सौ सुनार की एक लुहार की! जापान बना रहा 3-इन-1 मिसाइल, चंद सेकंड्स में चीन का खेल खत्म
जापान जिस नई मिसाइल को बना रहा है, उसके जरिए एक साथ कई प्रकार के वारहेड्स को लॉन्च किया जा सकता है और ऐसे 1000 मिसाइलों की तैनाती जापान, चीन की तरफ करने वाला है।
Japan's
three-in-one
missile:
दूसरे
विश्वयुद्ध
के
बाद
जब
जापान
ने
हिंसा
छोड़कर
शांति
के
पद
पर
अपना
कदम
बढ़ाया,
तो
एडवांस
हथियार
बनाने
वाली
ज्यादातर
जापानी
कंपनियों
ने
कार
बनाना,
या
टेक्नोलॉजी
के
क्षेत्र
में
जापान
को
नंबर-1
वन
बना
दिया।
लेकिन,
चीन
से
बढ़ते
खतरों
के
बीच
जब
जापान
ने
एक
बार
फिर
से
सेना
निर्माण
करने
का
फैसला
लिया
है,
तो
वो
ऐसी
टेक्नोलॉजी
पर
काम
कर
रहा
है,
जो
चीन
का
दसियों
साल
की
मेहनत
को
एक
झटके
में
खत्म
कर
सकता
है।
जापान
जिस
तरीके
से
हथियार
निर्माण
में
जुट
गया
है,
उसे
देखने
के
बाद
अब
चीन
यही
सोच
रहा
होगा,
कि
उसने
क्यों
जापान
को
उकसाने
का
काम
किया
है?
जापान की नई मिसाइल प्रणाली
जापान का लक्ष्य अपनी मिसाइल हथियार क्षमता को विध्वंसक वारहेड्स के साथ बढ़ाना है, जिसका मकसद मौजूदा वक्त में चीन के बढ़ते लड़ाकू बेड़े के लिए खतरा पैदा करना है, क्योंकि जापान जानता है, कि इस वक्त उसकी वायु क्षमता सीमित है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद से जापान अपनी रक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भर रहा है और जापान-अमेरिका के बीच एक समझौता है, कि अगर किसी देश ने जापान पर आक्रमण किया, तो फिर वो अमेरिका पर हमला माना जाएगा और उस युद्ध में अमेरिका शामिल होगा। लेकिन, पिछले महीने जापान ने कहा है, कि अमेरिका भले ही उसकी रक्षा करने के लिए तैयार है, लेकिन जापान अपनी खुद की सेना का निर्माण करेगा। एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस हफ्ते, जापानी अखबार योमिउरी शिंबुन ने बताया है, कि जापान एक क्रूज मिसाइल विकसित कर रहा है, जो विनिमेय टोही, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) और पारंपरिक वारहेड से लैस हो सकती है।
जापानी मिसाइल, 3-इन-1
रिपोर्ट में दावा किया गया है, कि जापान जिस नई मिसाइल को बना रहा है, उसके जरिए एक साथ कई प्रकार के वारहेड्स को लॉन्च किया जा सकता है और इसके जरिए सटीकता में सुधार हो सकता है। इस मिसाइल के जरिए जापान की मिसाइल प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा हो जाएगा। जापानी अखबार योमिउरी शिंबुन ने लिखा है, कि जापानी मिसाइल तीन क्षमताओं से लैस होगा और पहली क्षमता के मुताबिक, मिसाइल, दुश्मन की स्थिति का निर्धारण करने के लिए एक हाई-रिजोल्यूशन वाले कैमरे के साथ टोही वारहेड लॉन्च कर सकता है, इसके बाद दुश्मन के रडार और अन्य सेंसर को निष्क्रिय करने के लिए ईडब्ल्यू मिसाइल से उसका पीछा करेगा, जिसके बाद पारंपरिक रूप से सशस्त्र मिसाइल दुश्मनों पर घातक हमला करेगी। ये मिसाइल एक साथ तीनों एक्शन को परफॉर्म करेगा। इसी रिपोर्ट में कहा गया है, कि नई मिसाइलों का मकसद क्यूशू और ओकिनावा प्रान्त में फैले नानसेई द्वीपों से गुजरने वाले दुश्मन के जहाजों को नष्ट करना है।
दुश्मनों को मुंहतोड़ दवाब देने की तैयारी
रिपोर्ट में कहा गया है, कि नई मिसाइलों का इस्तेमाल दुश्मन के मिसाइल प्रक्षेपण स्थलों को ध्वस्त करने के लिए किया जाएगा, जिससे जापान को अपनी 2022 की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के मुताबिक, जवाबी हमला करने की क्षमता मिलेगी। पिछले साल नवंबर में आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया था, कि चीन के खिलाफ अपनी जवाबी क्षमताओं में सुधार करने के लिए जापान साल 2026 तक 1,000 एडवांस क्रूज मिसाइलों को तैनात करेगा। इन सभी मिसाइलों को जापान चीन की दिशा में तैनात करेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, जापान इन मिसाइलों को जहाजों, लड़ाकू विमानों और मोबाइल लॉन्चरों से अपने दक्षिण पश्चिम द्वीप समूह और क्यूशू पर तैनात करेगा। जापान अपनी रक्षा क्षमता में इजाफा करने के लिए सबसे पहले मिसाइलों का निर्माण कर रहा है, जो काफी ज्यादा विध्वंसक होंगे।
चीन के खिलाफ पूरी ताकत से जुटा जापान
पिछले महीने जारी जापान के राष्ट्रीय रक्षा रिपोर्ट में साफ तौर पर चीन को जापान के लिए खतरा बताया गया है और इसमें कहा गया है, कि जापान अपना खुद का हथियारों का जखीरा तैयार करेगा। वहीं, नवंबर महीने में आई एक रिपोर्ट में कहा गया था, कि मौजूदा वक्त में जापान की एयर डिफेंस पॉवर काफी कमजोर है और हमले की स्थिति में जापान, दुश्मनों के मिसाइलों को रोकने की स्थिति में नहीं होगा। लिहाजा, अब टोक्यो, अपने लड़ाकू बेड़े की कमियों को पूरा करने के लिए अपने अपनी मिसाइल क्षमताओं का विस्तार करेगा और अपने एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत करेगा। साल 2019 की फॉरेन पॉलिसी आर्टिकिल में लिखे गये एक लेख में डिफेंस एक्सपर्ट डेविड डेप्टुला ने लिखा था, कि जापान को वायुशक्ति में सैन्य निवेश पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि जापान के पास लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों को रोकने की क्षमता सीमित है।
1000 मिसाइलों की तैनाती करेगा जापान
इन मिसाइलों को जहाजों और लड़ाकू विमानों से तैनात किया जाना है और जापान के दक्षिण-पश्चिम द्वीपों और क्यूशू पर इन मिसाइलों का बेस बनाने की योजना बनाई गई है। योमीउरी शिंबुन की रिपोर्ट के मुताबिक, एडवांस ग्राउंड-लॉन्च टाइप 12 को आज से 2 सालों के अंदर तैनात कर दिया जाएगा। इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि, जापान अपनी जमीनी हमले की क्षमताओं को अपनी मूल जहाज-रोधी भूमिका से अलग रखते हुए अपग्रेड करेगा। रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है, कि जापान अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में "काउंटर-स्ट्राइक क्षमताओं" को शामिल किया है। यानि, हमले की स्थिति में जापान सिर्फ रोकने का नहीं, बल्कि ठोकने का भी काम करेगा।
अभी कमजोर है जापान का डिफेंस सिस्टम
वहीं, पिछले साल आई एशिया टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है, कि चीन और उत्तर कोरिया से अत्यधिक ऊंचाई वाले प्रक्षेपवक्र बैलिस्टिक मिसाइल हमले के खिलाफ जापान के पैट्रियट और एजिस मिसाइल रक्षा प्रणाली काफी कमजोर हैं। चीन और उत्तर कोरिया बैलिस्टिक मिसाइलों को बहुत ऊंचे एंगल्स पर दाग सकते हैं, जिनकी रफ्तार अत्यधिक उच्च गति की होती है, जो किसी भी मिसाइल रक्षा प्रणाली की प्रभावशीलता को कम कर देती है। हालांकि, किसी भी मिसाइल प्रणाली को अत्यधिक ऊंचे हमलों से बचाव के लिए अनुकूलित नहीं किया गया है, लिहाजा, भविष्य के सॉफ़्टवेयर अपग्रेड संभावित रूप से इस समस्या को कम कर सकते हैं। एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ये मिसाइल ट्रैकिंग राडार अक्सर एक हाई ट्रेजेक्टरी के शीर्ष पर अपने लक्ष्य का ट्रैक खो देते हैं और इंटरसेप्टर मिसाइलों को हिट करने के लिए आने वाली मिसाइलों को ट्रैक करने में काफी वक्त लगाते हैं, लिहाजा इनसे सुरक्षा काफी कमजोर हो जाती है।
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