S-400 मिसाइल: यूएस सीनेटर्स ने बाइडेन को लिखी चिट्ठी, भारत पर प्रतिबंध नहीं लगाने का किया आग्रह
अमेरिकी सीनेटर्स ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को चिट्ठी लिखकर आग्रह किया है, कि वो एस-400 मिसाइल डील के लिए भारत पर प्रतिबंध नहीं लगाए।
वॉशिंगटन, अक्टूबर 27: इस साल के अंत तक भारत को रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम मिलने शुरू हो जाएंगे और भारत एस-400 मिसाइल का काफी लंबे वक्त से इंतजार कर रहा था। लेकिन, भारत और रूस के बीच एस-400 मिसाइल डील को लेकर अमेरिका को भारी ऐतराज है और अमेरिका के कई नेता भारत पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच अमेरिका के दो सीनेटर्स ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को चिट्ठी लिखकर कहा है कि, वो भारत के ऊपर में प्रतिबंध लगाने के बारे में सोचे भी नहीं।
बाइडेन को सीनेटर्स की चिट्ठी
दो अमेरिकी सीनेटर्स ने राष्ट्रपति जो बाइडेन से रूस की एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की खरीद पर भारत के खिलाफ प्रतिबंधों को माफ करने का आग्रह किया है। अमेरिकी सीनेटर्स ने चिट्ठी में कहा है कि, ऐसा करना भारत और अमेरिका के संबंध पर काफी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है और दोनों देशों के बीच सहयोगात्मक संबंध पर खराब असर डाल सकता है। भारत ने 2018 में पाकिस्तान और चीन के खिलाफ रक्षा के लिए सतह से हवा में मार करने वाली पांच मिसाइल प्रणालियों के लिए रूस के साथ करार किया था। भारत सरकार ने रूस से पांच मिलाइल प्रणालियों के लिए 5.5 अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किया था। लेकिन, उस डील को लेकर अमेरिका लगातार भारत के सामने विरोध जताता रहा है। लेकिन भारत ने अमेरिका के हर विरोध को अनसुना कर दिया है।
अमेरिका का प्रतिबंध वाला कानून
भारत और रूस के बीच एस-400 मिसाइल सिस्टम डील से अमेरिका लगातार नाराज रहा है और अमेरिका में भारत के खिलाफ प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की जाती रही है, लेकिन अमेरिकी नेताओं में भारत पर प्रतिबंध को लेकर अभी तक सहमति नहीं बन पाई और भारत पर प्रतिबंध लगाने का जहमत पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी नहीं कर सके। लेकिन, आपको बता दें कि, अमेरिका ने 2017 में एक कानून बनाया था, जिसमें कहा गया है कि, अगर अमेरिका का कोई सहयोगी देश अमेरिका के दुश्मन देश के साथ हथियार का सौदा करता है, तो अमेरिका उस देश पर प्रतिबंध लगा देगा। अमेरिका के इस बिल का नाम Countering America's Adversaries Through Sanctions Act (CAATSA) है। और कुछ अमेरिकी नेताओं का कहना है कि, भारत के खिलाफ सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए।
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सीनेटर्स ने चिट्ठी में क्या लिखा?
रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर जॉन कॉर्नी और डेमोक्रेट सीनेटर मार्क वार्नर ने मंगलवार को राष्ट्रपति जो बाइडेन को एक पत्र लिखकर राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यापक सहयोग के आधार पर भारत को छूट देने का आह्वान किया है। चिट्ठी में लिखा है कि, "हम मानते हैं कि प्रतिबंधों को माफ करने के आगे राष्ट्रीय सुरक्षा अनिवार्य है, लेकिन भारत को माफ कर दिया जाए"। उन्होंने कहा कि ''वो इस बात के लिए चिंतित थे कि, अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप करने, साइबर हैकिंग करने को लेकर जो कानून रूस को जवाबदेह ठहराने के लिए बनाया गया था, उसके रास्ते में भारत आ रहा है''। आपको बता दें कि, भारत ने एस-400 मिसाइल सिस्टम के लिए डाउन पेमेंट कर दिया है और इस साल के अंत तक भारत में मिसाइल सिस्टम आना शुरू हो जाएगा।
तुर्की पर लग चुका है प्रतिबंध
आपको बता दें कि, भारत के साथ साथ तुर्की भी रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीद रहा है, लेकिन अमेरिका ने तुर्की को कोई रियायत नहीं दी और पिछले साल अमेरिका ने तुर्की के ऊपर प्रतिबंध लगा दिए थे। लेकिन, अमेरिका की दोनों प्रमुख पार्टियों के सीनेटर्स ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को जो चिट्ठी लिखी है, उसमें उन्होंने कहा है कि, ''हम अमेरिका की चिंताओं को समझते हैं, लेकिन अगर भारत पर प्रतिबंध लगाया जाता है, तो भारत के साथ सहयोग को ढटका लगेगा''। उन्होंने लिखा है कि, "हम मानते हैं कि सीएएटीएसए प्रतिबंधों के लागू होने से भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है, जबकि इस प्रतिबंध से रूसी हथियारों की बिक्री नहीं रूक सकती है।
भारत-रूस सैन्य संबंध
आपको बता दें कि, भारत हमेशा से रूस से हथियार खरीदता रहा है, लेकिन पिछले पांच सालों में भारत ने रूस से हथियारों की खरीदी में भारी कटौती कर दी है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच साल की अवधि की तुलना में 2016 से 2020 तक भारत में रूसी हथियारों के निर्यात में 53% की गिरावट आई है। दूसरी ओर, संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ भारत के रक्षा सौदे 2020 वित्तीय वर्ष में 3.4 बिलियन डॉलर की बिक्री के साथ बढ़ रहे हैं। जिसको इन दोनों सीनेटर्स ने अपनी चिट्ठी में लिखा है और अमेरिका के लिए ये एक पॉजिटिव बात बताई है। उन्होंने कहा कि, "इस समय प्रतिबंध लगाने से हमारे द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं में भारत के साथ गहरे सहयोग को पटरी से उतारा जा सकता है। जो सहयोग भारत और अमेरिका के बीच कोरोना वायरस वैक्सीन, डिफेंस सेक्टर, ऊर्जा सेक्टर और टेक्नोलॉजी सेक्टर को लेकर हुए हैं। "
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