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मिर्गी के मरीजों पर संगीत के असर का रहस्य

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वॉशिंगटन, 17 सितंबर। यह शोध मिर्गी के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किए गए 16 मरीजों पर किया गया. इन मरीजों पर दवाओं का कोई असर नहीं हो रहा था लेकिन मोजार्ट की एक संगीत रचना का असर हुआ. इससे यह उम्मीद जगी है कि नए गैर आक्रामक तरीकों से इलाज के लिए संगीत का इस्तेमाल किया जा सकता है.

Provided by Deutsche Welle

इस अध्ययन के सह-लेखक रॉबर्ट क्वॉन ने बताया, "हमारा सपना है कि हम एक "मिर्गी विरोधी" संगीत शैली को परिभाषित कर सकें और संगीत के इस्तेमाल से मिर्गी के मरीजों का जीवन और बेहतर बना सकें." "सोनाटा फॉर टू पियानोज" नाम की यह संगीत रचना डी मेजर के448 में है और इसे अनुभूति और दिमाग की दूसरी गतिविधियों पर असर के लिए जाना जाता है.

मिर्गी का इलाज

हालांकि ऐसा कैसे होता है इसे समझने की कोशिश शोधकर्ता आज भी कर रहे हैं. इस नए अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने मरीजों के दिमाग में सेंसर लगा कर इस सोनाटा को बजा कर दिमाग में आईईडी के उत्पन्न होने के बारे में जानने की कोशिश की. आईईडी छोटी लेकिन नुकसानदायक दिमागी गतिविधियां होती हैं जो मिर्गी के मरीजों के दिमाग में दौरे पड़ने के बीच में देखी जाती हैं.

संगीत के दिमाग पर सकारात्मक असर के कई प्रमाण मिल रहे हैं

शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि सोनाटा को 30 सेकंड सुनने के बाद आईईडी कम हो गईं और भावनाओं से संबंधित दिमाग के हिस्से पर महत्वपूर्ण असर पड़ा. फिर जब उन्होंने दिमाग की इस प्रतिक्रिया को सोनाटा के ढांचे से मिलाया तो पाया कि ज्यादा लंबे संगीत के अंशों के बीच परिवर्तन के दौरान यह असर बढ़ जाता था.

इस तरह के परिवर्तन की अवधि 10 सेकंड या उससे ज्यादा की थी. क्वॉन ने बताया यह इस बात का संकेत है कि लंबे अंश दिमाग में एक पूर्वाभास पैदा करते हों और फिर उसका जवाब कुछ ऐसे देते हों जिसका पहले से अंदाजा ना हो. इससे "एक सकारात्मक भावनात्मक प्रतिक्रिया की रचना " होती होगी.

दिमाग पर संगीत का असर

इस तथाकथित "मोजार्ट असर" पर वैज्ञानिक 1993 से शोध कर रहे हैं. उस साल वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि जिन लोगों ने के448 को 10 मिनट के लिए सुना उनकी तर्क करने की क्षमता में सुधार देखा गया. इसके बाद और भी शोध किए गए जिनमें दिमाग की कई गतिविधियों और बीमारियों पर के448 के असर का परीक्षण किया गया. इनमें मिर्गी भी शामिल है.

के448 सोनाटा के कुछ अंश दिमाग को शांत करते हैं

लेकिन इस नए शोध के लेखकों ने दावा किया कि यह पहली बार है जब सोनाटा के ढांचे के आधार पर नतीजों को और बारीकी से देखा गया है. पिछले अध्ययनों की तरह की जब मरीजों को के448 के अलावा दूसरी रचनाएं सुनाई गईं तो उनकी दिमागी गतिविधि में कोई अंतर नहीं देखा गया.

अध्ययन में कहा गया है कि आगे जाकर गौर से चुने हुए दूसरे संगीत अंशों का भी तुलना के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, ताकि इस सोनाटा के चिकित्सा संबंधी अंशों को और बारीकी से समझा जा सके.

सीके/एए (एएफपी)

Source: DW

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English summary
The mystery of the effect of music on epilepsy patients
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