मंकीपॉक्स का नाम mpox कर दिया गया, WHO ने क्या बताया इसका कारण ? जानिए
Monkeypox new name mpox: मंकीपॉक्स बीमारी के प्रकोप ने कुछ महीने पहले पूरी दुनिया में खलबली मचा दी थी। लेकिन, इस बीमारी के नाम को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे थे। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने किसी जानवर से जुड़े इस नाम को धीरे-धीरे खत्म कर देने का फैसला किया है। इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तय किया है कि अब इस संक्रामक रोग को एमपॉक्स के नाम से जाना जाएगा। आइए जानते हैं कि मंकीपॉक्स नाम क्यों पड़ा और पिछले दिनों इसने कैसे दुनिया भर में तबाही मचाई थी।
मंकीपॉक्स अब हुआ एमपॉक्स
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स का नाम बदलकर एमपॉक्स कर दिया है। एपी की एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह कदम दशकों पुराने पशु से जुड़ी बीमारी के नाम की वजह से उठाया है। सोमवार को संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने एक बयान में कहा कि मंकीपॉक्स का नया पसंदीदा नाम एमपॉक्स होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह भी कहा है कि अगल साल तक मंकीपॉक्स और एमपॉक्स दोनों नामों का इस्तेमाल होगा और धीरे-धीरे पुराना नाम खत्म कर दिया जाएगा।
अगस्त में ग्लोबल इमरजेंसी घोषित किया गया था
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि वह 'नस्लवादी और कलंकित करने वाली भाषा' को लेकर चिंतित था, जो कि 100 से ज्यादा देशों में मंकीपॉक्स के बाद पैदा हुआ था। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि कई लोगों और देशों ने उससे 'नाम बदलने पर विचार करने' को कहा था। अगस्त में यूएन एजेंसी ने मंकीपॉक्स फैलने के बाद इसे ग्लोबल इमरजेंसी घोषित करने के बाद ही विशेषज्ञों से इस बीमारी का नाम बदलने को लेकर चर्चा करनी शुरू कर दी थी।
कैसे फैला था मंकीपॉक्स का प्रकोप ?
अबतक करीब दर्जन भर देशों में 80,000 से ज्यादा मामलों की पहचान हुई है, जहां पहले स्मॉल पॉक्स से संबंधित बीमारी की सूचना नहीं थी। मई तक मंकीपॉक्स के बारे में जाना जाता था कि यह जानवरों से उत्पन्न होता है। और यह मध्य और पश्चिम अफ्रीका से बाहर बड़े पैमाने पर फैला भी नहीं था। अफ्रीका के बाहर लगभग सभी मामले यह गे, बायसेक्सुअल या जो पुरुष दूसरे पुरुषों से यौन संबंध रखते हैं, उन्हीं को होता था। वैज्ञानिकों का मानना है कि पश्चिमी देशों में इसका प्रकोप बेल्जियम और स्पेन में दो रेव पार्टियों में सेक्स की वजह से फैला।
अमीर देशों में वैक्सीनेशन से पाया गया काबू
गर्मी में इस बीमारी का प्रकोप चरम पर था। लेकिन, अमीर देशों में वैक्सीनेशन की कोशिशों से इसपर नियंत्रण पा लिया गया। अफ्रीका में यह बीमारी मुख्य तौर पर उन लोगों को होती है, जो रोडेंट और गिलहरी जैसे संक्रमित जानवरों के संपर्क में आते हैं। मंकीपॉक्स की वजह से अधिकतर मौतें अफ्रीका में ही होती हैं, क्योंकि वहां इसकी वैक्सीन की उपलब्धता नहीं के बराबर है। अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारियों ने चेतावनी दी थी कि वहां इस बीमारी को खत्म करना लगभग नामुमकिन है और गे और बायसेक्सुअल मर्दों की वजह से यह बहुत ही घातक रूप ले सकती है।
मंकीपॉक्स नाम क्यों पड़ा था ?
एमपॉक्स का मंकीपॉक्स नाम पहली बार 1958 में पड़ा। तब डेनमार्क में जिस बंदर पर रिसर्च किया जा रहा था, उसे 'पॉक्स की तरह' की बीमारी हुई थी। वैसे डब्ल्यूएचओ कई बीमारियों का नाम उसके शुरू होने के साथ ही रखता रहा है। जैसे कि सेवियर अक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS) और कोविड-19. ऐसा लगता है कि पहली बार वैश्विक स्वास्थ्य संगठन ने एक बीमारी की शुरुआत के दशकों बाद उसे नया नाम दिया है।
कई रोगों के नाम पर क्षेत्र का प्रभाव
कई और रोगों, जैसे की जपानी एन्सेफलाइटिस, जर्मन मीजल्स, मरबर्ग वायरस और एमईआरएस आदि का नाम भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर तय किया है। जिन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन के अब के फैसले के बाद पूर्वाग्रह से प्रभावित माना जा सकता है। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अभी इनके नाम बदलने को लेकर कुछ भी नहीं कहा है।