सावधान! प्लास्टिक पर 8 दिन से अधिक जिंदा रहता है Omicron,त्वचा पर तो रिकॉर्ड तोड़ रहा है-शोध
नई दिल्ली, 26 जनवरी: ओमिक्रॉन इतनी तेजी से क्यों फैल रहा है, उसके सुराग हाथ लग गए हैं। एक शोध में पाया गया है कि इसका वायरस प्लास्टिक की सतह और इंसान की त्वचा पर पहले के सारे वेरिएंट के मुकाबले अप्रत्याशित रूप से बहुत ही अधिक देर तक जिंदा रहता है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि प्लास्टिक की सतह पर तो यह 8 दिनों से भी ज्यादा जिंदा रहता है। इसी तरह अब हैंड हाइजिन का महत्त्व और बढ़ गया है, क्योंकि यह त्वचा पर भी पहले के सभी वेरिएंट की तुलना में कहीं अधिक देर तक जिंदा रह सकता है। त्वचा पर ज्यादा देर तक वायरस के सक्रिय रहने से संक्रमण का खतरा बहुत बढ़ गया है, इसलिए बार-बार पर हाथ की स्वच्छता पर ध्यान देना आवश्यक है।
इसलिए इतना ज्यादा संक्रामक है ओमिक्रॉन!
ओमिक्रॉन वेरिएंट इतना ज्यादा संक्रामक क्यों हो चुका है, इसकी पोल धीरे-धीरे खुल रही है। अब पता चला है कि यह प्लास्टिक की सतह और इंसान की त्वचा पर पहले के सारे वेरिएंट की तुलना में कहीं ज्यादा देर तक जिंदा रहता है। प्लास्टिक सरफेस पर तो यह 8 दिन से भी ज्यादा जिंदा रह सकता है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक हालिया स्टडी में इसके इतना ज्यादा संक्रामक होने की यह एक संभावित वजह मानी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार जापानी शोधकर्ताओं ने लैबोरेटरी टेस्ट में पाया है कि 'उच्च 'पर्यावरणीय स्थिरता' और संक्रामक रहने की इसकी क्षमता ने; हो सकता है कि ओमिक्रॉन को डेल्टा की जगह प्रमुख वेरिएंट का रूप लेने और तेजी से फैलने में मदद की हो।'
प्लास्टिक पर 193.5 घंटे से ज्यादा जिंदा रहता है ओमिक्रॉन
कोरोना वायरस के अबतक के सभी वेरिएंट के प्लास्टिक पर लंबे समय तक जीवित रहने की क्षमता देखिए और फिर सोचिए कि ओमिक्रॉन वेरिएंट चिंता की वजह क्यों बन चुका है। मसलन, कोविड का मूल वेरिएंट 56 घंटे, अल्फा- 191.3 घंटे, बीटा- 156.6 घंटे, गामा- 59.3 घंटे और डेल्टा-114.0 घंटे प्लास्टिक की सतह पर जीवित रहता है। लेकिन, शोध में खुलासा हुआ है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट 193.5 घंटे प्लास्टिक पर जिंदा रहता है, जो कि 8 दिनों से भी ज्यादा का समय हुआ।
त्वचा पर 21.1 घंटे जिंदा रहता है ओमिक्रॉन वेरिएंट
अब त्वचा पर कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के जिंदा रहने का समय देखते हैं। शवों की त्वचा से जो सैंपल लेकर स्टडी की गई है, उसके मुताबिक कोरोना वायरस का मूल रूप (यानी जो चीन के वुहान से निकला था) 8.6 घंटे तक जिंदा रहता है। लेकिन, अल्फा वेरिएंट- 19.6 घंटे, बीटा वेरिएंट- 19.1 घंटे, गामा वेरिएंट- 11.0 घंटे और भारत में दूसरी लहर में तबाही मचाने वाले डेल्टा वेरिएंट- 16.8 घंटे त्वचा पर जीवित रहता है। लेकिन, ओमिक्रॉन वेरिएंट में त्वचा पर वायरस के जिंदा रहने की अवधि सबसे ज्यादा 21.1 घंटे पायी गई है।
सिर्फ 15 सेकंड में निष्क्रिय हो सकता है वायरस
त्वचा से सभी तरह को कोरोना वायरस वेरिएंट को महज 15 सेकंड में अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करके पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है। 'इसलिए शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि 'मौजूदा संक्रमण को कंट्रोल (हाथ की स्वच्छता) करने के लिए डिसइंफेक्टेंट्स के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है, जैसा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रस्तावित कर रखा है।''
देश में 24 घंटों में 2,85,914 नए केस
इस बीच स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक बुधवार सुबह तक 24 घंटों में देश में कोविड संक्रमण के 2,85,914 नए केस आए हैं। इस समय देश में कुल ऐक्टिव केस लोड 22,23,018 है और डेली पॉजिटिविटी रेट 16.16% और साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट 17.33% दर्ज किया गया है। जबकि, भारत में कोविड वैक्सीन की कुल 163.58 डोज लगाई जा चुकी है।