सूरज से निकला 16 लाख किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से महातूफान, पृथ्वी से टकराने की आशंका
करीब 16 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सौर तूफान पृथ्वी से अगले दो दिनों में टकरा सकता है।
नई दिल्ली, जुलाई 10: सूरज में महाशक्तिशाली तूफान निकला है, जो करीब 16 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हमारी पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि ये महा सौर तूफान अगले एक या दो दिनों के अंदर हमारी पृथ्वी से टकरा सकता है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगर ये महातूफान वास्तव में पृथ्वी से टकराता है तो काफी बड़ा नुकसान हो सकता है। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाते हुए कहा है कि ये महा सौर तूफान सोमवार को पृथ्वी से टकरा सकता है।
सूरज से निकला महातूफान
स्पेसवेदर डॉट कॉम वेबसाइट के मुताबिक, ये सौर तूफान सूरज के वायुमंडल से पैदा हुआ है और इसकी रफ्तार करीब 16 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की है। आशंका जताई जा रही है कि पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के प्रभुत्व वाले अंतरिक्ष के एक क्षेत्र में इस सौलर तूफान का बहुत बड़ा असर देखने को मिल सकता है। इसकी वजह से विमानों की उड़ान, रेडियो सिग्नल, कम्यूनिकेशन के साधन और मौसम पर बड़ा असर पड़ सकता है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस सौलर तूफान से पृथ्वी पर रहने वाले लोगों को कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन सैटेलाइट सिग्नल्स से लेकर कम्यूनिकेशन के साधन और इंटरनेट पर बड़ा असर पड़ सकता है।
रात में बनेगा सुंदर अरोरा
खलोग वैज्ञानिकों ने कहा है कि सौलर तूफान उठने की वजह से उत्तरी या दक्षिणी अक्षांसों में रहने वाले लोगों को रात के वक्त आकाश में काफी मनमोहक नजारा, जिसे साइंस की भाषा में अरोरा कहा जाता है, वो देखने की उम्मीद कर सकते हैं। जिसमें आसमान से काफी चमकीली रोशनी काफी देर तक निकलती रहेगी, जिसे अरोरा कहा जाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक सौर हवाएं आवेशित कणों या फिर प्लाज्मा की धाराएं होती हैं, जो सूरज से निकलती हैं और फिर अंतरिक्ष में फैल जाती हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का अनुमान है कि ये हवाएं ऊपर की ओर औसतन करीब दस लाख मील प्रति घंटे की गति से चलती हैं, लेकिन इसकी रफ्तार और भी ज्यादा तेज हो सकती हैं।
10 लाख मील प्रति घंटे रफ्तार
वैज्ञानिकों ने कहा है कि सूरज से निकले हुए महातूफान की रफ्तार करीब 10 लाख मील प्रति घंटे यानि करीब 16 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार हो सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि तूफान की रफ्तार को लेकर उनकी गणना से भी ज्यादा तेज तूफान की रफ्तार हो सकती है और अगर वो तूफान पृथ्वी की कक्षा में दाखिल होकर पृथ्वी से टकरा जाता है, तो धरती पर करीब करीब सभी शहरों में बिजली गुल हो सकती है, इंटरनेट बंद हो सकता है।
सूरज का 11 सालों का साइकिल
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में सूरज का 11 सालों का साइकिल शुरू हुआ है, जो 2025 में अपनी पीक पर होगा। और वैज्ञानिक अनुमान लगा रहे हैं कि आने वाले सालों में सौलर तुफान की संभावना पृथ्वी पर काफी ज्यादा बढ़ जाएगी। इससे पहले 17 साल पहले पृथ्वी ने सौलर तूफान को महसूस किया था। और पिछले 20 सालों में हमारी दुनिया टेक्नोलॉजी पर काफी ज्यादा आश्रित हो गई है और वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि लगातार उठने वाले सोलर तूफान की वजह से पूरी दुनिया में टेक्नोलॉजी पर काफी बुरा असर पड़ सकता है।
सोलर तूफान से खतरा
हमारी धरती पर अभी भी अंतरिक्ष में होने वाले मौसमी परिवर्तन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। लेकिन, वैज्ञानिक जानकारों को डर है कि अगर तेज सोलर तूफान आता है और अगर अंतरिक्ष में मौसमी घटनाओं में तेजी से परिवर्तन होता है तो निकट भविष्य में इससे पृथ्वी पर काफी खतरनाक असर पड़ेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर अंतरिक्ष में मौसम बदलता है तो इसका पृथ्वी पर क्या असर होगा, इस बात की कल्पना भी अभी हम नहीं कर सकते हैं। इससे कम्यूनिकेशन सिस्टम पूरी तरह से ठप पड़ सकता है और हमें पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व सूचना मिलनी बंद हो जाएगी। असल में सोलर तूफान से हमारा जीपीएस सिस्टम पूरी तरह से ध्वस्त हो सकता है।
विमान यात्रा होगा खतरनाक
वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी पर आ रहे लाखों टन गैस की वजह से पृथ्वी पर रहने वाले लोगों को तो खतरा नहीं होगा लेकिन विमान यात्रा करने वाले लोगों और विमान सेक्टर में काम करने वाले लोगों पर इसका काफी असर पड़ेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस सोलर तूफान से विमान क्रू को काफी खतरा है और गर्भवती महिलाओं पर गर्भ गिरने का काफी ज्यादा खतरा हो जाएगा। इस बार का सोलर तूफान सूरज के 11 सालों वाले साइकिल की वजह से उठा है। सूरज के इस साइकिल से मैग्नेटिक फिल्ड में बदलाव आने की संभावना है। इस प्रक्रिया के दौरान सूरज से निकलने वाली ज्वालाएं सूरज से बाहर निकल जाती हैं और अंतरिक्ष की तरफ बढ़ने लगती हैं और एक मजबूत सोलर तूफान पूरी दुनिया में पावर ग्रिड को फेल कर सकता है, जिससे हर तरफ अंधेरा छा जाएगा।
1989 में भी आया था सोलर तूफान
इस सोलर तूफान का पृथ्वी पर क्या असर होगा, ये तो दो दिनों के बाद पता चलेगा, लेकिन इससे पहले 1989 में सूरज से निकला तूफान पृथ्वी से टकराया था, जिसका काफी असर कनाडा पर पड़ा था। उस वक्त कनाडा के क्यूबेक शहर में करीब 12 घंटे के लिए बिजली गायब हो गई थी और लाखों लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। वहीं, उससे पहले 1959 में अभी तक का सबसे बड़ा और शक्तिशाली तूफान जिओमैग्नेटिक पृथ्वी से टकराया था, जिसने अमेरिका के टेलीग्राफ नेटवर्क को पूरी तरह से तबाह कर दिया था और उन नेटवर्क में काम करने वाले कर्मचारियों ने बिजली का काफी तेज झटका महसूस किया था। वहीं, सोलर तूफान की वजह से नार्दर्न लाइट इतनी तेज हो गई थी कि रात के करीब 12 बजे दिन जितनी रोशनी हो गई थी। ये रोशनी इतनी ज्यादा थी कि लोग उसमें अखबार तक पढ़ पा रहे थे।
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