
पृथ्वी से धीरे-धीरे दूर होता जा रहा है चांद, हर साल बढ़ रही है 3.8cm की दूरी, जानिए क्या होगा धरती का भविष्य
Moon is moving away from the Earth:चांद धीरे-धीरे हमसे दूर होता जा रहा है। वैज्ञानिकों ने एक हालिया शोध के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। वैसे यह प्रक्रिया करोड़ों-अरबों वर्षों से चल रही है और खगोलविदों को इसकी भनक भी लगभग 6 दशक पहले लग चुकी थी। लेकिन, अब वैज्ञानिक चांद के दूर होने की गति और इसके प्रभाव का पुख्ता आकलन करने में सफल हुए हैं। सबसे दिलचस्प बात ये है कि खगोलविदों ने पहले जो कुछ भी महससू किया था, उसका रहस्य सुलझाने में ऑस्ट्रेलिया की एक खाड़ी के चट्टानों ने मदद की है।

हर साल करीब 1.5 इंच दूर होता रहा है चांद
हमारा चांद लगातार हमसे दूर होता जा रहा है। खगोलविदों को इसकी भनक पहले से थी, लेकिन इसपर कुछ और शोध और पड़ताल हुए हैं, जिससे इसके दूर होने की गति और पृथ्वीवासियों पर पड़ने वाले प्रभाव की जानकारी जुटाने की कोशिश की गई है। यूएस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक चंद्रमा के हमसे दूर होने की प्रक्रिया अरबों सालों से चल रही है। खगोलविदों के मुताबिक चांद के धरती से दूर होने का दर लगभग उतना ही, जिस दर से हमारे शरीर में नाखून बढ़ते रहते हैं। खगोलविदों के अनुसार चंद्रमा और पृथ्वी की दूरी बढ़ने की गति प्रति साल करीब 1.5 इंच (3.8 सेंटी मीटर) है।

चांद पृथ्वी से आज 3,84,400 किलोमीटर दूर है
हमारे सौर मंडल में अरबों साल से जारी इस खगोलीय प्रक्रिया की वजह से दिन की लंबाई बदल रही है। नए शोध के नतीजे ने इस खगोलीय घटना को लेकर दिलचस्पी बढ़ा दी है। आज चंद्रमा पृथ्वी से 2,38,855 मील या करीब 3,84,400 किलोमीटर दूर है। लेकिन, एक वक्त ऐसा भी था, जब इसकी तुलना में चांद हमसे काफी नजदीक था। करीब 245 करोड़ साल पहले यह हमसे सिर्फ 2,00,000 मील या लगभग 3,21,869 किलोमीटर दूर था। दिलचस्प पहलू ये है कि जैसे-जैसे चांद हमसे दूर होता जा रहा है पूरे दिन की अवधि बढ़ती जा रही है।

245 करोड़ साल पहले पूरे दिन में 16.9 घंटे ही होते थे
245 करोड़ साल पहले जब चांद हमसे ज्यादा नजदीक था, तब दिन में आज के 24 घंटों की तुलना में वास्तव में 16.9 घंटे ही होते थे। यानि जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा पूरे दिन की लंबाई भी बढ़ती जाएगी। लेकिन, इसका पृथ्ववासियों के जीवन पर कोई फर्क पड़े, ऐसा होने में लाखों साल लग जाएंगे। दरअसल, 1969 में नासा के खगोलविदों ने अपोलो मिशन के दौरान चंद्रमा की सतह पर रिफ्लेक्टिव पैनल लगाए थे। तभी उन्हें उसको लेकर कुछ अजीब महसूस हुआ था। लेकिन,द सन की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब जाकर वैज्ञानिकों ने महसूस किया है कि साल-दर-साल एक निश्चित गति से चंद्रमा हमसे दूरी होता चला जा रहा है। (रिफ्लेक्टर की तस्वीर सौजन्य: यूएस टुडे यूट्यूब वीडियो)

चट्टानों ने दिए सौर मंडल में हो रहे बदलाव के संकेत
दरअसल, वैज्ञानिकों ने ऑस्ट्रिलिया की एक घाटी के प्राचीन इतिहास पर शोध किया है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी भाग स्थित करिजिनी नेशनल पार्क के चट्टानों की प्राचीन सतहों की पड़ताल की है। इस शोध के बारे में प्रोफेसर जोशुआ डेविस और रिसर्चर मार्ग्रेट लैंटिंक ने द कंजर्वेशन में लिखा है, 'यह काफी हैरान करने वाला है कि सौर मंडल की पिछली गतिविधियों को प्राचीन चट्टानों की तलछटी में मामूली बदलाओं से तय किया जा सकता है।'

चंद्रमा की उत्पत्ति कैसे हुईे
चंद्रमा पृथ्वी को रहने योग्य बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। रात के समय में यह आसमान में सबसे विशाल चमकता हुआ पिंड होता है। यह हमारी जलवायु को काफी हद तक स्थिर बनाए रखने का भी कारण है, और समुद्रों में ज्वार भी पैदा करता है। करोड़ों-अरबों साल से इसने पृथ्वी के जीवन को लयबद्ध कर रखा है। अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन नासा के अनुसार अरबों साल पहले मंगल ग्रह के आकार का कोई पिंड पृथ्वी से टकराया होगा, जिससे चांद की उत्पत्ति की संभावना है।

चंद्रमा कितना बड़ा है
चंद्रमा का अर्द्ध व्यास करीब 1,740 किलोमीटर है। यानि यह पृथ्वी की चौड़ाई की तिहाई से भी छोटा है। इस समय चंद्रमा और पृथ्वी की औसत दूरी करीब 3,84,400 किलोमीटर है। यानि यह लगभग इतनी ही दूरी है, जिसके बीच में धरती के आकार के 30 ग्रह समा सकते हैं। लेकिन, करोड़ों अरबों साल में यह स्थिति नहीं रहेगी और इसमें छोटे-मोटे ग्रहों के फिट होने की और गुंजाइश बन सकती है!