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रूस का 'न्यूक्लियर टाइटैनिक' जिसे 'तैरता हुआ चेर्नोबिल' कहा जा रहा है

समंदर में तैरता न्यूक्लियर प्लांट, दुनिया में पहली बार ऐसा हो रहा है.

बाल्टिक सागर में 'अकाडेमिक लोमोनोसोव' नाम का ये जहाज आहिस्ता-आहिस्ता बढ़ रहा है.

ये रूसी जहाज दरअसल एक परमाणु रिएक्टर है जो अगले एक साल तक समंदर के सफ़र पर रहेगा और इसकी मंज़िल पूर्वी रूस के शहर पेवेक का किनारा है.

सफ़र के रास्ते में ये मुरमंस्क में रुकेगा जहां इसमें परमाणु ईंधन भरा जाएगा और 

By BBC News हिन्दी
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समंदर में तैरता न्यूक्लियर प्लांट, दुनिया में पहली बार ऐसा हो रहा है.

बाल्टिक सागर में 'अकाडेमिक लोमोनोसोव' नाम का ये जहाज आहिस्ता-आहिस्ता बढ़ रहा है.

ये रूसी जहाज दरअसल एक परमाणु रिएक्टर है जो अगले एक साल तक समंदर के सफ़र पर रहेगा और इसकी मंज़िल पूर्वी रूस के शहर पेवेक का किनारा है.

सफ़र के रास्ते में ये मुरमंस्क में रुकेगा जहां इसमें परमाणु ईंधन भरा जाएगा और फिर आर्कटिक की तरफ़ कूच करेगा.

'अकाडेमिक लोमोनोसोव' का मक़सद पूर्वी और उत्तरी साइबेरिया के दूरदराज़ के इलाकों में बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना है.

इन इलाकों में तापमान का शून्य से 50 डिग्री नीचे चले जाना कोई बड़ी बात नहीं होती. इस जहाज में 35 मेगावॉट के दो न्यूक्लियर प्लांट्स हैं.



अकाडेमिक लोमोनोसोव
Getty Images
अकाडेमिक लोमोनोसोव

'न्यूक्लियर टाइटैनिक'

144 मीटर लंबे और 30 मीटर जहाज का वजन 21,500 टन है. माना जा रहा है कि ये जहाज एक लाख की आबादी की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा कर सकता है.

इसे ऑपरेट करने वाले कंपनी 'रोज़ाटॉम' का कहना है कि ये जहाज औद्योगिक ज़रूरतें भी पूरी करेगा. इस पर विवाद उठने भी शुरू हो गए हैं.

पर्यावरण समूह इस जहाज को 'तैरता हुआ चेर्नोबिल' करार दे रहे हैं और कुछ लोगों ने तो इसे 'न्यूक्लियर टाइटैनिक' तक कहा है.

उनकी दलील है कि आर्कटिक का मौसम, वहां चलने वाली हवाओं की वजह से ये जहाज 'बेहद ख़तरनाक़' हो जाता है.

ग़ैरसरकारी संस्था ग्रीनपीस के परमाणु विशेषज्ञ जैन हैवरकैंप का कहना है है, आर्कटिक महासागर में तैरते हुए परमाणु रिएक्टर ख़तरनाक़ स्थिति पैदा कर सकते हैं.

इस जहाज के रूट में पड़ने वाले देशों ने अपनी चिंता जाहिर की है. ये जहाज स्वीडन, डेनमार्क और नॉर्वे के बेहद करीब से गुजरने वाला है.



अकाडेमिक लोमोनोसोव
AFP
अकाडेमिक लोमोनोसोव

पर्याप्त सुरक्षा इंतज़ाम

इन आरोपों पर रूसी कंपनी 'रोज़ाटॉम' का जवाब है कि उन्होंने जहाज पर पर्याप्त सुरक्षा इंतज़ाम किया है.

कंपनी का दावा है कि सूनामी या कोई अन्य प्राकृतिक आपदा उनके जहाज को कोई नुक़सान नहीं पहुंचा सकेगी.

'रोज़ाटॉम' का कहना है, "अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने जो नियम तय किए हैं, ये जहाज उन सभी शर्तों को पूरा करता है और इससे पर्यावरण को कोई ख़तरा नहीं है."

आने वाले सालों में रूस की योजना ऐसे पांच और तैरते हुए परमाणु रिएक्टर लॉन्च करने की है.

इस जहाज का नाम 'अकाडेमिक लोमोनोसोव' एक रूसी वैज्ञानिक के सम्मान में रखा गया है.

ऐसा नहीं है कि समंदर में पहली बार कोई परमाणु प्लांट तैरता हुआ दिखेगा. 1955 में पहली बार इसी तरह की अमरीकी पनडुब्बी ने काम करना शुरू किया था.

अकाडेमिक लोमोनोसोव
AFP
अकाडेमिक लोमोनोसोव

आर्कटिक क्षेत्र

वर्ल्ड न्यूक्लियर एसोसिएशन के अनुमान के मुताबिक़ इस समय परमाणु ऊर्जा से चलने वाले 140 जहाज इस समय चल रहे हैं.

इनमें ज़्यादातर पनडुब्बियां हैं और साथ ही विमानवाहक पोत हैं और बर्फ़ तोड़ने वाले जहाज.

जानकार इसे आर्कटिक के विवादित तेल खनन वाले क्षेत्र में रूस के एक कदम के तौर पर देख रहे हैं.

माना जा रहा है कि इस क्षेत्र में बर्फ़ के अंदर दफ़्न कुदरत के खजाने को हासिल करने के मक़सद से रूस यहां पांव पसार रहा है.

सोवियत दौर के परमाणु ऊर्जा से चलने वाले दस ऐसे जहाज हैं जो इस समय रूस की तरफ़ से बर्फ़ तोड़ने का काम कर रहे हैं.

अमरीकी जियॉलॉजिकल एजेंसी के मुताबिक़ दुनिया के तेल और गैस भंडार का 25 फ़ीसदी आर्कटिक क्षेत्र में मौजूद है.

BBC Hindi
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English summary
Russias Nuclear Titanic which is being called Floating Chernobil
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