पाकिस्तानः ईशनिंदा कानून की आड़ में हिन्दुओं और अहमदिया समुदाय पर बढ़ा अत्याचार, आए चौंकाने वाले आंकड़े
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की लगातार हत्या की जा रही है। ईशनिंदा, इस्लाम में धर्मांतरण और अन्य सांप्रदायिक मतभेदों के नाम पर अमानवीय घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है।
इस्लामाबाद, 23 अगस्तः पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की लगातार हत्या की जा रही है। ईशनिंदा, इस्लाम में धर्मांतरण और अन्य सांप्रदायिक मतभेदों के नाम पर अमानवीय घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। यही कारण हिन्दू, सिख और अहमदिया समुदाय की गिनती तेजी से घट रही है और कुछ तो समाप्त होने के कगार पर हैं। आंकड़े गवाह हैं कि सिर्फ पंजाब प्रांत में ही साल भर में ही ईशनिंदा के आरोप में 585 लोगों पर मामला दर्ज किया जा चुका है।
सफाई कर्मी पर किया हमला
हाल ही में, एक अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के एक व्यक्ति पर रविवार को पाकिस्तान के हैदराबाद में ईशनिंदा के एक फर्जी मामले में मामला दर्ज किया गया था। उस व्यक्ति की पहचान अशोक कुमार के रूप में हुई, जो पाकिस्तान में हैदराबाद के सदर में राबिया केंद्र में रहने वाला एक सफाई कर्मचारी था और उस पर हिंसक भीड़ ने हमला किया था। पाकिस्तान में ईशनिंदा का मामला नया नहीं है। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के अनुसार, पंजाब से भारी बहुमत के साथ, 2021 में ईशनिंदा के आरोप में कम से कम 585 लोगों पर मामला दर्ज किया गया था।
अहमिदिया समुदाय के उत्पीड़न का बना जरिया
अहमदिया समुदाय के डेटा से संकेत मिलता है कि इस समुदाय के खिलाफ धार्मिक आधार पर पंजाब में 100 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें मुस्लिम के रूप में खुद को पेश करना, उनके धर्म का प्रचार करना और ईशनिंदा के आरोप शामिल थे। एचआरसीपी के अनुसार, अहमदिया समुदाय के कम से कम तीन सदस्य अलग-अलग लक्षित हमलों में मारे गए।
मुस्लिम भी ईशनिंदा कानून के हो रहे शिकार
ऐसा नहीं है कि ब्लासफेमी कानून का शिकार सिर्फ अल्पसंख्यक ही हो रहे हैं। इसके शिकार मुस्लिम भी हुए हैं। ईसाई संस्था नेशनल कमीशन फार जस्टिस एंड पीस ने पाकिस्तान में 1987 से 2018 तक ईशनिंदा के खिलाफ दर्ज हुए मामलों का डाटा तैयार किया है। इस डाटा के अनुसार, 2018 तक देश में 776 मुस्लिमों, 505 अहमदिया, 229 ईसाइयों और 30 हिंदुओं पर ईशनिंदा कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है। पाकिस्तान में सख्त ईशनिंदा कानून के तहत मौत की सजा तक का प्रावधान है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के किसी भी देश की तुलना में पाकिस्तान में सबसे अधिक ईशनिंदा कानून का दुरुपयोग होता है।
धर्म परिवर्तन का पैटर्न
जबरन धर्म परिवर्तन के संबंध में, पाकिस्तान के पंजाब में 2020 में 13 मामले थे जो बढ़कर 2021 में 36 हो गए। 2021 के दौरान सिंध के विभिन्न हिस्सों से जबरन धर्मांतरण की खबरें आती रहीं। जबरन धर्म परिवर्तन करने वालों में से अधिकांश निम्न-जाति या अनुसूचित-जाति के हिंदू और ईसाई थे। इस तरह के मामलों में पैटर्न हमेशा एक सा है। एक हिंदू परिवार की एक लड़की का अपहरण कर लिया जाता है और कुछ दिनों या हफ्तों बाद, वह एक अदालत के सामने पेश होती है या दुनिया को एक वीडियो संदेश के माध्यम से सूचित करती है कि उसने एक मुस्लिम व्यक्ति से प्यार से शादी की है और इस्लाम धर्म अपना लिया है। एक निश्चित धार्मिक स्कूल या मौलवी के प्रमाण पत्र को धर्मांतरण का संकेत देने वाले साक्ष्य के रूप में दिखाया जाता है।
बौद्धों का तो अस्तित्व ही नहीं माना जाता
सिंध में नौशेरो फिरोज जिले के महराबपुर कस्बे के एक सेवानिवृत्त प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक जुमान भील ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में हिंदुओं, ईसाइयों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए एक निश्चित कोटा है, लेकिन बौद्धों के लिए कुछ भी नहीं है। पाकिस्तानी बौद्ध समुदाय को राष्ट्रीय जनगणना में एक विशिष्ट धार्मिक समूह के रूप में और शैक्षिक और सरकारी नौकरी कोटा से बाहर रखा गया है।
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