सावधान! मोटे लोगों में प्रोस्टेट कैंसर से मौत का खतरा ज्यादा, रिपोर्ट में खुलासा
नई दिल्ली, 6 मई। मोटे लोगों को सावधान हो जाने की जरूरत है। एक व्यक्ति की कमर 10 सेंटीमीट (चार इंच) बढ़ने पर प्रोस्टेट कैंसर से मरने का खतरा 7 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। मोटापे और बीमारी के संबंध को लेकर किए गए एक नए अध्ययन में ये बात सामने आई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में दूसरा सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर है।
25
लाख
पुरुषों
को
अध्ययन
में
किया
गया
शामिल
मोटापे
के
खतरे
का
पता
लगाने
के
लिए
शोधकर्ताओं
ने
इस
विषय
पर
अब
तक
प्रकाशित
सभी
प्रासंगिक
अध्ययनों
की
जांच
की,
जिसमें
25
लाख
पुरुषों
को
शामिल
किया
गया।
वहीं
ब्रिटेन
में
2
लाख
से
अधिक
पुरुषों
पर
नए
डेटा
का
विश्लेषण
किया
गया।
बीएमसी
मेडिसिन
जर्नल
में
प्रकाशित
अध्ययन
के
अनुसार,
बॉडी
मास
इंडेक्स
(बीएमआई)
में
प्रत्येक
पांच
अंकों
की
वृद्धि
के
साथ
प्रोस्टेट
कैंसर
से
मौत
का
खतरा
10
प्रतिशत
बढ़
गया।
शोध का नेतृत्व करने वाले ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की पोषण महामारी विशेषज्ञ औरोरा पेरेज़-कॉर्नागो ने कहा कि अगर पुरुषों ने अपने बीएमई में 5 अंक घटा दिए तो हर साल कैंसर से 1300 जान बच सकती है।
समाचार एजेंसी एएफपी से उन्होंने कहा "साफ संदेश है कि पुरुष स्वस्थ वजन अपनाएं।"
प्रोस्टेट
कैंसर
के
लिए
मोटापा
जिम्मेदार?
इसके
पहले
के
अध्ययन
में
कहा
गया
था
कि
प्रोस्टेट
कैंसर
के
लिए
कुल
वजन
की
तुलना
में
पेट
की
चर्बी
अधिक
महत्वपूर्ण
हो
सकती
है।
लेकिन
पेरेज
ने
कहा
कि
उन्होंने
पाया
है
कि
इससे
कोई
फर्क
नहीं
पड़ता
कि
चर्बी
कहां
पर
है।
हालांकि यह अभी भी अज्ञात है कि क्या मोटापा सीधे प्रोस्टेट कैंसर के विकसित होने की वजह बनता है। पेरेज इस विषय पर और शोध कर रही हैं लेकिन अभी नतीजों के लिए इंतजार करना होगा।
उन्होंने कहा "अभी तक हम इस बारे में नहीं जानते, क्योंकि यह भी संभव है कि मोटापे से ग्रस्त पुरुषों में बाद के चरण में प्रोस्टेट कैंसर का पता चल सकता है।" उन्होंने आगे कहा "बाद के चरण में अगर इसका पता चलता है तो ट्यूमर अधिक आक्रामक होने की संभावना है और उनके जीवित रहने की संभावना कम हो सकती है।"
प्रोस्टेट
कैंसर
के
लक्षण
पेरेज
ने
कहा
कि
मोटे
पुरुषों
में
प्रोस्टेट
कैंसर
का
अक्सर
बाद
में
पता
चलना
स्वास्थ्य
के
प्रति
लापरवाही
दिखाता
है।
उन्होंने
कहा
यदि
रात
में
बार-बार
टॉयलेट
जाना
पड़ता
है
तो
यह
प्रोस्टेट
कैंसर
का
एक
प्रमुख
लक्षण
है।
इस अध्ययन को कैंसर रिसर्च यूके ने कराया था और इसे नीदरलैंड में मोटापे पर आयोजित यूरोपीय कांग्रेस में प्रस्तुत किया गया था।
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