म्यांमार और चीन के 5 दिवसीय यात्रा से स्वदेश लौटे पीएम मोदी
यंगून। म्यांमार में अपने तीन दिवसीय दौरे के आखिर दिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज स्वदेश वापसी के लिए राजधानी यंगून से वापस दिल्ली पहुंच गए। बता दें कि म्यांमार और चीन की कुल 5 दिवसीय यात्रा के बाद पीएम मोदी स्वदेश लौटे हैं। चीन में जहां वो ब्रिक्स के दो दिवसीय सम्मेलन के लिए गए थे वहीं म्यांमार में वो तीन दिवसीय दौरे के लिए गए थे। इससे पहले पीएम मोदी राजधानी यंगून स्थित बहादुर शाह जफर के मकबरे पर गए। इसके साथ ही पीएम श्वेडागोन पगोडा भी गए और वहां प्रार्थना की। पीएम मोदी कालीबाड़ी मंदिर भी गए और वहां पूजा अर्चना की। पीएम मोदी ने आज ही यंगून में सैनिकों को श्रद्धांजलि भी दी।
इसके बाद पीएम मोदी ने आंग सान म्यूजियम भी देखा। इससे पहले 6 सितंबर को यात्रा के दूसरे दिन पीएम मोदी नेर इस दौरान उन्होंने म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सू की से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद दोनों ही देशों के बीच डेलिगेशन स्तर की बैठक हुई, जिसके बाद दोनों देशों के बीच कई अहम समझौतों पर करार हुआ था।
इस बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आंग सू की ने साझा प्रेस बयान दिया, जिसमे पीएम मोदी ने आंग सू की तारीफ करते हुए कहा कि शांति स्थापना के लिए आपने जो बेहतरीन प्रयास किए और हिम्मत दिखाई है उसके लिए मैं आपको बधाई देता हूं।
वहीं यंगून के थुवुन्ना स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय समुदाय को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि म्यांमार में मिनी इंडिया के दर्शन कर रहा हूं। हमने संकल्प किया है कि गरीबी, आतंकवाद, सांप्रदायिकता, भ्रष्टाचार मुक्त ग्रीन इंडिया बनाकर रहेंगे। हम भारत को रिफॉर्म नहीं, ट्रांसफॉर्म कर रहे हैं। अगर आज भारत को दुनियाभर में सम्मान की नजर से देखा जा रहा है तो उसका कारण आप हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा था कि मैं यहां आकर बहुत खुश हूं। मैं अपने सामने एक मिनी इंडिया के दर्शन कर रहा हूं। भारत के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास म्यांमार को नमन किए बिना पूरा नहीं हो सकता है। ये वो पवित्र धरती है जहां से सुभाष चंद्र बोस ने गरजकर कहा था कि तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा। जब नेताजी ने यहां से आजाद हिंद फौज का ऐलान किया तो भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की जड़ें हिल गईं थीं। जब विदेशी ताकतों से भारत को स्वतंत्र कराने के लिए देश के वीरों को अपना घर छोड़ना पड़ता था तो म्यांमार उनका दूसरा घर बन जाता था।