटर्न का इस्तेमाल करते हैं। ये एक चीनी खेल है, जो गुप्त तरीके से खेला जाता है। मतलब, खाली जगहों पर कब्जा करते रहो। पहले कुछ दिनों के लिए कब्जा करो.. फिर पीछे हटो, फिर कब्जा करो...और धीरे धीरे उस पूरे इलाके को अपना कहना शुरू कर दो। चीन में वी क्यू गेम बहुत खेला जाता है। और अगर आप चीन की विस्तारवादी नीति को ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे की वीक्यू गेम की तरह ही चीन भारत के खिलाफ भी चाल चल रहा है। चीन भारतीय जमीन पर कब्जा करने के लिए वीक्यू गेम का ही इस्तेमाल कर रहा है। लिहाजा, भारत को भी शतरंज की चाल छोड़कर चीन को चीन के अंदाज में ही चुनौती पेश करनी चाहिए।
फिर से आक्रामक चीन
माना जाता है 'तियानक्सिया' अवधारणा को चीन में करीब 3 हजार साल पहले प्रैक्टिस में लाया गया था। Zhou dynasty ने 'तियानक्सिया' अवधारणा को अपनाया था और Zhou dynasty ने सबसे पहली बार पूरी दुनिया पर चीनी अधिपत्य करने का सपना देखा था। Zhou dynasty में कहा गया था कि जो भी चीन के खिलाफ नकारात्मक होंगे उन्हें रास्ते से हटा दिया जाए। लेकिन Zhou dynasty अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाया। आधुनिक चीन के आधे से ज्यादा हिस्से पर जब जापान ने कब्जा कर चीनियों को प्रताड़ित किया तो चीन अपने इस मूल मंत्र को भूल गया मगर कम्यूनिस्ट शासन के साथ लौटते ही माओ जेदांग ने इस सपने को फिर से चीनियों के मन में जिंदा कर दिया। माओ के विरोधी सनयात सेन को इसी चीनी सपने तियानक्सिया की वजह से चीन में सफलता नहीं मिल सकी और अब जबकि चीन विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ताकतवर मूल्क बन चुका है, तो चीन एक बार फिर से अपने इस मंत्र की तरफ आगे बढ़ चला है।
स्प्रिंग फेस्टिवल ऑफ चायना
चीन
में
नववर्ष
को
चंद्रमा
का
नववर्ष
कहते
हैं
और
चीनी
इतिहास
को
जानने
की
कोशिश
करेंगे
तो
पता
चलेगा
चीन
में
देवी-देवताओं
को
काफी
उच्च
स्थान
प्राप्त
रहा
है।
15
दिनों
तक
चलने
वाले
स्प्रिंग
फेस्टिवल
के
आखिरी
दिन
को
'लालटेन
दिवस'
भी
कहते
हैं
और
इसी
स्प्रिंग
फेस्टिवल
में
चीनी
मूलमंत्र
जिसे
चीन
का
बीज
मंत्र
भी
कह
सकते
हैं
'तियानक्सिया'
को
याद
किया
जाता
है
और
उम्मीद
जताई
जाती
है
कि
भविष्य
में
एक
दिन
आएगा
जब
पूरी
दुनिया
चीनी
प्रभुत्व
के
नीचे
होगी।
चीनी
नववर्ष
के
दौरान
कई
ऐसी
परंपराओं
को
निभाया
जाता
है,
जिसे
आप
मिथक
कह
सकते
हैं
मगर
चीन
को
लोग
इन
परंपराओं
को
बेहद
आस्था
के
साथ
मनाते
हैं।
कहा
जाता
है
कि
इन
रीति-रिवाजों
की
बुनियाद
पर
ही
चीन
टिका
हुआ
है।
इस
मौके
पर
कई
देवी-
देवताओं
को
पूजा
जाता
है
और
चीनी
परिवारों
के
मिलन
का
वक्त
होता
है।
हर
साल
पूरा
परिवार
एक
साथ
इकट्ठा
होता
है
और
घर
के
दुर्भाग्य
को
दूर
करने
का
अनुष्ठान
करता
है।
लाल
कागजों
के
साथ
घरों
की
दीवारों
को
सजाया
जाता
है
और
दीवाली
की
तरह
ही
घरों
को
सजाया
जाता
है।
कई
जगहों
पर
पटाखे
भी
छोड़े
जाते
हैं
तो
देवी
देवताओं
से
अच्छा
भाग्य
देने
की
प्रार्थना
की
जाती
है।
साथ
ही
इस
मौके
पर
लाल
लिफाफों
में
लपेटकर
एक
दूसरे
को
पैसे
देने
की
भी
परंपरा
है।
माना
जाता
है
कि
चीन
के
लोग
'तियानक्सिया'
को
नववर्ष
के
मौके
पर
भी
याद
करते
हैं।
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