फाइजर और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगने के बाद 2-3 महीने में तेजी से घट सकती है एंटीबॉडी- स्टडी
लंदन, जुलाई 27। कोरोना वैक्सीन फाइजर और एस्ट्राजेनेका को लेकर हुई एक स्टडी में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। दरअसल, द लांसेट जर्नल पत्रिका में प्रकाशित इस स्टडी के नतीजों में सामने आया है कि फाइजर और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की कंप्लीट डोज लगने के 6 हफ्ते के बाद एंटीबॉडी का लेवल गिरना शुरू हो सकता है और धीरे-धीरे 10 सप्ताह के बाद एंटीबॉडी का स्तर 50 प्रतिशत से भी नीचे जा सकता है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने की स्टडी
UK में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने इस स्टडी को किया है। उन्होंने स्टडी में पाया कि अगर एंटीबॉडी का स्तर इतनी तेजी से गिरता है तो ये वाकई बहुत चिंता वाली बात है। साथ ही नए वेरिएंट के खिलाफ इसके सुरक्षात्मक प्रभाव भी कम हो सकते हैं। हालांकि शोधकर्ताओं ने कहा है कि नए वेरिएंट के खिलाफ दोनों वैक्सीन के सुरक्षात्मक प्रभाव कितनी जल्दी कम होंगे, इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। आपको बता दें कि ये स्टडी 18 साल और उससे अधिक उम्र के 600 से अधिक लोगों पर की गई है।
फाइजर की वैक्सीन से अधिक बनता है एंटीबॉडी का लेवल
इस स्टडी में पाया गया है कि एस्ट्राजेनेका की दोनों डोज की तुलना में फाइजर की दोनों डोज लेने के बाद एंटीबॉडी का स्तर काफी अधिक होता है। आपको बता दें कि भारत में एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड के नाम से वैक्सीन लगाई जा रही है। शोधकर्ताओं ने कहा है कि जो कोरोना से रिकवर हुए लोगों की तुलना में वैक्सीन की दोनों डोज लेने वाले लोगों में एंटीबॉडी का स्तर काफी अधिक होता है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन ऑफ हेल्थ इंफॉर्मेटिक्स की मधुमिता का कहना है कि शुरुआत में एस्ट्राजेनेका और फाइजर वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद एंटीबॉडी का स्तर बहुत अधिक था, जो कि कोरोना के गंभीर मरीज को भी सुरक्षा प्रदान करता था, लेकिन अब देखा गया है कि 2-3 महीने के बाद उस एंटीबॉडी स्तर में गिरावट आ रही है। हालांकि अभी ये स्पष्ट नहीं है कि ये गिरावट कितनी आती है।