मरीज को दो घंटे के लिए मारा, फिर इलाज के बाद कर दिया जिंदा
नई दिल्ली। कभी आपने सुना है कि किसी की मौत के बाद उसे जिंदा कर दिया गया। अमेरिका के डॉक्टरों का दावा है कि वह किसी को मारकर मुर्दा बनाकर इलाज करेंगे। यही नहीं अगर मरीज गंभीर रूप से घायल है, उसे दिल का दौरा पड़ा है या फिर गंभीर चोट लगी है तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। अमेरिका के डॉक्टरों का दावा है कि वह किसी मारकर भी जिंदा कर सकते हैं।
10 लोगों पर सफल परीक्षण
अमेरिका के डॉक्टरों का दावा है कि उन्होंने यह परीक्षण 10 लोगों पर किया है और यह सफल रहा है। अमेरिका के बाल्टीमोर शहर के यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन सेंटर के डॉक्टरों ने दावा किया है कि उन्होंने 10 लोगों पर यह परीक्षण किया है और यह सफल रहा है। डॉक्टरों के परीक्षण की यह रिपोर्ट न्यू साइंटिस्ट मैगजीन में प्रकाशित की गई थी।
गंभीर हालत में कारगर तरीका
सेंटर के डॉक्टर सैम्युएल टिशरमैन और उनकी सर्जिकल टीम ने यह परीक्षण किया है। डॉक्टर ने बताया कि अगर मरीज बेहद गंभीर हालत में है तो कई बार उसकी ऑपरेशन के दौरान मौत हो जाती है, डॉक्टरों को उसे बचाने का पर्याप्त समय नही मिलता। लिहाजा अब डॉक्टर पहले गंभीर रूप से घायल मरीज को पहले मुर्दा बनाएंगे और फिर उसका इलाज करेंगे ताकि मरीज को ठीक करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
मारकर इलाज
डॉक्टरों ने दावा किया कि इंसान को मारकर उसका इलाज करने की तकनीक का नाम इमरजेंसी प्रिजरवेशन एंड रीससिटेशन है। डॉक्टर ने बताया कि उनके पास एक मरीज आया था, जिसे किसी ने चाकू मार दिया था। इस दौरान जब उसे इलाज के लिए ले जाया गया तो उसकी मौत हो गई। डॉक्टर ने बताया कि उन्होंने एक बार पढ़ा कि एक घायल सुअर को तीन घंटे के लिए मार दिया गया, जिसके बाद इलाज के बाद उसे फिर से जिदा कर दिया गया। इसे पढ़ने के बाद ही मेरे दिमाग में यह विचार आया कि इंसान को भी मारकर उसका इलाज किया जा सकता है।
खून को सलाइन में बदला जाता है
डॉक्टरों की टीम ने ईपीआर तकनीक से एक गंभीर रूप से घायल इंसान को 10-15 डिग्री सेल्सियस पर रख दिया। व्यक्ति के पूरे शरीर के खून को ठंडे सलाइन में बदल दिया गया और फिर उसके खून को सुरक्षित बाहर निकालकर रख दिया गया। इस दौरान इंसान का दिमाग काम करना बंद कर देता है, जिसकी वजह से इंसान मरा हुआ हो जाता है। डॉक्टर सैम्युएल ने बताया कि हमने इस तकनीक को 10 लोगों पर अपनाया और यह सफल रहा है। हम इलाज के बाद व्यक्ति के शरीर के तापमान को 37 डिग्री सेल्सियस तक लेकर जाते हैं और खून पूरे शरीर में प्रवाहित होने लगता है।