कश्मीर में धारा-370 का हटना एकदम संवैधानिक, रूस की पाकिस्तान को दो टूक
मॉस्को। रूस की तरफ से भी भारत के जम्मू कश्मीर में लगी धारा 370 को हटाने के फैसले पर बयान जारी कर दिया गया है। पांच अगस्त को भारत ने जबसे इस कानून को हटाने का फैसला लिया है उसके बाद से रूस की यह पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया है। रूस ने भारत के फैसले को संवैधानिक बताते हुए इसका समर्थन किया है। भारत ने जम्मू कश्मीर को मिले विशेष दर्जा खत्म कर दिया है। इसके अलावा दो हिस्सों में इसे विभाजित कर दिया है। जम्मू कश्मीर और लद्दाख अब दोनों ही केंद्र शासित प्रदेश हैं।
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संविधान के तहत लिया गया फैसला
रूस के विदेश मंत्रालय की ओर से प्रतिक्रिया दी गई है। विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया,' हम इस बात तथ्य को मानते हैं कि जम्मू और कश्मीर की स्थिति में जो भी बदलाव किया गया है और इसे दो संघ शासित प्रदेशों में बांट दिया गया है, इस पूरी प्रक्रिया को भारत ने संविधान के तहत ही पूरा किया है।' बयान में आगे कहा गया है कि रूस, भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों के सामान्य होने का समर्थक रहा है।
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आपसी बातचीत से सुलझाएं मसला
रूस का मानना है कि दोनों देश अपने मतभेदों को राजनीतिक और कूटनीतिक जरिए से द्विपक्षीय स्तर पर सुलझाएं तो बेहतर रहेगा। रूस ने उम्मीद जताई है कि दोनों ही देश क्षेत्र में आक्रामकता को बढ़ने की मंजूरी नहीं देंगे। इस मसले पर चीन ने पहले ही पाकिस्तान को स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर मसले का हल शिमला समझौते और यूएन रेजोल्यूशन के तहत होना चाहिए। शुक्रवार को चीन ने कुरैशी को साफ-साफ कह दिया है कि वह भारत और पाकिस्तान को एक 'दोस्ताना पड़ोसी' के तौर पर देखता है।
सामान्य नहीं शिमला समझौते का जिक्र
चीन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि वांग वाई कश्मीर की स्थिति को लेकर चिंतित है। उनका मानना है कि कश्मीर का मुद्दा एक ऐसा विवाद है जो कई वर्षों के इतिहास में शामिल है। बयान के मुताबिक, 'इस मसले को सही प्रक्रिया से शांतिपूर्ण तरीके से यूएन चार्टर और द्विपक्षीय समझौते के तहत सुलझाना चाहिए।'माना जा रहा है कि वाई ने कुरैशी से मुलाकात के दौरान शिमला समझौते का जिक्र किया था। हालांकि चीन की ओर से शिमला समझौते का जिक्र अपने आप में काफी असाधारण है।