तालिबान ने दिखाया शरिया कानून का पहला नमूना, हेरात शहर में क्रेन से लटकाईं लाशें
तालिबान के एक नेता ने कहा था कि अफगानिस्तान का मजहबी मंत्रालय देश में पिछले शासन की तरह ही लोगों को सजाएं देगा। पिछले शासन की तरह ही लोगों के हाथ काटे जाएंगे।
हेरात, सितंबर 25: पाकिस्तान कहता है कि तालिबान बदल चुका है और 'उदारवादी' तालिबान को विश्व मान्यता दे। लेकिन, तालिबान ने क्रूरता दिखाना शुरू कर दिया है। अफगानिस्तान के हेरात शहर से आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान ने हेरात शहर के मुख्य चौक पर एक शख्स को मारकर उसे क्रेन से लटका दिया है। मृतक के शरीर पर एक पोस्टर भी चिपकाया गया है।
तालिबान की क्रूरता
एसोसिएटेड प्रेस ने शनिवार को एक चश्मदीद के हवाले से रिपोर्ट दी है कि तालिबान ने अफगानिस्तान के हेरात शहर के मुख्य चौक में एक शव को क्रेन से लटका दिया। रिपोर्ट बताती है कि सुन्नी पश्तून लड़ाके चार शवों को अफगानिस्तान के तीसरे सबसे बड़े शहर के मुख्य चौराहे पर लाए और उनमें से एक शख्स के शव को हेरात शहर के बाजार में लटका दिया, जबकि तीन शवों को लेकर वो चले गये, जिन्हें वो दूसरे शहरों में किसी क्रेन से लटकाने वाले हैं। रिपोर्ट है कि तालिबान ने बाकी तीन लोगों की लाशें भी हेरात शहर के अलग अलग हिस्सों में लटका दी है। क्रेन से लटकी लाश का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है।
शरिया कानून के तहत सजा- तालिबान
तालिबान ने कहा है कि चारों को अपहरण के प्रयास में पकड़ा गया था और पुलिस ने उन्हें मार डाला। वजीर अहमद सिद्दीकी नाम के चश्मदीद के मुताबिक, तालिबान की पुलिस ने चार लोगों को पकड़कर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी और फिर उनमें से एक शख्स के शव को मारकर क्रेन से लटका दिया। हालांकि, तालिबान ने अभी तक हत्याओं के सार्वजनिक प्रदर्शन से संबंधित कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। लेकिन, मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी, जो अपने पिछले शासन के दौरान तालिबान की शरिया कानून की कठोर व्याख्या को लागू करने के लिए जिम्मेदार था, उसने फिर से कहा है कि वे फिर से फांसी की सजा और हाथ काटने की सजा को लागू कर रहा है।
बुराई का खात्मा- तालिबान
इस्लामवादी कट्टरपंथियों तालिबान ने मजहबी प्रचार मंत्रालय को फिर से स्थापित कर दिया है, जिसमें देश में फिर से कठोर शरिया कानून की घोषणा कर दी है। तालिबान के इस मंत्रालय ने 1996-2001 के बीच भयानक हत्याएं की थीं, सैकड़ों लोगों के हाथ-पैर काट डाले थे, हजारों लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। यह शरिया कानून के तहत क्रूर सजा देने और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकारों के खिलाफ शरिया कानून के तहत भयानक सजा देने के लिए कुख्यात था और एक बार फिर से तालिबान ने फिर से वैसी ही क्रूरता दिखाने शुरू कर दी है।
तालिबान की घोषणा
तालिबान के एक अधिकारी ने हाल ही में न्यूयॉर्क पोस्ट को बताया कि नया शासन, दोषियों को "इस्लामी नियमों" के अनुसार दंडित करेगा। सजा के प्रावधान के बारे में बताते हुए, अफगानिस्तान के "सेंट्रल जोन" के लिए जिम्मेदार होने का दावा करने वाले मोहम्मद यूसुफ ने कहा कि जानबूझकर हत्या करने वाले व्यक्ति को मार दिया जाएगा लेकिन अगर हत्या जानबूझकर नहीं की गई तो अन्य प्रकार की सजा हो सकती है। यूसुफ ने कहा कि चोरों के हाथ काट दिए जाएंगे, जबकि "अवैध संबंध" में शामिल लोगों पर पत्थर बरसाए जाएंगे। 1996-2001 तक तालिबान के शासन के दौरान अफगानिस्तान में कोड़े मारना, पथराव करना, यहां तक कि सार्वजनिक रूप से लोगों को काटकर मार डालना बेहद आम बात थी।
'हाथ काटना बेहद जरूरी'
तालिबान के संस्थापकों में से एक और इस्लामी कानून की कठोर व्याख्या करने के लिए कुख्यात तालिबान ने जब 1996 में अफगानिस्तान की सत्ता संभाली थी, उस वक्त ये क्रूर शासन के लिए पूरी दुनिया में कुख्यात था। तालिबान के लिए किसी को फांसी देना, पत्थर से पीटकर मार देना और हाथ काट देना कोई बड़ी बात नहीं थी, लेकिन इस बार काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने 'उदार' होने का दावा किया था। लेकिन, हर वादे की तरह, तालिबान ने अपने इस वादे को भी तोड़ दिया है। एसोसिएटेड प्रेस के साथ एक इंटरव्यू में मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी ने कहा है कि 'हाथ काटना बेहद जरूरी है।'
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