क्यों लंदन का हर हमला आतंकी 'हमजा' और 'फिंसबरी पार्क मस्जिद' की याद दिलाता है
लंदन। लंदन एक बार फिर आतंकी धमाकों का शिकार हुआ है। लंदन के पर्संस ग्रीन रेलवे स्टेशन पर शुक्रवार को हुए धमाकों को पुलिस ने आखिरकार आतंकी घटना की पुष्टी कर दी। यूके की यह राजधानी लंबे समय से चरमपंथियों का शिकार रही है। यूके में लंदन एक ऐसी जगह है जहां आतंकियों ने कई बार इस शहर को अपना निशाना बनाया है।
ब्रिटेन का यह खूबसूरत शहर अगर आज आतंकियों के निशाने पर है तो इसके लिए एक शख्स बार-बार नजर आता है और वो है अबु हमजा। अबु हमजा-अल-मसरी जिसे मुस्तफा कमेल मुस्तफा के नाम से भी जाना जाता है। इजिप्त का रहना वाला हमजा सिविल इंजीनिरिंग की पढ़ाई कर, 1979 में पहली बार यूके आया था। यूके में उसे पहली बार एक बाउंसर के रूप में नौकरी मिली थी और उसके बाद वो 1986 में यूके की सिटीजनशिप लेकर हमेशा के लिए इस ऐतिहासिक देश का नागरिक बन गया।
हमजा ने अफगानिस्तान में छिड़े गृह युद्ध में भी भाग लिया था, उस दौरान उसने अपना एक हाथ और एक आंख को भी खो दिया था। हमजा के टूटे हुए हाथ को हूक (Hook) से जोड़ा गया है, इसी वजह से कई लोग इसे 'हूक हैंड' भी कहते हैं।
हमजा का असली खेल 1997 में शुरू होता है
ब्रिटेन में हमजा का असली खेल शुरू होता है 1997 में, जब वो लंदन के प्रसिद्ध फिंसबरी पार्क मस्जिद का इमाम बना जाता है। ब्रिटेन में इस्लामिक लोग हमजा के भगवान के रूप में देखते हैं। हमजा के बारे में एक और बात यह है कि इस शख्स को पैसों में बिल्कुल भी दिसचस्पी नहीं है, यहां तक कि वो एक इमाम के रूप में भी बहुत ही कम पैसों में काम करता है।
हमजा की अंग्रेजी और अरबी बहुत ही तगड़ी है और इसी वजह से वो कई मस्जिदों में शानदार वक्ता के रूप में अपने आप को प्रस्तुत करता रहा है। शुरू के दिनों में वो थोड़ा मॉडरेट दिखता था, लेकिन पिछले कुछ सालों से हमजा के व्यवहार में जबरदस्त कट्टरपंथ देखने को मिला है। धीरे-धीरे हमजा ने फिंसबरी पार्क मस्जिद को एक कट्टर इस्लाम के रूप में केंद्रीत कर दिया। उसके बाद उसने इस्लाम के एक हिंसक संस्करण का प्रचार किया और यह मस्जिद वर्षों में कट्टरपंथी तत्वों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह के रूप में तब्दील हो गया। हमजा ना सिर्फ इस्लामिक कट्टरपंथ को बढ़ावा देता है, बल्कि मस्जिद के अंदर ही चरमपंथी ताकतों को गोला बारूद से लेकर AK-47 तक चलाना सिखाता है।
ओसामा को सपोर्ट करता है हमजा
2002 में हमजा ने दुनिया के सबसे खुंखार आंतकवादी के बारे में कहा था, 'मैंने अल्लाह को कहा है कि ओसामा बिन लादेन को लंबी उम्र दें'। उसने यहां तक कहा है कि वो अफगानिस्तान में उसी सरकार की इज्जत करेगा जो तालिबान को चलने देगा।
पिछले एक दशक के दौरान फिंसबरी पार्क मस्जिद अल-कायदा के लिए एक बड़ा रिक्रूटमेंट सेंटर केंद्र बन गया। उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व के कई प्रवासियों ने इस मस्जिद में पनाह ली है। हमजा के साथ समय बिताने के बाद, वे मिडल ईस्ट और अफगानिस्तान के आतंकी कैंपों की तरफ रवाना होते हैं।
जब हमजा रिक्रुट करता है तब वो उन मुसलमानों की आलोचना करता है जो अपनी सुखी जिंदगी जी रहे हैं। हमजा कहता है कि जो मुसलमान अपने जीवन के सुखों का आनंद उठाते हैं वे पापी हैं क्योंकि उनके भाई तो कहीं ज्यादा पीड़ित है। उसने कहा कि मुसलमानों के लिए एकमात्र समाधान, खिलाफा या इस्लामी राज्य की स्थापना करना है। हमजा यहां तक कहता है कि अगर जिहाद के लिए हिंसा भी हो रही है तो वो भी जायज है।
2003 में पहली बार ब्रिटिश पुलिस की हमजा के खिलाफ आंखे खुली और उन्होंने कार्रवाई करते हुए फिंसबरी पार्क मस्जिद को बंद करवा दिया। 2006 में उसे ब्रिटिश पुलिस ने गिरफ्तार किया और उसके बाद उसे अमेरिका भेज दिया गया। 2015 में यूएस कोर्ट ने आतंकी कैंपों को स्थापित करने, साजिश रचने और बंधक बनाने के आरोप में उसे आजीवन कारावस की सजा सुना दी, तभी से वो जेली की हवा खा रहा है।
हमजा का भूत लंदन से जा नहीं रहा
2005 में फिंसबरी पार्क मस्जिद को फिर से खोलकर और नए ट्र्स्टी को सौंप दिया गया। ये नए लोग आज भी इस मस्जिद पर हमजा की पड़ी काली छाया और बदनाम छवी को बदलने में लगे हैं। आज भी इस मस्जिद पर कट्टरवाद का ठप्पा लगा है और इस साल जून में हुए फिंसबरी पार्क मस्जिद में आतंकी हमले ने एक बार फिर साबित कर दिया कि हमजा का भूत इस मस्जिद और इस शहर से इतनी आसानी से जाने वाले नहीं है।