मक्का में श्रद्धालु फिर चूम सकेंगे काबे का काला पत्थर
सऊदी अरब के मक्का में श्रद्धालु एक बार फिर काबा के पवित्र काले पत्थर को छू और चूम सकेंगे. क्या है ये काला पत्थर?
सऊदी अरब के मक्का में श्रद्धालु एक बार फिर काबा के पवित्र काले पत्थर को छू और चूम सकेंगे.
कोरोना महामारी की वजह से काबा के चारों ओर घेराबंदी कर दी गई थी जिसे अब हटा लिया गया है.
इसके बाद वहाँ की तस्वीरों में दिखाई दे रहा है कि उत्साहित श्रद्धालु काले पत्थर की ओर जाने की कोशिश कर रहे हैं.
काबा के आगे लगाई गई घेराबंदी को ठीक उमरा की यात्रा से पहले हटाया गया है.
हज की तरह उमरा में मुसलमान धर्मावलंबी मक्का की यात्रा कर प्रार्थना करते हैं.
ये हज से इस मायने में अलग है कि हज जहाँ एक विशेष महीने में किया जाता है, वहीं उमरा साल में कभी भी किया जा सकता है.
उमरा के दौरान हज में किए जाने वाले कई धार्मिक कर्म-कांड किए जाते हैं. उमरा के लिए दुनिया भर से करोड़ों मुसलमान मक्का की यात्रा करते हैं. इनमें से बहुत सारे लोग मक्का के पास मदीना की भी यात्रा करते हैं.
कोविड का असर
सऊदी अरब ने इस साल कोरोना महामारी की वजह से लगाए गए ज़्यादातर प्रतिबंधों को हटा लिया.
इस साल (2022) हज यात्रा 7 से 12 जुलाई तक हुई थी, और इसमें कोरोना महामारी के बाद पहली मर्तबा लगभग सामान्य संख्या में लोग मक्का पहुँचे.
वर्ष 2020 में, केवल 1,000 लोगों को हज पर जाने की अनुमति मिली थी. उस साल केवल सऊदी अरब के लोग ही हज कर सके थे. दूसरे देशों के लोगों के मक्का की यात्रा करने पर रोक थी.
2021 में हज यात्रियों की संख्या बढ़कर 60,000 हो गई और इस वर्ष लगभग 10 लाख लोगों ने मक्का पहुँचकर हज किया.
हालाँकि, कोरोना के पहले की तुलना में अभी भी ये संख्या कम है. स्टैस्टिका वेबसाइट के मुताबिक़ 2019 में 25 लाख लोगों ने मक्का में हज किया था. दुनिया में एक साथ इतने लोगों के जुटने का ये रिकॉर्ड था.
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क्या है ब्लैक स्टोन
इस्लाम में ब्लैक स्टोन या काला पत्थर काबा के पूर्वी कोने में लगा एक पत्थर है.
ऐसा माना जाता है कि ये पत्थर आदम (ऐडम) और हव्वा (ईव) के ज़माने के हैं जिन्हें दुनिया का पहला आदमी और औरत माना जाता है.
ब्लैक स्टोन को इस्लाम के उदय से पहले से ही पवित्र माना जाता था.
ये भी माना जाता है कि ये पत्थर मूलतः सफेद रंग का था, मगर इसे स्पर्श करने वाले लोगों के पापों का भार उठाने की वजह से इसका रंग काला हो गया.
मक्का
सऊदी अरब में मौजूद मक्का पूरी दुनिया के मुसलमान लोगों के लिए एक पवित्र धर्मस्थल है.
हर साल पूरी दुनिया से लाखों लोग हज की यात्रा करते हैं जो इस्लाम का एक ज़रूरी उसूल है. हज इस्लाम के पाँच ज़रूरी उसूलों में से सबसे आख़िरी उसूल है.
इस्लाम को मानने वाले हर व्यक्ति के लिए जीवन में कम-से-कम एक बार हज करना ज़रूरी माना जाता है, बशर्ते उनके पास इसके लिए सुविधा हो और वो शारीरिक रूप से सक्षम हों.
मक्का पहुँचने के बाद मुसलमान श्रद्धालु मस्जिद अल हरम जाते हैं और सात मर्तबा काबा के चक्कर लगाकर दुआ और अल्लाह की प्रार्थना करते हैं.
श्रद्धालु इसके बाद वहाँ कई और धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेते हैं.
इस्लाम के पांच उसूल
तौहीद- यानी एक अल्लाह और मोहम्मद उनके भेजे हुए दूत हैं इसमें हर मुसलमान का विश्वास होना.
नमाज़- दिन में पाँच बार नियम से नमाज़ अदा करना.
रोज़ा- रमज़ान के दौरान उपवास रखना.
ज़कात- ग़रीबों और ज़रूरतमंद लोगों को दान करना.
हज- मक्का जाना.
मदीना
हज के लिए सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का की यात्रा करने वाले यात्री मक्का से लगभग 450 किलोमीटर दूर मदीना शहर भी जा सकते हैं.
मदीना में मस्जिद-ए-नबवी है जहाँ श्रद्धालु नमाज़ पढ़ा करते हैं.
मदीना की यात्रा हज का ज़रूरी हिस्सा नहीं है.
मगर वहाँ जो मस्जिद मौजूद है उसे ख़ुद पैग़ंबर मोहम्मद ने बनवाया था, इसलिए हर मुसलमान इसे काबा के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल मानता है.
यहीं पैग़ंबर हज़रत मोहम्मद की मज़ार भी है. हज यात्री उसका भी दर्शन करते हैं.
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