हिंद महासागर पर चीन की 'सीक्रेट बैठक' में पहुंचे थे भारत के कुछ बिजनेसमैन, सरकार को नहीं थी जानकारी!
चीन द्वारा हिंद महासागर क्षेत्र में स्थित देशों के लिए आयोजित एक बैठक में भारत के कुछ व्यापारियों ने भाग लिया था। यह दावा चीन ने किया है।
चीन द्वारा हिंद महासागर क्षेत्र में स्थित देशों के लिए आयोजित एक बैठक में भारत के कुछ व्यापारियों ने भाग लिया है। आपको बता दें कि चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ से आयोजित इस मीटिंग में भारत को आमंत्रित नहीं किया गया था। यह चीनी सरकार द्वारा आयोजित अपनी तरह का पहला सम्मेलन था, जिसे चीन द्वारा हिंद महासागर क्षेत्र में अपने प्रभाव क्षेत्र पर जोर देने के एक और प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। इस सम्मेलन का विषय 'शेयर्ड डेवलपमेंट: थ्योरी एंड प्रैक्टिस फ्रॉम द पर्सपेक्टिव ऑफ़ द ब्लू इकॉनमी था।
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भारत के 10 व्यवसायियों सहित कुछ शिक्षाविदों ने लिया हिस्सा
वहीं, आधिकारिक सूत्रों ने द प्रिंट को बताया कि इस सम्मेलन में भारत सरकार की तरफ से कोई व्यक्ति शामिल नहीं हुआ था। संभव है कि किन्हीं व्यक्तियों ने इसमें व्यक्तिगत रूप से भाग लिया हो। चीनी विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारत का प्रतिनिधित्व बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के साथ ही 10 व्यवसायियों तथा कुछ शिक्षाविदों ने किया था। 25 नवंबर को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष सुबीर चक्रवर्ती ने 19 नवंबर को चीन-दक्षिण एशिया सहयोग मंच के उद्घाटन समारोह मंच के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया। इसके अलावा कुछ भारतीय शिक्षाविदों ने चीन-हिंद महासागर क्षेत्र थिंकटैंक फोरम पर एक ब्रेकआउट कार्यक्रम में भाग लिया और अपने विचार रखे। माओ निंग के मुताबिक इस एक्सपो में दस भारतीय व्यापारियों ने भाग लिया।
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मालदीव और ऑस्ट्रेलिया ने दावे को नकारा
चीन द्वारा बीते सप्ताह 21 नवंबर को आयोजित की गई 'चीन-हिंद महासागर क्षेत्र विकास सहयोग मंच' की बैठक में शामिल होने से दो देशों ने इंकार किया है। चीन ने 19 देशों के इस सम्मेलन में भाग लेने का दावा किया था जिसे दो देशों ने नकार दिया है। ऑस्ट्रेलिया और मालदीव ने स्पष्ट कर दिया है कि इस आयोजन में उनकी तरफ से कोई शामिल नहीं था। भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ'फारेल और मालदीव के विदेश मंत्रालय की तरफ से इस पर स्पष्टीकरण दिया गया है।
चीन ने 19 देशों के शामिल होने का किया दावा
चीन अंतरराष्ट्रीय विकास सहयोग एजेंसी (CIDCA) ने 21 नवंबर 2022 को आयोजित 'चीन-हिंद महासागर क्षेत्र विकास मंच' ने प्रेस को दिए गए एक बयान में दावा किया था कि कुनमिंग, युन्नान प्रांत में आयोजित फोरम में 19 देशों ने भाग लिया। CIDCA के मुताबिक इस आयोजन में इंडोनेशिया, पाकिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल, अफगानिस्तान, ईरान, ओमान, द. अफ्रीका, केन्या, मोजांबिक, तंजानिया, सेशेल्स, मेडागास्कर, मॉरीशस, जिबूती, ऑस्ट्रेलिया सहित तीन अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। लेकिन चीनी एजेंसी के इस दावे को दो देशों ने गलत ठहराया दिया है। दोनों देशों ने कहा कि उन्होंने सरकार के प्रतिनिधियों को इस बैठक में भाग लेने के लिए नहीं भेजा बल्कि उनके देशों के कुछ लोगों ने अपनी क्षमता पर इस बैठक में हिस्सा लिया।
मालदीव सरकार ने चीन को गलत ठहराया
मालदीव की भागीदारी का आरोप लगाते हुए एक संयुक्त बयान जारी किया था। मालदीव गणराज्य के संविधान के अनुच्छेद 115 (जे) के अनुसार, केवल सेवारत राष्ट्रपति ही देश की विदेश नीति का निर्धारण, संचालन और निरीक्षण कर सकते हैं। राष्ट्रपति ही विदेशी राष्ट्रों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ राजनीतिक संबंधों का संचालन कर सकते हैं। बयान में कहा गया है कि इस विशिष्ट बैठक के लिए मालदीव सरकार द्वारा कोई आधिकारिक प्रतिनिधित्व नहीं किया गया था।
ऑस्ट्रेलिया ने भी नहीं बैठक में हिस्सा
मालदीव के साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने भी रविवार को स्पष्ट कर दिया है उसने 21 नवंबर को आयोजित चीन-भारत क्षेत्र विकास सहयोग मंच की बैठक में भाग नहीं लिया। भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ'फारेल ट्वीट कर यह बात कही। बैरी ओ'फारेल ने ट्वीट कर कहा, मीडिया रिपोर्ट्स के विपरीत ऑस्ट्रेलियाई सरकार के किसी भी अधिकारी ने चीन-हिंद महासागर फोरम की बैठक में भाग नहीं लिया।
क्या था बैठक का उद्देश्य
CIDCA की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक इस बैठक का उद्देश्य विदेशी सहायता के लिए रणनीतिक दिशानिर्देश, योजना और नीतियां बनाना, प्रमुख विदेशी सहायता मुद्दों पर आपसी समन्वय करना और सलाह देना, विदेशी सहायता से जुड़े मामलों में देश के सुधारों को आगे बढ़ाना और प्रमुख कार्यक्रमों की पहचान करना और उनका कार्यान्वयन भी शामिल है। हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक, बैठक का असल उद्येश्य चीन को हिन्द महासागर में खुद को एक शक्ति के तौर पर प्रोजेक्ट करना है और इसके लिए उसने भारत के सभी पड़ोसियों को इस बैठक में शामिल किया था।
ताइवान
में
पार्षद
का
चुनाव
हारने
पर
राष्ट्रपति
ने
दिया
इस्तीफा,
चीनी
समर्थक
पार्टी
जीती