प्रवासी मुद्दे पर एक और देश ट्रंप के निशाने पर
इस काफ़िले में शामिल लोगों ने मीडिया से कहा है कि वो मैक्सिको या अमरीका में शरण मिलने की उम्मीद कर रहे हैं. इसी बीच मैक्सिको की प्रवासन एजेंसी ने एक बयान जारी कर कहा है कि समूह में शामिल लोगों को व्यक्तिगत तौर पर प्रवासी नियमों पर खरा उतरना होगा. इसके बाद ही उन्हें देश की सीमा पार करने की जाएगी.
रविवार को होंडुरास में अमरीकी दूतावास ने एक बयान में कहा था कि वह इस काफ़िले को लेकर चिंतित है जो अमरीका में दाख़िल होने के झूठे वादे को आधार मान कर सफर पर निकल पड़ा है.
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने प्रवासियों के एक समूह के अमरीका की ओर बढ़ने के मुद्दे पर होंडुरास को दी जाने वाली वित्तीय मदद रोकने की धमकी दी है.
मंगलवार को किए गए एक ट्वीट में ट्रंप ने कहा कि होंडुरास के राष्ट्रपति को बताया गया है कि यदि इस समूह को नहीं रोका गया तो उनके देश को मिल रही वित्तीय मदद तुरंत रोक दी जाएगी.
होंडुरास ग़रीबी और भ्रष्टाचार से प्रभावित देश हैं. हत्याओं की दर के मामले में ये दुनिया के सभी देशों में सबसे आगे है.
यहां से हिंसा और ग़रीबी से प्रभावित प्रवासियों का एक समूह अमरीकी सीमा की ओर बढ़ रहा है.
160 लोगों के इस समूह ने शुक्रवार को सेन पेड्रो सूला नाम के शहर से मार्च शुरू किया था और सप्ताहांत में इस समूह की संख्या बढ़कर 1500 पहुंच गई.
सरकार के उनका रास्ता रोकने के प्रयास करने के बावजूद रविवार को ये समूह ग्वाटेमाला में दाख़िल हो गया.
इस समूह को अमरीका की ओर बढ़ने से रोकने के लिए ही ट्रंप ने वित्तीय मदद रोकने की धमकी दी है. ये दूसरी बार है जब ट्रंप ने प्रवासियों के मुद्दे पर होंडूरास को चेताया है.
अमरीका की अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी के मुताबिक़ अमरीका ने साल 2016-17 में होंडुरास को 17.5 करोड़ डॉलर की राहत दी थी.
मैक्सिको और अमरीका के अधिकारी प्रवासियों के इस समूह की गतिविधियों पर नज़र रखे हुए हैं.
बीते सप्ताह अमरीकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने केंद्रीय अमरीकी देशों से प्रवासियों को रोकने के लिए और अधिक क़दम उठाने के लिए कहा था.
पेंस ने कहा था, "अपने लोगों से कहिए कि उत्तर की ओर ख़तरनाक यात्रा पर निकलकर और अमरीका में अवैध तरीके से घुसने के प्रयास करके अपने परिवारों को ख़तरे में ना डालें."
https://twitter.com/realDonaldTrump/status/1052183647552491521?
क्यों देश छोड़ रहे हैं होंडुरास के लोग?
होंडुरास में क़रीब 90 लाख लोग रहते हैं. यहां गैंगवार, ड्रग्स अपराध और भ्रष्टाचार ने आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है.
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ यहां की 60 फ़ीसदी से अधिक आबादी ग़रीबी में रहती है.
नवंबर 2017 में हुए राष्ट्रपति चुनाव हिंसा और प्रदर्शनों से प्रभावित रहे. विवादित नतीजों के साथ ह्वान ओरलांडो हर्नांदेज़ दोबारा देश के राष्ट्रपति चुने गए.
होंडुरास के एक राजनेता जारी डिक्सन ने सोमवार को किए एक ट्वीट में कहा, "काफ़िले में शामिल लोग अमरीकी स्वपन के पीछे नहीं बल्कि होंडुरास के नर्क से बचकर भाग रहे हैं."
काफ़िले में शामिल 21 वर्षीय गर्भवती कीलिन उमाना ने समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस से कहा कि अपनी और अपने अजन्मे बच्चे की जान बचाने के लिए होंडुरास छोड़कर जा रही हैं.
सात साल से कम उम्र के अपने तीन बच्चों के साथ जा रहीं 24 वर्षीय एंड्रिया फ़र्नांडेज़ ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि उन्हें अपने देश में कोई काम नहीं मिल रहा है और वो अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.
उन्होंने कहा, "हम राष्ट्रपति ट्रंप के दरवाजे़ पर पहुंच रहे हैं, वो हमें अपने देश में आने देंगे."
इसी साल अमरीका ने होंडुरास के प्रवासियों को अस्थायी संरक्षित स्टेटस को 2020 तक समाप्त करने का ऐलान किया था.
अब इन लोगों का क्या होगा?
इस काफ़िले में शामिल लोगों ने मीडिया से कहा है कि वो मैक्सिको या अमरीका में शरण मिलने की उम्मीद कर रहे हैं. इसी बीच मैक्सिको की प्रवासन एजेंसी ने एक बयान जारी कर कहा है कि समूह में शामिल लोगों को व्यक्तिगत तौर पर प्रवासी नियमों पर खरा उतरना होगा. इसके बाद ही उन्हें देश की सीमा पार करने की जाएगी.
रविवार को होंडुरास में अमरीकी दूतावास ने एक बयान में कहा था कि वह इस काफ़िले को लेकर चिंतित है जो अमरीका में दाख़िल होने के झूठे वादे को आधार मान कर सफर पर निकल पड़ा है.
इससे पहले इसी तरह का एक काफ़िला अमरीकी सीमा तक पहुंचने से पहले रास्ते में ही बिखर गया था.
अगर ये लोग अमरीका के दर तक पहुंचे तो क्या होगा?
अपने देश में हिंसा से बचकर भाग रहे लोग यदि अमरीका पहुंच जाते हैं तो अमरीका उनके शरणार्थी बनने के दावों को सुनने के लिए क़ानूनी तौर पर बाध्य है.
इसी बीच अमरीका के अटार्नी जनरल जेफ़ सेशन्स ने जून में कहा था कि घरेलू हिंसा और गैंगवार से पीड़ित लोगों को शरण के योग्य नहीं माना जाएगा.
हाल के दिनों में अमरीका के कस्टम और सीमा सुरक्षा विभाग पर आरोप लगे हैं कि वो सीमा पर दाख़िल होने के रास्तों तक शरणार्थियों की पहुंच को कम कर रहा है.
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