म्यांमार में मिलिट्री शासन और आपातकाल के बाद गृहयुद्ध छिड़ने की आशंका, सभी उड़ाने रद्द
म्यांमार में सत्ता हथियाने के बाद सेना ने देश में एक साल के लिए आपातकाल लगाते हुए सभी अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर पाबंदी लगा दी है। म्यांमार में गृहयुद्ध छिड़ने की आशंका जताई गई है
Military rule in Myanmar: नेपिडॉ: म्यांमार में सत्ता हथियाने के बाद सेना ने देश में एक साल के लिए आपातकाल (Emergency) लगाते हुए सभी अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों (Flights ban in Myanmar) पर पाबंदी लगा दी है। म्यांमार में स्थित अमेरिकी दूतावास (American Embassy) की तरफ से ट्विटर के जरिए ये जानकारी दी गई है कि यंगून स्थित इंटरनेशनल एयरपोर्ट जाने वाले सबसे व्यस्त रास्ते को बैरिकेट कर बंद कर दिया है। अमेरिकी दूतावास की तरफ से ये भी कहा गया है कि हमें रिपोर्ट मिले हैं सभी उड़ानों पर पाबंदी लगा दी गई है।
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म्यांमार में गृहयुद्ध छिड़ने की संभावना!
म्यांमार स्थिति अमेरिकी दूतावास ने सिक्योरिटी अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि म्यांमार के तमाम आंग सान सू समेत तमाम बड़े नेता हिरासत में रखे गये हैं और कई इलाकों में इंटरनेट पर भी पाबंदी लगा दी गई है। अमेरिकी दूतावास ने आशंका जताई है कि म्यांमार में जो हालात बन रहे हैं वो देश को गृहयुद्ध की तरफ ले जा सकता है। इससे पहले म्यांमार की मिलिट्री टेलीविजन ने देश में सेना द्वारा तख्तापलट की जानकारी देते हुए कहा कि देश में सेना ने देश की सत्ता अपने हाथों में ले ही है साथ ही देश में एक साल के लिए आपातकाल लगाया गया है।
'मिलिट्री राज' के पीछे सेना की दलील
म्यांमार में सेना द्वारा नियंत्रित टेलीविजन पर देश में आपातकाल की घोषणा करते हुए कहा गया कि म्यांमार की संविधान के अनुच्छेद 417 के तहत म्यांमार की सेना कभी भी देश में आपातकाल की स्थिति में देश की सत्ता को अपने हाथ में लेने के लिए स्वतंत्र है। म्यांमार में जो सरकार थी उसने कोरोना वायरस संक्रमण रोकने में लापरवाही बरती है लिहाजा सरकार को सत्ता से बेदखल करते हुए सेना सत्ता की बागडोर अपनी हाथों में ले रही है। म्यांमार की सेना का कहना है कि 2008 में देश की संविधान का नया ड्राफ्ट सेना ने तैयार किया था और उसी के तहत देश की सत्ता पर सेना काबिज हुई है।
सेना का यह भी दावा है कि म्यांमार की संविधान के मुताबिक संसद की 25 प्रतिशत सीटों को सेना के लिए रिजर्व रखा गया है जो जनता की चुनी हुई सरकार की शक्तियों को सीमित करता है साथ ही सेना को जनता की चुनी हुई सरकार को कभी भी बेदखल करने का अधिकार देता है। म्यांमार में जो संकट पैदा हुआ है और जो म्यांमार को गृहयुद्ध की आग में धकेल सकता है, उसके पीछे जिस व्यक्ति का हाथ है, उनका नाम है सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग और वो म्यांमार की सेना के कमांडर इन चीफ हैं।
विद्रोह कुचलने की कोशिश
जानकारों के मुताबिक, सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग 2011 में सेना के चीफ बने थे और जल्द ही वो अपने पद से हटने वाले थे लिहाजा उन्होंने जान बूझकर म्यांमार की सत्ता को हथिया लिया है। वहीं, म्यांमार सेना के अंदर मौजूद सूत्रों का कहना है कि सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग के खिलाफ सेना के अंदर आवाजें उठनी शुरू हो गईं थीं जिसे कुचलने के लिए सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग ने देश में मिलिट्री शासन थोप दिया है। सेना ने एक साल के लिए सरकार के प्रमुख के रूप में एक पूर्व सैन्य अधिकारी और देश के उपराष्ट्रपति म्यिंट स्वे को देश का कमान सौंपा है।
नवंबर के चुनावों में आंग सान सू की पार्टी ने संसद के संयुक्त निचले और ऊपरी सदनों में 476 सीटों में से 396 पर कब्जा कर लिया। जिसकी पुष्टि खुद म्यांमार के चुनाव आयोग ने की है। मगर, जनरल मिन आंग लाइंग का कहना है कि चुनाव में खुलकर फर्जीवाड़ा किया गया है। म्यांमार सेना ने दावा किया है कि नवंबर में हुए चुनाव के बाद पूरे देश से फर्जीवाड़े के 86 लाख मामले सामने आए हैं। जिसके बाद सेना ने सरकार से कहा था कि सेना द्वारा 2008 में बनाया गया संविधान हर 'संविधान की मां' है और सरकार को इसका सम्मान करना चाहिए।