मधुमेह से पीड़ित 40 से अधिक उम्र वालों में कोरोना से अस्पताल में भर्ती होने का खतरा अधिक- शोध
एक अध्ययन में सामने आया है कि टाइप 1 मधुमेह से पीड़ित 40 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्क, जो कोरोना से पीड़ित हैं, उनमें समान श्वसन समस्या वाले बच्चों की तुलना में अस्पताल में भर्ती होने की संभावना सात गुना अधिक है।
नई दिल्ली, 25 सितंबर। मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए एक बुरी खबर है। एक अध्ययन में सामने आया है कि टाइप 1 मधुमेह से पीड़ित 40 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्क, जो कोरोना से पीड़ित हैं, उनमें समान श्वसन समस्या वाले बच्चों की तुलना में अस्पताल में भर्ती होने की संभावना सात गुना अधिक है। एंडोक्राइन सोसाइटी के जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित इस स्टडी के अनुसार, 'जो व्यक्त मधुमेह से पीड़ित हैं (विशेष रूप से 40 से अधिक उम्र वाले), उनमें कोरोना से संबंधित परेशानी होने का खतरा ज्यादा है।'
अध्ययन के अनुसार कोरोना से पीड़ित बच्चों में गंभीर श्वसन संबंधी परेशानियां कम विकसित होती हैं और उनमें कोरोना के लक्षण भी दिखाई नहीं देते। जबकि वयस्कों में इसकी गंभीरता अलग-अलग हो सकती है। कोरोना से पीड़ित वयस्कों में श्वसन संबंधी परेशानियां होने और मौत होने का जोखिम ज्यादा है। अध्ययन के अनुसार, ऐसे वयस्क जिनकी उम्र 40 वर्ष से अधिक है और जो मधुमेह टाइप-1 से जूझ रहे हैं, उनके इलाज में ज्यादा कठिनाइयां हैं। इस अध्ययन में मधुमेह टाइप-1 से संक्रमित 767 लोगों को शामिल किया गया, जिसमें 50 प्रतिशत लोग 18 से कम उम्र के थे, 32 प्रतिशत 19-40 वर्ष, 14 प्रतिशत 40 से अधिक उम्र के थे।
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स्टडी में सामने आया कि 40 से अधिक उम्र वालों में कम उम्र के लोगों की अपेक्षा अस्पताल में भर्ती होने का खतरा 7 गुना ज्यादा था। शोध में शामिल 18 से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई, जबकि 40 से अधिक उम्र के 3 लोगों की मौत हो गई। वहीं 19-40 के 2 लोगों की मौत हुई। युवा लोगों की तुलना में इस समूह के लोगों में मोटापा, हाई ब्लडप्रेशर या ह्रदय रोग और क्रोनिक किडनी रोग का प्रसार काफी ज्यादा था। इस अध्ययन का उद्देश्य टाइप-1 मधुमेह से जूझ रहे लोगों में कोरोना के खराब परिणाम को रोकना है।