राफेल पर घमासान: दसॉल्ट ने कहा- रिलायंस को हमने किया था पसंद, नागपुर में खड़ा किया प्लांट
पेरिस। राफेल डील मामले में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान पर मचे घमासान के बाद अब फ्रांसीसी हथियार कंपनी दसॉल्ट ने सामने आकर स्पष्ट किया है कि रिलायंस को चुनना उनकी कंपनी की ही पसंद थी। दसॉल्ट एविएशन और रिलायंस ग्रुप के बीच ऑफसेट समझौते पर भारत के स्टैंड की पुष्टि करते हुए बयान में कहा गया है कि रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) 2016 के नियमों के अनुपालन दौरान रिलायंस ग्रुप को ही चुना गया था।
मेक इन इंडिया के तर्ज पर रिलायंस को चुना गया
दसॉल्ट एविएशन ने अपने बयान में कहा कि राफेल डील भारत और फ्रांस सरकार के बीच एक अनुबंध था, लेकिन यह एक अलग तरह का अनुबंध था जिसमें दसॉल्ट एविएशन खरीद मूल्य के 50 फीसदी निवेश भारत में बनाने के लिए प्रतिबद्ध था। इसमें मेक इन इंडिया की नीति के अनुसार, दसॉल्ट एविएशन ने भारत के रिलायंस समूह के साथ साझेदारी करने का फैसला किया। फ्रांसीसी हथियार कंपनी ने कहा, 'दसॉल्ट एविएशन ने ही भारत के रिलायंस ग्रुप के साथ साझेदारी करने का फैसला किया है। यह दसॉल्ट एविएशन की पसंद है और इसके बारे में सीईओ एरिक ट्रैपियर ने 17 अप्रैल 2018 को MINT अखबार में प्रकाशित एक साक्षात्कार में समझाया था। इस साझेदारी ने फरवरी 2017 में ही दसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (डीआरएएल) ने ज्वॉइंट वेंचर की शुरुआत की है।
नागपुर में प्लांट हुआ स्थापित
कंपनी ने अपने बयान में कहा है कि दसॉल्ट एविएशन और रिलायंस ने फाल्कन और राफेल एयरक्राफ्ट के लिए नागपुर में एक प्लांट भी स्थापित कर दिया है। दसॉल्ट ने कहा कि प्लांट के लिए नागपुर को इसलिए चुना गया क्योंकि यहां की जमीन और हवाईअड्डे की सीधी पहुंच है, जो एयरोनॉटिक्स गतिविधियों के लिए जरूरी है। फ्रांसीसी विमानन कंपनी ने यह भी कहा कि राफले सौदे के तहत ऑफसेट अनुबंध के हिस्से के रूप में रिलायंस के अलावा अन्य कंपनियों के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। दसॉल्ट ने कहा कि BTSL, DEFSYS, Kinetic, Mahindra, Maini, SAMTEL जैसी अन्य कंपनियों के साथ साझेदारी पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
ओलांद और दसॉल्ट के बयानों विरोधाभास
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान के बाद दसॉल्ट कंपनी ने अपना स्पष्टीकरण दिया है। फ्रांसीसी मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ने कहा है कि भारत सरकार ने ही राफेल डील के लिए अंबानी की कपंनी का नाम आगे किया था, जिसके बाद हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा था। हालांकि, राफेल डील को लेकर दसॉल्ट और ओलांद के बयानों में स्पष्ट विरोधाभास दिखाई दे रहा है।
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