नाज़नीन ज़घारी रैटक्लिफ़: ईरान ने इस ब्रितानी महिला को 6 साल तक अपनी जेल में क्यों बंद रखा?
ईरानी अधिकारियों ने दावा किया था कि नाज़नीन तेहरान में ईरान सरकार के तख़्तापलट की साजिश रच रही थीं लेकिन उनके ख़िलाफ़ लगाए गए आरोपों को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया.
ईरान सरकार ने ईरानी मूल की ब्रितानी नागरिक नाज़नीन ज़घारी रैट्क्लिफ़ को छह साल तक हिरासत में रखने के बाद बीते बुधवार रिहा कर दिया है.
नाज़नीन को साल 2016 में ईरान सरकार ने कथित रूप से जासूसी करने के मामले में हिरासत में लिया था.
ईरानी अधिकारियों ने दावा किया था कि नाज़नीन तेहरान में ईरान सरकार के तख़्तापलट की साजिश रच रही थीं लेकिन उनके ख़िलाफ़ लगाए गए आरोपों को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया.
नाज़नीन के ख़िलाफ़ क्या थे आरोप
ईरान के रिवॉल्युशनरी गार्ड्स ने इस मामले में दावा किया था कि नाज़नीन अपनी ईरान यात्रा के दौरान विदेश से जुड़े एक विरोधी नेटवर्क का नेतृत्व कर रही थीं.
वहीं, नाज़नीन का कहना था कि वह ईरानी नववर्ष मनाने के लिए अपनी बेटी गेबरिएला के साथ माता-पिता के घर तेहरान पहुंची थीं.
इस मामले में थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के साथ साथ बीबीसी मीडिया एक्शन ने बयान जारी करके बताया था कि वह ईरान में काम के सिलसिले से नहीं बल्कि छुट्टियां मनाने गई थीं.
नाज़नीन ने साल 2021 में परोल पर रहते हुए अपनी सज़ा का अंतिम साल तेहरान स्थित अपने माता-पिता के घर पर बिताया.
लेकिन इसके बाद ईरान सरकार के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार करने से जुड़े एक मामले में दोषी पाए जाने के बाद उन्हें एक साल जेल की सज़ा और एक साल का यात्रा प्रतिबंध लगाया गया.
नाज़नीन ने इस फ़ैसले को चुनौती देते हुए अपील दायर की लेकिन इस कोशिश में वह सफल न हो सकीं.
ब्रितानी विदेश मंत्री लिज़ ट्रस ने इस फ़ैसले की निंदा करते हुए इसे नाज़नीन के साथ बरती जा रही क्रूरता की भयावह निरंतरता बताया था.
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कब और कैसे की गईं गिरफ़्तार
ईरान ने नाज़नीन को साल 2016 में हिरासत में लिया गया था जिसके बाद अप्रैल से जून तक उनसे गहन पूछताछ की गई और एकांत कारावास में रखा गया था.
इसके बाद सितंबर 2016 में तेहरान की रिवॉल्युशनरी कोर्ट ने उन्हें पांच साल क़ैद की सज़ा सुनाई.
नाज़नीन ने इस मामले में साल 2017 के अप्रैल महीने ईरान की सुप्रीम कोर्ट में में अपील दर्ज की गई लेकिन उनके हाथ निराशा लगी.
इसके बाद अगस्त 2018 में उन्हें तीन दिन के लिए रिहा किया गया जिससे वह अपनी बेटी गेबरिएला से मिल सकीं.
साल 2019 के जनवरी महीने में मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं मिलने पर नाज़नीन ने तीन दिन तक भूख हड़ताल शुरू की.
इसके बाद 2019 के जून महीने में ही बिना शर्त रिहाई के लिए उन्होंने 15 दिनों की भूख हड़ताल की.
साल 2020 के मार्च महीने में महामारी की वजह से उन्हें जेल से अस्थाई रूप से रिहा किया गया. इसके बाद से वह तेहरान में अपने माता-पिता के घर पर रहीं.
साल 2020 के सितंबर महीने में उन्हें बताया गया कि उन्हें एक अन्य मामले में कानूनी मुकदमे का सामना करना पड़ेगा.
साल 2021 के अप्रैल में उन्हें फिर एक साल जेल की सज़ा सुनाई गयी. साल 2021 के अक्टूबर महीने में उन्होंने दूसरी बार अपील की लेकिन इस बार भी उनके हाथ निराशा लगी.
इसके बाद मार्च 2022 में नाज़नीन को रिहा कर दिया गया और वह ब्रिटेन वापस लौट रही हैं.
आख़िर क्या था मामला?
नाज़नीन के रिचर्ड रैट्क्लिफ़ पिछले काफ़ी समय से अपनी पत्नी की रिहाई के लिए मुहिम चला रहे थे. और इस दौरान वह लंदन में अपनी बेटी के साथ रह रहे थे.
रिचर्ड रैट्क्लिफ़ ने अपनी पत्नी की सज़ा को लेकर बताया था कि उनकी पत्नी से कहा गया है कि उनकी हिरासत की वजह ईरान और ब्रिटेन के बीच 1970 के दशक से चला आ रहा कई मिलियन पाउंड का विवाद है. और नाज़नीन को हिरासत में रखकर ईरान ब्रिटेन पर इस विवाद का समाधान करने का दबाव बनाना चाहता था.
ईरान का दावा था कि ब्रिटेन को 1500 चीफ़्टेन टैंक के लिए दिए गए पैसे को वापस लौटाना चाहिए.
बता दें कि ईरान ने सत्तर के दशक में ब्रिटेन से 1500 चीफ़्टेन टैंक ख़रीदने के लिए अग्रिम भुगतान किया था.
लेकिन ब्रिटेन ने ये टैंक ईरान को नहीं दिये और इसके बदले में अग्रिम भुगतान भी वापस नहीं किया. ऐसे में ईरान का दावा था कि ब्रिटेन को 400 मिलियन पाउंड की रकम लौटानी होगी.
नाज़नीन की रिहाई के बारे में सूचना देते हुए ट्रस ने बताया कि इस रकम को ब्रितानी और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और विधिक नियमों के तहत चुका दिया गया है.
उन्होंने बताया कि इस बारे में ईरान के साथ ओमान की मदद से पिछले कुछ महीनों से बातचीत जारी थी.
इसके बाद जानकारी सामने आई है कि नाज़नीन ओमान से होते हुए ब्रिटेन लौट रही हैं.
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