घोर आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति ने 9 नए कैबिनेट मंत्रियों को शपथ दिलाई
देश में आर्थिक बदहाली के बाद आज राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने नौ मंत्रियों को शपथ दिलाई। बता दें कि, श्रीलंका विदेशी कर्ज चुकाने में असमर्थ हो गया है, क्योंकि वह दिवालिया हो चुका है।
कोलंबो, 20 मई : आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में पूर्ण मंत्रिमंडल के गठन तक स्थिरता सुनिश्चित करने की कोशिशों के तहत राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने आज (शुक्रवार) नौ नए कैबिनेट मंत्रियों को शपथ दिलाई। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को नियुक्त किए जाने के एक सप्ताह से अधिक समय के बाद मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। राष्ट्रपति ने पांच बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री रहे विक्रमसिंघे को एक बार फिर यह पद सौंपा है।
नौ
नए
मंत्रियों
ने
ली
शपथ
नए
मंत्रियों
में
मुख्य
विपक्षी
दल
समागी
जन
बालवेग्या
(एसजेबी)
के
दो
मंत्री
शामिल
हैं,
जबकि
बाकी
राजपक्षे
की
पार्टी
श्रीलंका
पोदुजना
पेरामुना
(एसएलपीपी)
और
उस
समूह
से
जुड़े
हुए
हैं,
जिसने
सत्तारूढ़
गठबंधन
से
इस्तीफा
दे
दिया
था।
इससे
पहले,
राष्ट्रपति
राजपक्षे
ने
पिछले
सप्ताह
चार
मंत्रियों
को
नियुक्त
किया
था।
हालांकि,
अब
तक
किसी
भी
वित्त
मंत्री
की
नियुक्ति
नहीं
की
गई
है,
जो
इस
समय
अंतरराष्ट्रीय
मुद्रा
कोष
(आईएमएफ)
के
साथ
चल
रही
बातचीत
के
मद्देनजर
अत्यधिक
महत्वपूर्ण
है।
जानकारी
के
मुताबिक,
कैबिनेट
में
राष्ट्रपति
और
प्रधानमंत्री
समेत
25
सदस्य
होंगे।
इन
नेताओं
ने
ली
शपथ
श्रीलंका
फ्रीडम
पार्टी
(एसएलएफपी)
का
प्रतिनिधित्व
करने
वाले
पूर्व
मंत्री
निमल
सिरिपाला
डी
सिल्वा,
निर्दलीय
सांसद
सुशील
प्रेमजयंता,
विजयदास
राजपक्षे
और
तिरान
एलेस
शुक्रवार
को
शपथ
लेने
वाले
नौ
नए
मंत्रियों
में
शामिल
रहे।
खबरों
के
मुताबिक,
निमल
सिरिपाला
डी
सिल्वा
को
नौसेना
एवं
उड्डयन
सेवा
मंत्री,
जबकि
सुशील
प्रेमजयंता
को
शिक्षा
मंत्री
बनाया
गया
है।
इसी
तरह,
केहेलिया
रामबुकवेला
ने
स्वास्थ्य
मंत्री
के
रूप
में
शपथ
ली
और
विजयदास
राजपक्षे
को
न्याय,
जेल
मामलों
व
संवैधानिक
सुधार
विभाग
का
प्रभार
सौंपा
गया
है।
राजपक्षे
ने
चार
बार
मंत्रिमंडल
में
फेरबदल
किया
वहीं,
पर्यटन
एवं
भूमि
मंत्रालय
हरिन
फर्नांडो,
वृक्षारोपण
उद्योग
मंत्रालय
रमेश
पथिराना,
श्रम
और
विदेश
रोजगार
मंत्रालय
मनुशा
नानायकारा
को
तथा
व्यापार,
वाणिज्य
व
खाद्य
सुरक्षा
मंत्रालय
नलिन
फर्नांडो
को
सौंपा
गया
है।
वहीं,
तिरान
एलेस
सार्वजनिक
सुरक्षा
मंत्री
बनाए
गए
हैं।
राजपक्षे
ने
अब
तक
चार
बार
अपने
मंत्रिमंडल
में
फेरबदल
किया
है,
जिसमें
उनके
बड़े
भाई
और
सत्तारूढ़
गठबंधन
के
संरक्षक
महिंदा
राजपक्षे
का
इस्तीफा
शामिल
है।
भारत
ने
श्रीलंका
को
बचाए
रखा
जनवरी
के
बाद
से
भारत
के
आर्थिक
सहायता
पैकेज
ने
1948
में
स्वतंत्रता
के
बाद
से
श्रीलंका
को
उसके
सबसे
बुरे
आर्थिक
संकट
में
बचाए
रखा
था।
भारत
ने
ईंधन
और
आवश्यक
वस्तुओं
की
खरीद
के
लिए
कर्ज
प्रदान
किया,
क्योंकि
श्रीलंका
का
विदेशी
मुद्रा
भंडार
समाप्त
हो
गया
था।
बता
दें
कि,
राजनीतिक
संकट
मार्च
के
अंत
में
शुरू
हुआ
था,
जब
लंबे
समय
तक
बिजली
कटौती
और
आवश्यक
सुविधाओं
की
कमी
से
परेशान
लोग
सरकार
के
इस्तीफे
की
मांग
को
लेकर
सड़कों
पर
उतर
आए।
आर्थिक
तौर
पर
कंगाल
हो
चुका
है
श्रीलंका
पड़ोसी
देश
श्रीलंका
अपने
इतिहास
में
पहली
बार
दिवालिया
हो
गया
है।
ऐसी
स्थिति
में
उसे
अंतराराष्ट्रीय
बाजार
से
कर्ज
मिलना
मुश्किल
हो
जाएगा।
इससे
देश
की
प्रतिष्ठा
को
भी
दिवालिया
होने
के
कारण
काफी
नुकसान
पहुंचेगा।
श्रीलंका
को7
करोड़
80
लाख
डॉलर
का
कर्ज
चुकाने
के
लिए
30
दिनों
की
छूट
अवधि
दी
गई
थी,
जो
बुधवार
को
समाप्त
हो
गई।
इसी
के
साथ
श्रीलंका
विदेशी
कर्ज
चुकाने
से
चूक
गया
है।
श्रीलंका
के
केंद्रीय
बैंक
के
गवर्नर
ने
कहा
है
कि
उनका
देश
आर्थिक
संकट
टालने
के
लिए
कर्ज
नहीं
चुका
रहा
है।
यानी
ये
प्रिएम्टिव
डिफॉल्ट
है।
अंतरराष्ट्रीय
बाजार
से
कैसे
उठाएगा
पैसा
इतना
ही
नहीं
किसी
देश
के
दिवालिया
होने
की
स्थिति
में
उसे
अंतरराष्ट्रीय
बाजार
से
पैसा
लेना
भी
काफी
मुश्किल
हो
जाता
है।
श्रीलंका
के
केंद्रीय
बैंक
के
गवर्नर
पी
नंदलाल
वीरसिंघे
से
पूछा
गया
कि
उनका
देश
दिवालिया
हो
चुका
है
तो
उनका
जवाब
था,
हमारी
स्थिति
बिल्कुल
स्पष्ट
है।
उन्होंने
कहा
कि
जब
तक
कर्ज
को
रिस्ट्रक्चर
नहीं
किया
जाता,
श्रीलंका
किसी
भी
देश
को
भुगतान
नहीं
कर
पाएगा।
उन्होंने
आगे
कहा
कि,
ऐसी
स्थिति
में
इसे
प्रिएम्टिव
डिफॉल्ट
कह
सकते
हैं।
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