तालिबान ने शुरू की दुर्लभ बैक्टीरियन खजाने की तलाश, कब्र से निकले थे सोने की अशर्फियां और अनमोल मुकुट
बैक्ट्रियन खजाने में दुनिया भर से जमा किए गये हजारों सोने के टुकड़े रखे गये हैं। इस खजाने को अलग अलग कब्रों में रखा गया था। इस खजाने में दुर्लभ कंगन, झुमके, सोने की अशर्फियां, हीरे और जवाहरात मौजूद हैं।
काबुल, सितंबर 18: तालिबान की सरकार ने घोषणा की है कि उसने अफगानिस्तान में 'गायब' हो चुके दुर्लभ सोने की खजाने की खोज शुरू कर दी है। इस खजाने को आज से करीब 40 साल पहले खोजा गया था, लेकिन अब यह गायब है और अब एक बार फिर से इसकी खोज शुरू कर दी है। अगर तालिबान इस खजाने को खोजने में कामयाब हो जाता है, तो फिर उसके लिए बल्ले-बल्ले हो जाएगी, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या वो दुर्लभ खजाना अभी तक अफगानिस्तान में मौजूद है या फिर उसे देश से बाहर निकाला जा चुका है?
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खजाने की होगी तलाश
तालिबान के सूचना और संस्कृति मंत्रालय ने कहा है कि उसने खजाने को ट्रैक करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं, जिसे बैक्ट्रियन गोल्ड के नाम से भी जाना जाता है। इस खजाने को चार दशक पहले शेरबर्गन जिले के तेला तपा इलाके में खोजा गया था, जो उत्तरी जवज्जान प्रांत का केंद्र है। तालिबान अंतरिम कैबिनेट के सांस्कृतिक आयोग के उप प्रमुख अहमदुल्ला वासीक ने कहा कि, उन्होंने संबंधित विभागों को बैक्ट्रियन खजाने को खोजने और जांचने का काम सौंपा है। लेकिन, सवाल उठ रहे हैं कि क्या बैक्ट्रियन गोल्ड खजाना अभी भी अफगानिस्तान में मौजूद है या फिर उसे अफगानिस्तान में निकाल लिया गया है। वहीं, अफगानिस्तान के कई लोगों का मानना है कि चूंकी खजाने का इतिहास पश्तूनों से अलगा है, लिहाजा तालिबान उस खजाने को खोजकर बर्बाद करना चाहता है, ताकि कट्टरपंथी पश्तून संगठन उस इतिहास को मिटा सके।
क्या देश से बाहर है खजाना?
तालिबान के मंत्री ने कहा कि, ''इस मुद्दे की जांच चल रही है, और हम यह जानने के लिए जानकारी एकत्र करेंगे कि वास्तविकता क्या है। अगर इसे (अफगानिस्तान से बाहर) स्थानांतरित किया गया है, तो यह अफगानिस्तान के खिलाफ देशद्रोह है''। तालिबान के मंत्री ने कहा है कि "अगर यह (खजाना) और अन्य प्राचीन वस्तुओं को देश से बाहर ले जाया गया है, तो अफगानिस्तान की सरकार गंभीर कार्रवाई करेगी।" तालिबान ने काफी तेजी से इसकी तलाश शुरू कर दी है। इस खजाने में कई ऐसे मुकुट मौजूद हैं, जिनमें लगे जवाहरात की कीमत अरबों रुपये हो सकती है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या खजाने को तालिबान के हाथ से बचाने के लिए उसे अफगानिस्तान से बाहर निकाल लिया गया है?
बैक्ट्रियन खजाने का रहस्य
नेशनल ज्योग्राफिक के अनुसार, बैक्ट्रियन खजाने में दुनिया भर से जमा किए गये हजारों सोने के टुकड़े रखे गये हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इस खजाने में दुनियाभर से लाए गये सोने को ईसा पूर्व से पहली शताब्दी ईस्वी तक छह अलग अलग कब्रों के अंदर रखा गया था। रिपोर्ट में बताया गया है कि ''उनके पास 20,000 से अधिक वस्तुएं थीं, जिनमें सोने की अंगूठियां, सिक्के, हथियार, झुमके, कंगन, हार, हथियार और मुकुट शामिल थे। सोने के अलावा, इनमें से कई को फिरोजा, कारेलियन और लैपिस लाजुली जैसे बेशकीमती पत्थरों से तैयार किए गये कई दूसरी दुर्लभ चीजें मौजूद हैं''
कब्र के अंदर छिपा था खजाना
नेशनल ज्योग्राफिक के अनुसार, जानकारों का मानना है कि 6 कब्रों के अंदर खजाने को छिपाकर रखा गया था। ये कब्रें एशिया की 6 अमीर खानाबदोशों की थीं, जिनमें पांच महिलाओं और एक पुरुष थीं। 2016 में नेशनल ज्योग्राफिक ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि, ''इस खजाने में 2 हजार साल पुरानी कलाकृतियां मिली हैं, जिनमें फारसी से लेकर शास्त्रीय ग्रीक तक की दुर्लभ जानकारियां मौजूद हैं। इस खजाने में बड़ी संख्या में कीमती धातुएं मिली थीं, जिसने पुरातत्वविदों को आश्चर्यचकित कर दिया था। खासकर छठे मकबरे में पाया गया जटिल सुनहरे मुकुट में ऐसे-ऐसे जवाहरात जड़े थे, जो आश्चर्यजनक थे। लेकिन, अब ये खजाना कहां है, किसी को नहीं पता है। फरवरी 2021 में अफगानिस्तान की पूर्व अशरफ गनी सरकार द्वारा बैक्ट्रियन खजाने को राष्ट्रपति भवन में लाया गया था और जनता के देखने के लिए प्रदर्शित किया गया था। हालांकि, पूर्व सरकार के पतन के बाद, इसकी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई थी।
कहां है दुर्लभ खजाना?
टोलो न्यूज ने बताया कि तालिबान के मंत्री वसीक ने कहा है कि प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ जो भी करार पहले किए गये हैं, वो जारी रहेगा। टोलो न्यूज के अनुसार, वसीक ने यह भी कहा कि उनके आकलन से पता चलता है कि राष्ट्रीय संग्रहालय, राष्ट्रीय संग्रह और राष्ट्रीय गैलरी और अन्य ऐतिहासिक और प्राचीन स्मारक अपने स्थानों पर सुरक्षित हैं। काबुल के निवासियों ने टोलो न्यूज को बताया कि बैक्ट्रियन खजाना एक राष्ट्रीय संपत्ति है और इसे संरक्षित किया जाना चाहिए। टोलो न्यूज ने दिसंबर 2020 में रिपोर्ट दी थी कि बैक्ट्रियन खजाना संग्रह पिछले 13 सालों में 13 देशों में प्रदर्शित किया जा चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस खजाने की प्रदर्शनी से पिछले 12 सालों में करीब 45 लाख डॉलर का राजस्व जमा किया गया है, जिसे अफगानिस्तान के सरकारी खजाने में जमा किया गया।
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