बिल्लियों को किया गया Aliens की आक्रामक प्रजाति घोषित, वैज्ञानिकों को मिले काफी अहम संकेत
एलियन के बारे में कहा जाता है, कि उनके पास काफी उन्नत टेक्नोलॉजी हो सकती है, ऐसे में सवाल ये उठते हैं, कि आखिर एलियंस कहां हैं और वो धरती को क्यों खोज नहीं पाए हैं?
वॉरशॉ, जुलाई 27: पोलैंड में इन दिनों बिल्लियों को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है और सरकारी इंस्टीट्यूट के एक वैज्ञानिक ने बिल्लियों को एलियंस की प्रजाति बताया गया है, जिसके बाद पोलैंड में इसका काफी विरोध किया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, पोलैंड सरकार द्वारा संचालित पोलिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने घरेलू बिल्लियों को "आक्रामक विदेशी प्रजाति" के रूप में वर्गीकृत किया है।
बिल्लियों को बताया एलियंस की प्रजाति
रिपोर्ट के मुताबिक, पोलिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के वैज्ञानिक वोज्शिएक सोलार्ज़ ने बिल्लियों को एलियंस की प्रजाति करार दिया है और उन्होंने कहा है कि, आसपाल जो पक्षियों और जानवरों को नुकसान होता है, उसके लिए बिल्लियां ही जिम्मेदार हैं। एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, सोलर्ज़ ने समझाते हुए कहा कि, वैज्ञानिक समुदाय का एक बड़ा हिस्सा है मानता है, कि बिल्लियों का जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और इसके शिकार पैटर्न पर्यावरण को महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचा रहे हैं। नतीजतन, उन्हें अकादमी के प्रकृति संरक्षण संस्थान ने "विदेशी प्रजातियों" के राष्ट्रीय डेटाबेस में शामिल करने का फैसला लिया है।
बिल्ली प्रेमियों ने किया विरोध
घर की बिल्लियों को "आक्रामक विदेशी प्रजाति" के रूप में परिभाषित करने का फैसला दुनिया भर में बिल्ली प्रेमियों के साथ अच्छा नहीं रहा है और लोगों ने इंस्टीट्यूट के इस फैसले को ऑनलाइन ट्रोल करना शुरू कर दिया है और संस्थान को बहुत आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। एसोसिएट प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, टीवी डिबेट में सोलर्ज़ की भी आलोचना की जा रही है, लेकिन वैज्ञानिक सोलर्ज ने अपना रुख बरकरार रखा है और उन्होंने अपने इस फैसले के पीछे तर्क दिया है, कि "पोलैंड में हर साल बिल्लियां लगभग 14 करोड़ पक्षियों को मारती हैं"।
संस्थान ने किया अपना बचाव
संस्थान ने भी अपने रुख का बचाव किया है और संस्थान की तरफ से आधिकारिक वेबसाइट पर इस विवाद के बारे में विस्तार से बताया गया है और कहा गया है, कि ये निष्कर्ष यूरोपीय संघ के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। हालांकि, लोगों को संस्थान का ये तर्क जंच नहीं रहा है और लोगों का कहना है कि, भला बिल्लियों को एलियंस की प्रजाति कैसे घोषित किया जा सकता है।
संस्थान का तर्क क्या है?
इंस्टीट्यूट ने जो आधिकारिक बयान अपने वेबसाइट पर डाला है, उसमें कहा गया है कि, आम घर की बिल्ली को लगभग 10,000 साल पहले मध्य पूर्व में सबसे अधिक पालतू बनाया गया था और इसके परिणामस्वरूप, उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यूरोप के लिए "कड़ाई से" एक "विदेशी प्रजाति" मानना गलत नहीं होगा। "।
एलियंस को लेकर अलग अलग सिद्धांत
एलियन के बारे में कहा जाता है, कि उनके पास काफी उन्नत टेक्नोलॉजी हो सकती है, ऐसे में सवाल ये उठते हैं, कि आखिर एलियंस कहां हैं और वो धरती को क्यों खोज नहीं पाए हैं? इस विचार को बाद में फर्मी पैराडॉग्स के नाम से जाना गया। और इस विचार ने वैज्ञानिकों को सोचने के लिए मजबूर किया, कि आखिर धरती तक एलियन क्यों नहीं पहुंच पाए हैं और धरती तक पहुंचने में उन्हें कौन रोक रहा है? पिछले दिनों दो वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च के आधार पर कहा था, कि, भले ही एलियन सभ्यता इंसानों के मुकाबले काफी ज्यादा उन्नत क्यों ना हो, फिर भी उनकी एक सीमा रेखा है और उनकी क्षमता पृथ्वी ग्रह को खोजने और यहां तक पहुंचने की नहीं है। उन्होंने कहा कि, उन्नत टेक्नोलॉजी होने के बाद भी उनकी क्षमता का विकास इस स्तर का नहीं हो पाया है, कि वो पृथ्वी तक पहुंच सके। उन्होंने कहा है, इंसानों की तरह ही एलियन की भी अनेक सभ्यताएं आती हैं और फिर खत्म हो जाती हैं, जैसा ही पृथ्वी पर होता है।
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