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हिमयुग में अंतिम बार देखा गया था यह धूमकेतु, जल्द होगा खुली आंखों से दीदार, जानें कब दिखाई देगा

एक धूमकेतु आने वाले हफ्तों में पृथ्वी के बहुत ही करीब से गुजरने वाला है। यह ऐसा धूमकेतु है, जो इससे पहले हिमयुग में ही धरती के इतने नजदीक आया था। पहली बार इंसान इसे खुली आंखों से देख सकेंगे।

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आने वाले कुछ हफ्तों में एक बड़ी खगोलीय घटना होने वाली है। यदि आप अंतरिक्ष, खगोल विज्ञान, सूर्य, चंद्रमा, ग्रह-नक्षत्रों में दिलचस्पी रखते हैं तो तैयार हो जाइए। आप खुली आंखों से एक ऐसे धूमकेतु को देख सकेंगे, जो इस समय हमसे 10 करोड़ मील दूर है। यह पुच्छल तारा हिमयुग में ही पृथ्वी के इतने नजदीक आया था, जितना आने वाले समय में आ रहा है। हालांकि, आपको इसे अपनी आंखों से देखने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में जागना पड़ सकता है। क्योंकि, यह भोर होने से ठीक पहले नजर आने वाला है।

हिमयुग में अंतिम बार देखा गया था यह धूमकेतु

हिमयुग में अंतिम बार देखा गया था यह धूमकेतु

खगोल विज्ञानियों के मुताबिक धूमकेतुओं का अंदाजा लगा पाना बहुत मुश्किल है, लेकिन मौजूदा समय में इसकी चमक की वजह से दूरबीनों के जरिए इनका पता लगा लेना आसान हो गया है। यहां तक कि रात के अंधेरे में खुली आंखों से भी इसे देखा जा सकता है। अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन नासा की ओर से पिछले दिनों जारी एक बयान के मुताबिक C/2022 E3 (ZTF) नाम का एक धूमकेतु जनवरी और फरवरी महीने में नंगी आंखों से देखा जा सकता है। इस पुच्छल तारे की अहमियत ये है कि इससे पहले यह धरती से हिमयुग में ही नजर आया होगा।

1 फरवरी को पृथ्वी के बेहद नजदीक से गुजरेगा

1 फरवरी को पृथ्वी के बेहद नजदीक से गुजरेगा

इस धूमकेतु को खगोल विज्ञानियों द्वारा पहली बार पिछले साल मार्च में देखा गया था। तब यह बृहस्पति की कक्षा के अंदर था। खगोलविदों की ओर से जुटाई गई ताजा जानकारी के मुताबिक 12 जनवरी को यह सूर्य के सबसे नजदीक होगा। इसके बाद 2 फरवरी को यह पृथ्वी के बेहद निकट से गुजर रहा होगा। इस समय यह आकाशीय पिंड हमसे करीब 10 करोड़ मील दूर मौजूद है। न्यूजवीक की रिपोर्ट के मुताबिक यह पुच्छल तारा 1 फरवरी को पृथ्वी से करीब 2.6 करोड़ मील दूर आएगा। यह दूरी भारत और चंद्रमा की औसत दूरी के 109 गुना से ज्यादा है।

इस समय से खुली आंखों से देखा जा सकेगा यह अद्भुत धूमकेतु

इस समय से खुली आंखों से देखा जा सकेगा यह अद्भुत धूमकेतु

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि C/2022 E3 (ZTF) आधे जनवरी के बाद जैसे ही यह पृथ्वी के नजदीक आने लगेगा, बहुत ही अच्छी तरह से खुली आखों से भी देखा जा सकेगा। नासा ने कहा है कि यह धूमकेतु इस समय जनवरी में उत्तरी गोलार्द्ध में सुबह होने से पहले आकाश में दूरबीन या छोटी टेलीस्कोप की सहायता से दिखाई दे रहा है। कहा जाता है कि धूमकेतु प्रत्येक 50,000 वर्षों में सूर्य के चक्कर लगाता है। नासा ने एक पोस्ट में लिखा है, '.....नई लंबी अवधि का यह धूमकेतु काफी चमकीला हो गया है। अभी भोर होने से पहले के आकाश में उत्तरी तारामंडल के कोरोना बोरेलिस को पार कर रहा है......हालांकि, अभी भी यह बिना टेलीस्कोप के देखने में बहुत ही धुंधला है....'

19 दिसंबर को टेलीस्कोप से ली गई तस्वीर

19 दिसंबर को टेलीस्कोप से ली गई तस्वीर

नासा ने हिमयुग के बाद नजर आने वाले इस धूमकेतु के बारे में यह भी बताया है कि '19 दिसंबर को एक बेहतरीन टेलीस्कोप तस्वीर में इसका चमकदार हरे रंग का कोमा, शॉर्ट ब्रॉड डस्ट टेल और लॉन्ग फेंट आयन टेल जो कि 2.5 डिग्री चौड़े दृश्य क्षेत्र में फैली हुई थी, दिखती है।' नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी के प्रेस्टॉन डायसे ने कहा है कि धूमकेतु बहुत ही अप्रत्याशित होते हैं। एक वीडियो में उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा के यदि इसकी 'चमक का मौजूदा ट्रेंड जारी रहता है, इसे दूरबीन से देखना आसान होगा और अंधेरे आसमान में इसे नंगी आंखों से भी देखना संभव हो सकता है। '

27 मार्च, 2020 को भी खोजा गया था एक धूमकेतु

27 मार्च, 2020 को भी खोजा गया था एक धूमकेतु

यदि यह धूमकेतु पर्याप्त चमकदार रहा तो यह 27 मार्च, 2020 को खोजे गए Neowise धूमकेतू के बाद पहला होगा, जिसे खुली आंखों से देखा जा सकता है। Neowise को खगोल वैज्ञानिकों ने वाइड-फील्ड इंफ्रारेड सर्वे एक्सप्लोरर स्पेस टेलीस्कोप से Neowise मिशन के दौरान खोजा था। उसके बारे में प्रेस्टॉन ने कहा है कि 'वह बाहरी सौर प्रणाली से आए एक बर्फीले आगंतुक से व्यक्तिगत संबंध बनाने का अवसर बहुत ही शानदार था। '(तस्वीरें- सांकेतिक)

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धूमकेतु क्या हैं ?

धूमकेतु जमी हुई गैसों, चट्टानों और धूल की बचे हुए जमे हिस्से या कॉस्मिक स्नोबॉल हैं, जो सूर्य के चक्कर लगाते हैं। जब, यह चक्कर काटते हुए सूर्य के निकट पहुंच जाते हैं तो उसकी गर्मी की वजह से गैस और धूल उगलते हैं, जो कि ग्रहों से भी विशाल हो सकते हैं। यही पदार्थ पूंछ का शक्ल अख्तियार करते हैं, जो लाखों मील तक फैले हो सकते हैं।


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English summary
In January-February, a comet will be visible to the naked eye, which had earlier come so close to the Earth during the Ice Age. It will be closest to us on February 1st
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