फ्रांस में सरकार के खिलाफ फूटा बुजुर्गों का गुस्सा, जानें क्यों रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने से नाराज हुए लोग?
फ्रांस से पहले इटली, जर्मनी, स्पेन जैसे कई अन्य यूरोपीय देशों ने आधिकारिक सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए इटली और जर्मनी में रिटायरमेंट की उम्र अब 67 हो चुकी है वहीं स्पेन में यह 65 है।
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फ्रांस में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की एक योजना से बवाल मचा हुआ है। राष्ट्रपति की पेंशन सुधार को लेकर बनाई गई एक योजना अब देश व्यापी प्रदर्शनों का कारण बन गई है। दरअसल एमैनुएल मैक्रों सेवानिवृत्ति से जुड़ा एक बिल लाने वाले हैं। यदि यह बिल पारित हो जाता है तो फ्रांस में सरकारी नौकरियों में रिटायरमेंट की उम्र 62 से 64 हो जाएगी। इससे पूर्ण पेंशन के लिए जरूरी न्यूनतम सेवा अवधि भी बढ़ जाएगी। लेकिन सरकार द्वारा किया जा रहा बदलाव वहां के लोगों को पसंद नहीं आ रहा है और इसका विरोध करने में जुट गए हैं।
देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू
फ्रांसीसी यूनियनों ने सेवानिवृत्ति की उम्र को बढ़ाने की योजना के खिलाफ गुरुवार को पूरे देश में बड़े पैमाने पर हड़ताल और विरोध प्रदर्शन किया। इन इन प्रदर्शनों के कारण इंटरसिटी और कम्यूटर ट्रेन सेवाओं पर बुरी तरह असर पड़ रहा है। गुरुवार को इन विरोध प्रदर्शनों के कारण कई स्कूल और सार्वजनिक सेवाओं को बंद करना पड़ा। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक पेरिस के ओरली हवाईअड्डे पर पांच में से एक उड़ान रद्द कर दी गई है। पेरिस मेट्रो में केवल दो चालक रहित लाइनें सामान्य रूप से काम कर रही हैं।
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विपक्ष भी सड़क पर उतरी
रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार को पेरिस और अन्य शहरों में हजारों की संख्या में बड़े प्रदर्शनों की उम्मीद है। इस दौरान विरोध प्रदर्शनों की आड़ में अल्ट्रा-लेफ्ट ‘ब्लैक ब्लॉक' घुसपैठियों के हिंसा करने की भी आशंका जताई जा रही है। फ्रांस की प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न द्वारा इस महीने की शुरुआत में लाए गए प्रस्तावों के तहत, 2027 से लोगों को पूर्ण पेंशन के लिए 43 साल काम करना होगा। फिलहाल देश में पूर्ण पेंशन हासिल करने के लिए 42 साल तक काम करना होता है।
68 फीसदी लोग योजना के विरोध में
फ्रांस की शेयर-आउट पेंशन सिस्टम की सरकार जमकर प्रशंसा कर रही है और इसे कर्मचारियों के भविष्य की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय बता रही है। हालांकि लोग इस योजना को पसंद नहीं कर रहे हैं। IFOP पोल के अनुसार सुधार जनता के बीच गहराई से अलोकप्रिय साबित हो रहा है। इस पोल के मुताबिक देश के 68 फीसदी लोगों ने ने कहा कि वे इस पेंशन में बदलाव की योजना का विरोध करेंगे। इतना ही नहीं देश की सभी यूनियनें जिनमें तथाकथित ‘सुधारवादी' यूनियन भी शामिल हैं, वे भी इस योजना का विरोध कर रही हैं।
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दस हजार पुलिसकर्मी तैनात
कम्युनिस्ट पार्टी के नेता फैबियन रसेल ने इस योजना का विरोध करते हुए कहा कि गुरुवार को सरकार को दिखाएंगे कि ऐसी योजनाओं को लागू करने का अंजाम क्या होता है। उन्होंने कहा, "गुरुवार को एलीसी पैलेस की दीवारें कांप जाएंगी।" ऐसा कहा जा रहा है कि फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों की इस योजना के पक्ष में उनकी सहयोगी पार्टी के सांसद भी नहीं हैं। इस बीच फ्रांसीसी मीडिया ने बताया है कि पुलिस पेरिस में 50,000 से 80,000 सहित 550,000 से 750,000 प्रदर्शनकारियों के लिए योजना बना रही है। आंतरिक मंत्री गेराल्ड डर्मैनिन ने बुधवार को कहा कि प्रदर्शनों को देखते हुए 10,000 पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे।
पेंशन योजना में बदलाव के लिए सरकार मजबूर
सरकार का कहना है कि मौजूद सिस्टम देश के लिए नुकसानदेह है क्योंकि फ्रांस में काम करने वालों और रिटायर हो चुके लोगों के बीच का अनुपात तेजी से कम हो रहा है। 50 साल पहले कामकाजी लोगों और सेवानिवृत्त लोगों को अनुपात 4:1 था। यह अब खिसक कर 1:1.7 आ चुका है। अगर आसाना भाषा में कहें तो पांच दशक पहले चार सौ काम करने वाले लोगों के बदले 100 पेंशनधारी होते थे। अब 100 काम करने वाले लोगों के बदले 107 पेंशनधारी हो चुके हैं। ऐसे में सरकार का सिस्टम गड़बड़ हो चला है।
बाकी यूरोपीय देशों में भी उठाए गए कदम
यूरोप की जनसंख्या तेजी से बुजुर्ग होती जा रही है ऐसे में वहां लगभग देशों ने पेंशन संबंधी बदलाव किए हैं। फ्रांस से पहले इटली, जर्मनी, स्पेन जैसे कई अन्य यूरोपीय देशों ने आधिकारिक सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए इटली और जर्मनी में रिटायरमेंट की उम्र अब 67 हो चुकी है वहीं स्पेन में यह 65 है। अगर ब्रिटेन की बात की जाए तो यहां वर्तमान में रिटायरमेंट की उम्र 66 है।
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