बालाकोट हमले के बाद मदरसे का पहला आंखों देखा हाल
पाकिस्तानी सेना पत्रकारों को उस मदरसे का दौरा कराने ले गई जिस पर भारतीय वायुसेना ने हमला कर चरमपंथियों के मारे जाने का दावा किया था.
बालाकोट में ये वो जगह है जिसे भारत ने 26 फ़रवरी को अपनी वायुसेना के हमले में तबाह करने का दावा किया था.
भारत ने इसे चरमपंथियों का कैंप बताते हुए कहा था कि इस परिसर पर हमला करके उसने बड़ी संख्या में जैश-ए-मोहम्मद के 'आतंकवादियों' का 'ख़ात्मा' किया है.
पाकिस्तान का कहना था कि इस हवाई हमले में किसी की जान नहीं गई और जिस परिसर पर हमला करने का दावा भारत कर रहा है, वह मदरसा है और उसे कोई नुक़सान नहीं पहुंचा है.
ये जगह पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा राज्य में है.
पाकिस्तान सरकार ने बीबीसी समेत पूरे मीडिया को आश्वस्त किया था कि अगले ही दिन उन्हें घटनास्थल पर ले जाया जाएगा. मगर यह बाद में सरकार अपने वादे से पीछे हट गई थी.
इसके बाद मीडिया प्रतिनिधियों को उस पहाड़ी की चोटी पर भी नहीं जाने दिया गया था, जहां मदरसा स्थित है.
10 अप्रैल, 2019 को यानी हमले के 43 दिन बाद पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद में मौजूद विदेशी मीडिया और कुछ विदेशी राजनयिकों को घटनास्थल का दौरा करवाया.
इनमें बीबीसी संवाददाता उस्मान ज़ाहिद भी मौजूद थे.
बीबीसी संवाददाता ने क्या देखा
जब हमारे संवाददाता ने पाकिस्तान के अधिकारियों से पूछा कि यह दौरा इतनी देरी से क्यों करवाया जा रहा है तो उन्होंने कहा कि हालात इतने अस्थिर थे कि लोगों को यहां लाना बहुत मुश्किल था.
अधिकारियों ने कहा कि अब जाकर उन्हें लगा कि यह मीडिया को यहां लाने का उपयुक्त समय है.
हालांकि, हमारे संवाददाता ने कहा कि यह बात सभी को मालूम है कि इससे पहले प्रशासन ने स्थानीय पत्रकारों और समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक टीम को मौक़े पर जाने से रोक दिया था. मगर पाकिस्तान सरकार अब इस बात से इनकार कर रही है.
मदरसे के बोर्ड पर लिखा था कि मदरसा 27 फ़रवरी से लेकर 14 मार्च तक बंद था.
हमारे संवाददाता ने एक अध्यापक और एक छात्र से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि हमले के बाद आपातकालीन क़दम उठाते हुए इसे बंद किया गया था और यह अब भी बंद है.
हमारे संवाददाता ने उनसे पूछा कि अगर ऐसा है तो इतने सारे छात्र यहां पर क्यो हैं? इस पर उन्होंने कहा कि मदरसा तो बंद ही है, यहां जो छात्र मौजूद हैं वो स्थानीय हैं.
हमारे संवाददाता ने कहा कि उन्हें वहां पर कुछ लोगों से बातचीत करने की इजाज़त दी गई थी मगर जब उन्होंने ऐसा करने की कोशिश की तो उनसे कहा गया- जल्दी करो और बहुत देर तक बात मत करो.
संवाददाता के मुताबिक़ यह काफ़ी स्पष्ट था कि उन पर बंदिशें डाली जा रही थीं और उन्हे सभी से बात नहीं करने दी जा रही थी.