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Seagrass: समुद्र की घास जो सोखती है हजारों टन कार्बन! धरती के लिए वरदान, साइंटिस्ट्स की रिसर्च ने दी नई हवा

ग्लोबल वार्मिंग दुनिया के सभी देशों के लिए चिंता का विषय बन चुका है। ताजा शोध के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग के सबसे बड़े जिम्मेदार घटते समुद्री घास के क्षेत्र हैं।

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Seagrass Effect on Global Warming: पृथ्वी का तेजी से बढ़ता तापमान दुनिया के सभी देशों के लिए चिंता का विषय बन चुका है। साइंटिस्ट्स लंबे समय से लगातार जलवायु परिवर्तन पर अध्ययन कर रहे हैं। धरती के बढ़ते तापमान के कारणों का पता लगाया जा रहा है। प्राकृतिक वन संपदाओं के साथ जलवायु परिवर्तन के लिए एक अहम कारक की अब खोज की गई है। जर्मनी के वैज्ञानिकों की ताजा शोध के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग के सबसे बड़े जिम्मेदार घटते समुद्री घास के क्षेत्र हैं। अध्ययन के मुताबिक पिछले 60 वर्षों में यूरोप ने एक तिहाई समुद्री घास के क्षेत्र खोए हैं। अगर यही स्थिति अन्य महाद्वीपों की हुई तो स्थिति गंभीर हो सकती है।

बाल्टिक सागर में समुद्री घास क्षेत्र पर स्टडी

बाल्टिक सागर में समुद्री घास क्षेत्र पर स्टडी

साइंटिस्ट्स जर्मनी में बाल्टिक सागर में समुद्री घास के क्षेत्र को संरक्षित और विकसित करने की योजना पर कार्य कर रहे हैं। समुद्री घास लाखों टन कार्बन डाई आक्साईड के अवशोषित कर लेती है। इसे जहरीली गैस के लिए एक नेचुरल सिंक माना जाता है। लेकिन अब समुद्री घासों का घटता क्षेत्र चिंता का विषय है। इसको लेकर जर्मनी के वैज्ञानिकों ने एक शोध में दावा किया है कि ये ग्लोबल वार्मिंग को भी नियंत्रित करती है।

घास सोखती है 12 मेगाटन कार्बन

घास सोखती है 12 मेगाटन कार्बन

जर्मनी के कील में जियोमर हेल्महोल्ट्ज सेंटर फॉर ओशन रिसर्च के अनुसार, बाल्टिक क्षेत्र में लगभग 300 वर्ग किलोमीटर में समुद्री घास का क्षेत्र है, जो लगभग तीन से 12 मेगाटन कार्बन अवशोषित करती है। जर्मनी में साइंटिस्ट सीग्रास वाले क्षेत्र का नजदीकी अध्ययन कर रहे हैं। ताजा शोध के मुताबिक पृथ्वी के बढ़ते तापमान को नियंत्रित करने के प्रयासों में समुद्री घास अहम कड़ी साबित होगी।

जर्मनी के साइंटिस्ट्स का अनोखा प्रयास

जर्मनी के साइंटिस्ट्स का अनोखा प्रयास

सीग्रास के क्षेत्रों को विकसित करने की दिशा में योजना तैयार की जा रही है। सीग्रास को फिर से पनपाने के तरीकों पर विचार किया जा रहा है। वनस्पति वैज्ञानिकों का मानना है कि समुद्री घास एक विशाल सिंक है जो लाखों टन कार्बन जमा कर लेता है और पानी की गुणवत्ता को भी बढ़ाता है। जर्मनी अब समुद्री घास को खेतों में उगाने पर शोध किया जा रहा है।

160 वर्षों में समुद्री घास एक तिहाई क्षेत्र घटा

160 वर्षों में समुद्री घास एक तिहाई क्षेत्र घटा

समुद्री घास के इतिहास के अध्ययन से पता चला है कि अकेले यूरोप महाद्विपीय तटों से पिछले 160 वर्षों में समुद्री घास का एक तिहाई क्षेत्र कम हो गया है। ये आंकड़ा 1860 और 2016 के बीच हुए अध्ययन का है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स एक इंटरव्यू में जर्मन पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता एंजेला स्टीवेन्सन ने बताया कि सीग्रास उस कार्बन को हजारों वर्षों से कार्बन को अवशोषित करने का एक बड़ा नेचुरल सिंक रहा है। हमें इसे संरक्षित करने के बारे में सोचना चाहिए।

खेतों में उगाने की योजना

खेतों में उगाने की योजना

जर्मनी ने 2030 तक अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (Greenhouse Gas Emission) को 50% से अधिक कम करने का संकल्प लिया है। सरकार का लक्ष्य 2045 तक देश को कार्बन न्यूट्रल बनाना भी है। जिसके तहत समुद्री घास को बढ़ाने की योजना की योजना पर काम चल रहा है। इसको लेकर जर्मनी के साइंटिस्ट स्टीवेन्सन ने अपने सहयोगियों के साथ प्राकृतिक घास के मैदान से बीज और सिंगल-शूट प्रत्यारोपण का उपयोग करके एक परीक्षण क्षेत्र तैयार किया है। जिससे इस विषय पर शोध किया जा रहा है कि समुद्री घास को खेतों लगाने के लिए कौन सा तरीका अपनाया जा सकता है।

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English summary
Research on Seagrass Effect on Global Warming burns new issue for Climate Change
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