उत्तर कोरिया में घुसपैठ करने वाला जेम्स बॉन्ड
पार्क को दक्षिण कोरिया खुफिया एजेंसी से भी जानकारी मिली थी कि एजेंसी खुद डाई-जंग के राष्ट्रपति के रूप में नहीं देखना चाहती थी और उत्तर कोरिया को लेकर उलझाना चाहा ताकि उनकी उम्मीदवारी फीकी पड़ सके.
एजेंसी ने उत्तर कोरिया से असैन्यीकृत इलाके में हथियारबंद विरोध का आयोजन करने के लिए भी कहा था और उत्तर कोरिया को लेकर उलझाना चाहा ताकि उनकी उम्मीदवारी फीकी पड़ सके.
ये कहानी दक्षिण कोरिया के उस जेम्स बॉन्ड की है जिसने सबसे पहले ये पता लगाया था कि उत्तर कोरिया ने दो परमाणु हथियार विकसित कर लिए हैं.
दक्षिण कोरियाई सेना के अफ़सर और ख़ुफ़िया अभियानों को अंजाम देने में माहिर पार्क चेइ सियो को उत्तर कोरिया के इन परमाणु हथियारों का पता 1992 में लग गया था.
हालांकि ये परमाणु हथियार कम क्षमता वाले थे और उस वक्त पार्क चेइ सियो ने अमरीकी एजेंसी सीआईए के साथ मिलकर काम किया था.
दक्षिण कोरियाई सेना का ये ख़ुफ़िया मिशन अपने पड़ोसी देश की परमाणु क्षमता के बारे में सुराग जुटाना था.
पार्क चेइ सियो और दूसरे ख़ुफ़िया अफ़सर इस मिशन पर साल 1990 से ही काम कर रहे थे.
इसके साल भर पहले ही उत्तर कोरिया के योंगब्यॉन कॉम्प्लेक्स में एक परमाणु संयंत्र की सैटेलाइट से ली गई तस्वीरें पहली बार सामने आई थीं.
पार्क ने इसके लिए न्यूक्लियर एनर्जी के प्रोफ़ेसर से संपर्क साधा. उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम की जानकारी देने के लिए पार्क ने इन प्रोफ़ेसर को मनाया.
इस तरह से उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों की जानकारी हासिल करने में पार्क कामयाब रहे और दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी नेशनल इंटेलीजेंस सर्विस उनकी प्रतिभा की कायल हो गई.
मिशन का मक़सद
साल 1995 में उत्तर कोरिया में घुसपैठ कर जासूसी करने के लिए पार्क चेइ सियो को ख़ास तौर पर चुना गया.
चीन की राजधानी बीजिंग में पार्क ने खुद को मिलिट्री कमांडर से बिजनेसमैन बने शख़्स के तौर पर पेश किया.
बीबीसी को हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में पार्क ने बताया, "इस मिशन का मक़सद दुश्मन के दिल तक पहुंचाना था."
"मैं वहां तक पहुंचने में कामयाब रहा, जहां तक कोई दक्षिण कोरियाई जासूस कभी नहीं पहुंच पाया था. मैं किम जोंग उन के पिता किम जोंग इल से भी मिला."
उत्तर कोरिया में दाखिल होते वक्त कैसा महसूस होता था? इस सवाल पर पार्क बताते हैं, "जब भी आप उत्तर कोरिया में दाखिल होते हैं, आप का सब कुछ दांव पर होता है."
"आप कभी भी बेनकाब हो सकते हैं और आपका सिर किसी वक्त कलम किया जा सकता है."
पार्क पर बनी फिल्म 'द स्पाई गोन नॉर्थ' को केन्स फिल्म फेस्टिवल में इसी मई में सम्मानित किया गया और अगस्त में दक्षिण कोरिया के सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई है.
आज़ादी की गारंटी
'द स्पाई गोन नॉर्थ' का प्रीमियर भी ऐसे वक्त में हुआ जब उत्तर कोरिया का परमाणु संकट एक नए दौर में दाखिल हो रहा था और जून के महीने में अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन सिंगापुर में मिल रहे थे.
इस मुलाकात में किम जोंग उन ने उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम बंद करने की बात कही थी.
लेकिन पार्क चेइ सियो कहते हैं, "उत्तर कोरिया के बारे में कोई जानकारी जुटाने के लिए सबसे पहले तो वहां आने-जाने की आज़ादी होनी चाहिए."
"सबसे पहले तो उत्तर कोरिया से इसी आज़ादी की गारंटी मांगी जानी चाहिए."
पार्क ने बताया कि उन्हें खुद को ऐसे आला दर्जे के शख़्स के तौर पर स्थापित करना पड़ा जिससे उत्तर कोरिया की सरकार के बड़े अधिकारी मिलना चाहें.
दक्षिण कोरिया के तत्कालीन राष्ट्रपति किम योंग साम के करीबी लोगों से उन्हें इस सिलसिले में मदद मिली.
और पार्क उनके जरिए उत्तर कोरिया के पावर सर्किल के रसूखदार जांग सेयोंग थाएक के करीब आए. जांग सेयोंग थाएक किम जोंग-उन के चाचा भी थे. साल 2013 में किम जोंग उन ने जांग सेयोंग थाएक की हत्या करवा दी.
भरोसा जीतने की कवायद
पार्क बताते हैं कि किम जोंग इल के अलावा उत्तर कोरियाई निज़ाम के आला अफसरों में जांग सेयोंग थाएक से उनकी मुलाकात हुई. ये दोनों बीजिंग अक्सर जाया करते थे.
लेकिन किसी से मुलाकात कर लेना एक बात होती है और उसका भरोसा हासिल करना दूसरी बात.
"जब उत्तर कोरियाई अधिकारी ये तय कर लेते हैं कि उन्हें किसी के साथ काम करना है तो फिर उस शख़्स को इस कम्युनिस्ट देश के लिए वफादारी की शपथ लेनी पड़ती है."
"आपसे एक दस्तावेज़ पर दस्तखत कराए जाते हैं लेकिन मैं उन्हें इनकार करता रहा. मैंने उन्हें कहा कि ऐसा करने के लिए मुझे मजबूर मत करो."
"मैंने उन्हें कहा कि मैं यहां सिर्फ़ बिज़नेस करने के लिए आया हूं. उन्होंने मेरी तरफ़ बंदूक तान दी थी लेकिन मैंने चांस लिया और उन पर चिल्लाने लगा."
'द स्पाई गोन नॉर्थ' के एक अहम दृश्य में ये दिखाया गया है कि पार्क को किम जोंग इल से मिलते हुए दिखाया गया है. फिल्म में किम जोंग इल अपने पालतू कुत्ते के साथ गेस्ट रूम की तरफ़ बढ़ते हुए दिख रहे हैं.
पार्क बताते हैं कि हकीकत तो ये थी कि मेरी पूरी जांच पड़ताल खत्म होने के बाद ही मुझे किम जोंग इल के पास ले जाया गया था.
किम जोंग इल से मुलाकात
किम जोंग इल से मुलाकात के दौरान पार्क चेइ सियो ने खुद को एक दक्षिण कोरियाई एडवर्टाइज़िंग कंपनी के अधिकारी के तौर पर पेश किया जो दोनों कोरियाई देशों के लिए एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था.
उत्तर कोरिया के अधिकारियों ने पार्क चेइ सियो को किम जोंग इल से इसलिए मिलवाया था ताकि वो उन्हें एडवर्टाइजिंग का कॉन्सेप्ट समझा सकें और अपने प्रोजेक्ट के लिए मना सकें.
पार्क याद करते हैं, "एडवर्टाइजिंग को पूंजीवाद का गहना माना जाता है लेकिन एक साम्यवादी देश को पब्लिसिटी का आइडिया कैसे बेचा जा सकता था. ये आसान नहीं था. और अपने एडवर्टाइज़िंग कैम्पेन को आगे बढ़ाने के लिए मुझे किम जोंग इल के सबसे उच्च स्तर से इजाजत लेनी थी."
पार्क ने बताया कि किम जोंग इल बेहद सौम्य और सलीकेदार शख्सियत थे. "वे पक्के इरादे वाले शख्स थे जिसमें फैसले करने का माद्दा था. वे अपना कहा एक शब्द भी नहीं दोहराते थे. उनकी बातें बिना किसी लाग लपेट के स्पष्ट होती थीं."
लेकिन यही को वक्त था तब वो हुआ जिसकी उम्मीद नहीं थी.
पार्क याद करते हैं कि उन्हें इस मुलाक़ात के दौरान पता चला कि किम जोंग इल नहीं चाहते कि 1997 दिसंबर के चुनावों में दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति पद पर किम डे-जंग जीत कर आएं.
लेकिन आख़िर में किम डाई-जंग चुनाव जीत गए. उन्होंने साल 2000 में उत्तर कोरियाई सम्मेलन का आयोजन किया और उत्तर और दक्षिण कोरिया के एक होने के लिए नई कोशिशें की. ये पहले मौक़ा था जब कोरियाई प्रायद्वीप में अलग-अलग होने के बाद उत्तर और दक्षिण कोरियाई नेता एक दूसरे से मिल रहे थे.
लेकिन उत्तर कोरिया को डर था कि उदार नेता के तौर पर वो काफी ज़्यादा लोकप्रिय हैं और वो इतने चालाक और अनुभवी हैं कि उन्हें संभाल पाना उत्तर कोरिया के लिए मुश्किल होगा.
चुनावों में हस्तक्षेप
पार्क को दक्षिण कोरिया खुफिया एजेंसी से भी जानकारी मिली थी कि एजेंसी खुद डाई-जंग के राष्ट्रपति के रूप में नहीं देखना चाहती थी और उत्तर कोरिया को लेकर उलझाना चाहा ताकि उनकी उम्मीदवारी फीकी पड़ सके.
एजेंसी ने उत्तर कोरिया से असैन्यीकृत इलाके में हथियारबंद विरोध का आयोजन करने के लिए भी कहा था और उत्तर कोरिया को लेकर उलझाना चाहा ताकि उनकी उम्मीदवारी फीकी पड़ सके.
एजेंसी ने उत्तर कोरिया से कहा कि सेनामुक्त ज़ोन में सशस्त्र विरोध प्रदर्शन करे जो दोनों कोरिया की सीमा है ताकि मतदाता किम डाई-जंग के प्रतिद्वंद्वी ली होई-चेंज की तरफ़ झुक जाएं.
पार्क ने कहा, "वे दुश्मन के साथ डील कर रहे थे, लोगों की इच्छा को दांव पर लगा अपने हितों को ऊपर रख रहे थे जो कि गलत था."
पार्क को लगा कि जो किया जा रहा था वह सही नहीं था. उन्होंने डाई-जंग की टीम को चुनावी हस्तक्षेप के बारे में चेताया.
उन्होंने उत्तरी कोरियाई अधिकारियों को भी मनाया कि वे सेनामुक्त ज़ोन में विरोध ना करें.
आखिरकार, किम डाई-जंग ने कम अंतर से चुनाव जीत लिया और दोनों कोरिया के संबंधों के बीच एक नया अध्याय शुरू किया.
इसके बाद स्थानीय मीडिया की खबरों के मुताबिक किम डाई-जंग के चुनाव जीते जाने के बाद किम जोंग-इल ने उन वरिष्ठ अधिकारियों को मरवा दिया जिन्होंने उसे विश्वास दिलाया था कि उत्तर को दक्षिण से बातचीत करनी चाहिए और चुनावी हस्तक्षेप सफल होगा.
तो यह छुपा हुआ एजेंट कैसे सामने आया जिसकी पहचान और मिशन को कभी सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए था?
एक साल बाद जब पार्क किम जोंग-इल से मिले थे और किम डाई-जंग को पद मिलने के बाद दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी ने जानबूझकर एक दस्तावेज लीक किया जिसमें चुनाव से पहले उत्तरी कोरिया के साथ पार्क के मिले होने की बात थी.
उन्हें किम डाई-जंग की सरकार को चेतावनी देने के लिए ऐसा किया ताकि वो मामले की तह तक ना जाएं. फाइल में किम डाई-जंग की टीम के प्रमुख लोगों के बारे में अतिरिक्त जानकारी थी, जो उत्तर कोरिया के अधिकारियों से मिले थे.
देश के दुश्मन
फ़ाइल में "वीनस नेगरा" के बारे में भी जानकारी थी जो पार्क का कोड नाम था. पार्क अब जासूस के रूप में काम नहीं कर सकते थे तो उन्हें जाने दिया गया. वह बीजिंग चले गए और 2010 तक अपने परिवार के साथ सामान्य जीवन जीते रहे.
उसी साल वीनस नेगरा पर खुफ़िया एजेंसी से निकाले जाने के बाद आरोप लगा कि उसने सैन्य जानकारी दक्षिण कोरिया से उत्तर कोरिया को दी है और उसे 6 साल की सज़ा हो गई.
पार्क ने कहा कि उन्होंने जानकारी दी थी लेकिन वो कोई सैन्य जानकारी नहीं थी जैसा कि आरोप था और वो नए ट्रायल की योजना बना रहे हैं.
मुकदमे में फैसला आया था कि पार्क एक डबल एजेंट थे. उनसे पूछा कि क्या वो थे तो उन्होंने कहा, "इंटेलिजेंस की दुनिया में डबल एजेंट एक होना एक बुरी चीज़ है. इसका मतलब होता है कि आपके पैर दोनों तरफ हैं और आप दोनों को एक-दूसरे की खुफिया जानकारी बेच रहे हो. मैंने ऐसा कभी नहीं किया.
पार्क ने कहा कि उन्हें अपने देश से कोई शिकायत नहीं.
"मुझे अपना देश चाहिए. मैंने बहुत मेहनत की है. एक वक्त था जब ये देश देता भी खूब था. मुझे कोई पछतावा नहीं है."