दुनिया में सबसे ज़्यादा परमाणु हथियार किसके पास?
परमाणु अस्त्रों के समूल नाश करने का अंतरराष्ट्रीय दिवस 26 सितंबर को मनाया जाता है.
अमरीका के पास दशकों से ऐसे परमाणु हथियार हैं जो धरती को इतनी बुरी तबाह कर सकते हैं ये इंसान के रहने लायक भी न रह जाए.
अमरीका के हथियारों का ज़खीरा ब्रिटेन के मुकाबले 31 गुना और चीन के मुकाबले 26 गुना बड़ा है.
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परमाणु हथियारों में रूस अमरीका से आगे
वॉशिंगटन स्थित संस्था आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार केवल रूस ही है जो परमाणु शक्ति के मामले में फिलहाल अमरीका से आगे है. अमरीका के पास कुल 6,800 परमाणु हथियार हैं जबकि रूस के पास 7,000 ऐसे हथियार हैं.
अमरीका और रूस ही दो ऐसे देश है जिनके पास परमाणु हमले के लिए ज़रूरत से ज़्यादा हथियार हैं. दोनों के पास दुनिया में मौजूद कुल 15,000 ऐसे हथियारों का 90 फीसदी है. इस लिस्ट में 300 हथियारों के साथ फ्रांस तीसरे नंबर पर है.
9 देश जिनके पास साल 2017 तक सबसे अधिक परमाणु हथियार हैं
देश
ज़रूरत पड़ने पर दागने के लिए तैयार हथियार*
स्टोर किए गए हथियार
ऐसे हथियार जिन्हें ख़त्म किया जाना है
कुल हथियार
रूस
1,796
4,500
2,500
7,000
अमरीका
1,367
4,000
2,800
6,800
फ्रांस
300
300
चीन
260
260
ब्रिटेन
215
215
पाकिस्तान
140
140
भारत
110
110
इसरायल
80
80
उत्तर कोरिया
10
10
(* जो हथियार मिसाइलों और सैन्य ठिकानों पर तैनात होती हैं उनकी गिनती देश के हथियारों के ज़खीरे में नहीं की जाती )
स्रोत: आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन, अमरीकी विदेश मंत्रालय के आंकड़ों पर आधारित
अमरीका रहना चाहता है आगे
साल 2010 में प्राग में हुए स्ट्रैटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी के तहत अमरीका और रूस को अप्रैल 2018 तक अपने परमाणु हथियारों के ज़खीरे को एक समान करना होगा. इसके बाद 2020 में दोनों देशों के बीच नए समझौते पर विचार किया जाना है.
नैटो समझौते के तहत अमरीका ने बेल्जियम, जर्मनी, इटली, नीडरलैंड और तुर्की में अपने परमाणु हथियार तैनात किए हैं. कनाडा, ब्रिटेन और मिस्र में भी उसके हथियार थे जो बाद में हटा लिए गए. इसके अलावा सैन्य ठिकानों पर और युद्धपोतों पर भी ऐसे हथियार रखे गए हैं.
भारत बना रहा है 'गुप्त परमाणु शहर': पाक
निरस्त्रीकरण मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय का कहना है, "इससे ना केवल एक पूरे शहर को ख़त्म किया जा सकता है बल्कि लाखों लोगों का मारा जा सकता है और पर्यावरण को और आनेवाली पीढ़ी को भी नुकसान पहुंचाया जा सकता है."