पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात, क्या इस बार परमाणु डील पर बनेगी बात
सेंट पीटर्सबर्ग। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की मीटिंग हुई है। दोनों नेता आज भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन के दौरान बातचीत करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस दौरे का आज पहला दिन है और पीएम मोदी ने दौरे की शुरुआत पर पिसकारव्योवस्कोये मेमोरियल पर जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी एक और दो जून तक रूस में होंगे। यहां पर वह रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के साथ रूस-भारत वार्षिक सम्मेलन में चर्चा करेंगे।
डील पर टिकीं सबकी नजरें
पीएम मोदी रूस के दो दिवसीय दौरे पर हैं और वह यहां पर भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन के लिए शिरकत करने आए हैं। उनके इस दौरे पर सबकी नजरें दोनों देशों के बीच होने वाली परमाणु डील पर टिकी हुई हैं। रूस चाहता है कि भारत कुनडानकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट की दो यूनिट्स के लिए एक डील साइन करे।
जारी है बातचीत
अधिकारियों की मानें पावर प्लांट की यूनिट नंबर पांच और छह के लिए आखिरी मिनट की बातचीत जारी है। दोनों रिएक्टर्स को भारत के न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और रूस की एटाम्सट्रायेक्सपोर्ट कंपनी की ओर से निर्मित किया जा रहा है। यह कंपनी रूस के संस्था रोसाटॉम की ही एक शाखा है।
रूस को दी है भारत ने चेतावनी
भारत ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में अपनी एंट्री पर पुराने साथी रूस को भी चेतावनी दे दी है। भारत ने अपने इस पुराने रणनीतिक साझीदार को साफ कर दिया है कि अगर उसे अगले एक दो वर्षों के अंदर एनएसजी की पूरी सदस्यता नहीं मिली तो फिर वह सभी विदेशी साझीदारों के लिए उनके सिविल न्यूक्लियर प्रोग्राम को रोक दिया जाएगा।
रूस के डिप्टी पीएम और मोदी की मीटिंग
राष्ट्रपति पुतिन से मिलने से पहले पीएम मोदी ने रूस के उप-प्रधानमंत्री दीमित्री रोजोगिन से मुलाकात की थी। सूत्रों की ओर से जानकारी दी गई थी कि इस मुलाकात में ही पीएम मोदी ने इस पावर प्लांट्स को लेकर रूस को चेतावनी दे डाली थी। इन्हीं रिएक्टर्स पर एमओयू साइन करने के मकसद से रोजोगिन ने पीएम मोदी से मुलाकात की थी।
भारत ने दिया दो टूक जवाब
भारत ने मुलाकात के दौरान रूस को साफ कह दिया है कि एनएसजी सदस्यता न मिलने की हालत में उसके पास देसी तरीक से ऊर्जा उत्पादन के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह जाएगा। रूस कई बार इस बात के लिए कोशिशें कर चुका है कि भारत इस एमओयू को साइन करे।
साझेदारी को मजबूत करने वाली डील
इस एमओयू को पिछले वर्ष अक्टूबर माह में गोवा में हुई ब्रिक्स समिट में साइन किया जाना था और अभी तक इस पर कुछ भी नहीं हो सका है। जिस एमओयू को लेकर रूस चिंतित है वह भारत और रूस की रणनीतिक साझीदारी को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है।
एनएसजी सदस्यता पर टिका डील का भविष्य
भारत ने हर तरीके से रूस से अपील की थी कि वह चीन से भारत की सदस्यता के मुद्दे पर चर्चा करे। चीन, भारत की एनएसजी के रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट है। भारत को लगता है कि रूस ने उसकी सदस्यता को लेकर चीन को रजामंद करने की दिशा में कोई खास कदम नहीं उठाए हैं।
12 समझौतों की उम्मीद लेकिन डील सबसे अहम
रूस और भारत के बीच 12 समझौतों के होने की उम्मीद है जिसमें साइंस टेक्नोलॉजी से लेकर रेलवे, कल्चरल एक्सचेंज और कई अहम व्यवसायों से जुड़े समझौते शामिल हैं। लेकिन अगर भारत और रूस के बीच न्यूक्लियर डील साइन हो जाती है तो फिर यह एक मील का पत्थर होगी। पिछले वर्ष अक्टूबर में गोवा दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बातचीत हुई थी। उस समय भी यह डील समिट का केंद्र थी और फिर से एक बार यही डील इस सम्मेलन का केंद्र बिंदु है।
बिजली की समस्या से मिलेगा छुटकारा
अगर यह डील साइन हो जाती है तो फिर दोनों यूनिट्स की मदद से टोटल 1000 मेगावॉट की बिजली का उत्पादन हो सकेगा और यह उत्पादन देश में बिजली की समस्या हो दूर करने में कारगर साबित हो सकेगा।