लीबिया में रोटी मांग रही जनता ने संसद को जलाया, गृहयुद्ध जैसे हालात, ना खाना बचा है ना है बिजली
एक दशक से अधिक की उथल-पुथल के बाद, इस हफ्ते की शुरुआत में जिनेवा में यूनाइटेड नेशंस ने मध्यस्थता करवाने की कोशिश की, जिससे हालात सुधरने की उम्मीद बंधी, लेकिन फिर स्थिति बिगड़ चुकी है।
त्रिपोली, जुलाई 03: सालों से संकटग्रस्त देश बना लीबिया धीरे-धीरे भीषण गृहयुद्ध की तरफ बढ़ रहा है और रोटी मांगती जनता ने देश की संसद भवन को आग के हवाले कर दिया। लीबिया में पिछले कुछ हफ्तों से राजनीतिक संकट के बीच आर्थिक स्थिति काफी ज्यादा बिगड़ चुकी है, जिसको लेकर जनता लगातार प्रदर्शन कर रही है और शुक्रवार को भी भारी प्रदर्शन करते हुए रैलियां निकाली गई थी और फिर गुस्साई भीड़ ने संसद को जला डाला।
लीबिया में बिगड़े हालात
एक दशक से अधिक की उथल-पुथल के बाद, इस हफ्ते की शुरुआत में जिनेवा में यूनाइटेड नेशंस ने मध्यस्थता करवाने की कोशिश की, जिससे हालात सुधरने की उम्मीद बंधी, लेकिन फिर उसके बाद स्थिति में काफी तेजी से बदलाव आया और लीबिया में अशांति तेज हो गई है। यूएन ने राष्ट्रीय चुनावों के लिए एक संवैधानिक ढांचे पर एक समझौते पर पहुंचने के लिए मध्यस्थता की कोशिश की थी, लेकिन उसके बाद प्रदर्शनकारियों ने देश की संसद भवन को ही जला डाला। जिसकी संयुक्त राष्ट्र ने निंदा की है। लीबिया, जिसके बारे में एक वक्त कहा जाता था, कि यहां लोगों के रहने का स्टैंडर्ट पूरे अफ्रीका में सबसे ज्यादा है, वहां पर रोजी-रोटी के लिए लोग तरस रहे हैं। साल 2011 में नाटो के हस्तक्षेप के बाद मुअम्मर गद्दाफी की सत्ता को उखाड़ फेंका गया, लेकिन उसके बाद से देश में लगातार अराजकता की स्थिति बनी हुई है।(तस्वीर- संसद को आग लगाने वाली)
हजारों लोग प्रदर्शन में हैं शामिल
रिपोर्ट के मुताबिक, सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने राजधानी, त्रि पोली और अन्य लीबिया के शहरों की सड़कों पर मार्च किया और फिर सरकारी भवनों में पर हमले किए गये और कई बिल्डिंग्स को आग के हवाले कर दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने उस इमारत में तोड़ दिया, जिसमें पूर्वी लीबिया-आधारित संसद में टोब्रुक में शामिल थे और इसके कुछ हिस्सों में आग लगा दी। सोशल मीडिया पर प्रसारित किए गए कई वीडियो ने प्रदर्शनकारियों को आग के आसपास देखा जा रहा है और वो लगातार नारेबाजी कर रहे थे। (फाइल फोटो)
यूनिटेड नेशंस ने की निंदा
लीबिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को संसद के मुख्यालय के तूफान की निंदा की है। ट्विटर में संयुक्त राष्ट्र के विशेष सलाहकार ने ट्विटर पर लिखा कि," लोगों के शांति से विरोध करने के अधिकार का सम्मान और उसे संरक्षित किया जाना चाहिए, लेकिन दंगों और बर्बरता के कार्य, जैसा कि टोब्रुक में कल देर से हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के मुख्यालय का किया गया, वो पूरी तरह से अस्वीकार्य है'। समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, विरोध प्रदर्शन संसद के नेताओं और त्रिपोली में स्थित एक अन्य विधान चैंबर के नेताओं के बीच हुई बातचीत के किया गया है, जिसका कोई नतीजा नहीं निकला। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, उम्मीदवारों के लिए पात्रता आवश्यकताओं का मुद्दा विवाद के केंद्र में है।
चुनाव करवाने में नाकाम लीबिया
पिछले साल दिसंबर में लीबिया चुनाव करवाने में पूरी तरह से नाकाम रहा था और इसके पीछे कानूनी विवाद, राष्ट्रपति पद के विवादास्पद उम्मीदवार, देश में मौजूद दुष्ट मिलिशिया और विदेशी लड़ाकों की उपस्थिति प्रमुख वजह थी। चुनाव ना होना इस भूमध्यसागरीय राष्ट्र को शांति के रास्ते पर लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के लिए एक बड़ा झटका था। प्रदर्शनकारियों ने वर्तमान राजनीतिक वर्ग को हटाने का आह्वान किया है और चुनाव होने की मांग कर रहे हैं। (फाइल फोटो)