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नेपाल का राजनीतिक संकटः सत्ता की चाबी अब किसके हाथ है?

महतो का कहना है कि ना ही माओवादी केंद्र ने ओली से समर्थन वापस लिया है और ना ही नेपाली कांग्रेस ने उसका समर्थन मांगा है. वो सवाल करते हैं, 'यदि तीनों ही पक्ष हमारी मांगों को पूरा नहीं करते हैं तो हमें सत्ता का ये खेल खेलना ही क्यों चाहिए?' महतो कहते हैं कि उनकी पार्टी तीनों ही पक्षों के साथ अपने मुद्दों पर बातचीत कर रही थी.

By BBC News हिन्दी
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केपी शर्मा ओली
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केपी शर्मा ओली

नेपाल में बीते साल दिसंबर में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के प्रतिनिधि सभा को निलंबित करने के बाद से खड़ा हुआ सियासी संकट अभी टला नहीं है.

सत्ताधारी सीपीएन-यूएमल (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल- यूनिफ़ाइड मार्क्सवादी लेनिनवादी) में हो रही गुटबंदी के बीच जनता समाजवादी पार्टी अपने विकल्प तलाश रही है.

नेपाल में नए सत्ता समीकरणों को साधने के लिए बुलाई गई जनता समाजवादी पार्टी (जसपा) की कार्यकारिणी समिति की बैठक गुरुवार को स्थगित कर दी गई.

पार्टी नेता राजेंद्र महतो ने कहा कि 'होमवर्क' पूरा न होने के कारण बैठक रद्द की गई है.

वहीं एक और नेता गंगानारायण श्रेष्ठ ने बैठक के स्थगन का नोटिस मिलने से पहले बीबीसी से कहा था कि पार्टी प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को विस्थापित करने पर एक राय बना सकती है.

जब राजेंद्र महतो से पूछा गया कि क्या बैठक को पार्टी में आंतरिक स्तर पर शक्ति संतुलन में विवाद होने की वजह से स्थगित किया गया है तो महतो ने हंसते हुए कहा, 'नहीं, नहीं ऐसा नहीं है.'

वहीं सीपीएन-यूएमएल ये कहती रही है कि वह प्रतिनिधि सभा की बहाली के बाद केपी शर्मा ओली के विकल्प की तलाश करेगी. बीते महीने नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए प्रतिनिधि सभा को बहाल कर दिया था.

वहीं नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के अध्यक्ष प्रचंड ये कहते रहे हैं कि नेपाली कांग्रेस को प्रधानमंत्री पद दिया जा सकता है लेकिन इसके लिए जसपा का समर्थन अनिवार्य है.

अब सवाल ये है कि जसपा अपना मुंह क्यों नहीं खोल रही है? महतो का कहना है कि ना ही माओवादी केंद्र ने ओली से समर्थन वापस लिया है और ना ही नेपाली कांग्रेस ने उसका समर्थन मांगा है.

वो सवाल करते हैं, 'यदि तीनों ही पक्ष हमारी मांगों को पूरा नहीं करते हैं तो हमें सत्ता का ये खेल खेलना ही क्यों चाहिए?'

महतो कहते हैं कि उनकी पार्टी तीनों ही पक्षों के साथ अपने मुद्दों पर बातचीत कर रही थी.

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वहीं उनकी ही पार्टी के नेता बाबूराम भट्टाराई ने ट्वीट करते हुए कहा, "यदि हम ओली के राज्यसत्ता के सभी अंगों पर कब्ज़ा कर चक्रवर्ती सम्राट बनने के सपने को नहीं तोड़ते हैं और उन्हें पद से नहीं हटाते हैं तो इतिहास हमें माफ़ नहीं करेगा. हमें लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करनी होगी!"

कुछ विश्लेषकों को लगता है कि अब नेपाल में असली सत्ता समीकरण जसपा के हाथ में ही हैं.

हालांकि जसपा नेताओं का ये भी कहना है कि माओवादी केंद्र और नेपाली कांग्रेस को उनके समर्थन की आवश्यक्ता नहीं है क्योंकि माओवादी केंद्र ने सरकार से अपना समर्थन वापस नहीं लिया है और वह ओली सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए भी तैयार नहीं है.

जसपा नेता केशव झा कहते हैं, "ये स्पष्ट नहीं है कि इतनी गलतफहमी के बावजूद नई सरकार क्यों नहीं बनी."

वो ज़ोर देकर कहते हैं कि उनका कबूलनामा मजबूर करके प्राप्त किया गया था. झा कहते हैं कि उनकी पार्टी अपनी मांगों को पूरा करने की नीति पर चल रही है.

नेपाली कांग्रेस क्यों झिझक रही है?

नेपाल में प्रतिनिधि सभा की बहाली के बाद ये कयास लगाए गए थे कि प्रचंड और ओली दोनों ही नेपाली कांग्रेस को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव देंगे.

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नेपाली कांग्रेस, जिसकी सत्ता में आने के लिए जल्दबाज़ी करने के लिए आलोचना होती रही है, उसने इस बार अभी तक सरकार बनाने का प्रयास नहीं किया है.

पार्टी चेयरमैन शेर बहादुर देउबा के करीबी रमेश लेखक के मुताबिक माओवादी केंद्र ने नेपाली कांग्रेस को सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया है.

हालांकि सवाल ये है कि कांग्रेस अभी भी सरकार बनाने से क्यों झिझक रही है?

रमेश लेखक के मुताबिक अभी की स्थिति में जसपा के समर्थन के बिना नेपाल में सरकार नहीं बन सकती है.

वहीं नेपाली कांग्रेस के कुछ नेताओं का ये भी कहना है कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का कार्यकाल नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा की ख़ामोशी ने बढ़ा दिया है.

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वहीं रमेश लेखक के मुताबिक नेपाली कांग्रेस अभी भी अपने नेतृत्व में सरकार बनने का ठोस आश्वासन मिलने का इंतज़ार कर रही है.

लेखक कहते हैं, "अविश्वास प्रस्ताव लाने से पहले हमें ये सुनिश्चित करना है कि नेपाली कांग्रेस जल्दबाज़ी में ऐसा कोई फैसला ना ले ले जिस पर बाद में पछताना पड़े."

एक और जहां कांग्रेस प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है, दूसरी तरफ़ जसपा प्रधानमंत्री का समर्थन करने के जोख़िम का आंकलन कर रही है.

हालांकि जसपा के कुछ नेताओं का ये भी मानना है कि अभी पार्टी के पास प्रधानमंत्री ओली का समर्थन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

माना जाता है कि जसपा ओली के नेतृत्व की सरकार के करीब है.

वहीं कुछ नेताओं का विचार है कि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल के असंतुष्ट समूह यूएमएल के प्रधानमंत्री ओली के ख़िलाफ़ एक और क़दम उठाने की संभावना है.

इन नेताओं का कहना है कि विपक्षी दलों के अपने खतरों और अविश्वास के कारण ही ओली की सरकार चल रही है.

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English summary
Nepal's Political Crisis: Who Has The Key To Power Now
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