विश्व के सबसे छोटे बंदर पिग्मी मार्मासेट पर वैज्ञानिकों का बड़ा खुलासा, महज 100 ग्राम होता है वजन
पिग्मी मार्मासेट को लेकर सिरर्च अमेरिकन जर्नल ऑफ फिजिकल एंथ्रोपोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।
वॉशिंगटन, जून 04: विश्व के सबसे छोटे बंदरों को लेकर वैज्ञानिकों ने बड़ा खुलासा कर दिया है। दुनिया में पाए जाने वाले सबसे छोटे बंदरों का वजन सिर्फ 100 ग्राम होता है और बंदरों की इस प्रजाति को पिग्मी मार्मासेट कहा जाता है। वैज्ञानिकों ने बेहद अजूबे आकार और वजन वाले इन बंदरों को लेकर बड़ा खुलासा किया है। नये रिसर्च में पता चला है कि सौ ग्राम वजन वाला ये बंदर दो अलग अलग प्रजातियों से मिलकर बना है।
पिग्मी मार्मासेट पर रिसर्च
पिग्मी मार्मासेट को लेकर सिरर्च अमेरिकन जर्नल ऑफ फिजिकल एंथ्रोपोलॉजी में प्रकाशित किया गया है। इस रिसर्च में इस बात की पुष्टि की गई है कि पिग्मी मार्मासेट प्रजाति के बंदर दो अलग अलग प्रजातियों से मिलकर बने हैं। पिग्मी मार्मासेट बंदरों के डीएनए टेस्ट के बाद पता चला है कि इन बंदरों में दो अलग अलग प्रजातियों के गुण मौजूद हैं। आपको बता दें कि पिग्मी मार्मासेट प्रजाति के बंदर दक्षिण अमेरिकी वर्षावनों में पाए जाते हैं और इन्हें देखने के लिए इंसान काफी कौतूहल में रहते हैं।
दो अलग प्रजातियों का युग्म
अमेरिकन जर्नल ऑफ फिजिकल एंथ्रोपोलॉजी के मुताबिक शोध के दौरान बंदर की खोपड़ी और डीएनए टेस्ट के बाद पता चला है कि पिग्मी मार्मासेट नाम के बंदर दो अलग अलग प्रजातियों से मिलकर बने हैं। रिसर्च में शामिल वैज्ञानिक नॉर्दर्न इलिनोइस ने इस रिसर्च को लेकर कहा है कि 'हमने अपनी शोध के दौरान पाया है कि इन दो प्रजातियों में सिर्फ फर के रंग से अंतर पैदा नहीं किया जा सकता है लेकिन इनके माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए और खोपड़ी की संरचना अलग अलग होते हैं। पिछले रिसर्च के दौरान हमने रंगों के आधार पर जांच करने की कोशिश की थी, लेकिन जांच के दौरान रंगों में काफी अंतर पाया गया था और अलग अलग जगहों पर इनके रंग अलग अलग हो जाते थे। जिसकी वजह से अंतर तलाशना मुश्किल था। रंगों में परिवर्तन एक जगह मौजूद दो बंदरों में भी हो सकता है।'
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सिर्फ 100 ग्राम होता है वजन
पिग्मी मार्मासेट के वयस्क होने के बाद भी उनका वजन महज सौ ग्राम होता है और इन्हें विश्व का सबसे छोटा बंदर कहा जाता है। पिग्मी मार्मासेट बंदर दक्षिणी अमेरिका के अमेजन वर्षावनों में पाए जाते हैं और देखने में ये बेहद ही छोटे होते हैं। रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने अलग अलग 13 जगहों से बंदरों के सैंपल लिए थे। ये बंदर हमेशा अपने परिवार के साथ एक साथ रहते हैं। इनके ग्रुप में मां-बाप और भाई बहन, सब शामिल होते हैं, लिहाजा इन बंदरों को 'सहयोगी ब्रीड' के तौर पर भी देखा जाता है।
सिर्फ 6 इंच होती है लंबाई
पिग्मी मार्मासेट बंदरों की लंबाई पूर्ण वयस्क होने पर भी सिर्फ 6 इंच होती है और वजन महज 100 ग्राम। वैज्ञानिकों ने रिसर्च के दौरान पाया कि इंसानों की तरफ ही बंदरों की इस प्रजाति में परिवार के हर सदस्य का काम बंटा हुआ होता है। मादा बंदर का काम बच्चों को जन्म देना है। बच्चों को जन्म देने के बाद मादा बंदर सिर्फ उन्हें पालने का काम करती है जबकि पुरूष बंदर अपने परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी उठाते हैं। पुरूष बंदरों का काम परिवार के सदस्यों के लिए खाना लाना और सुरक्षा के प्रति आगाह करना होता है।
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