इजरायल के शोधकर्ताओं का बड़ा दावा, कोरोना वायरस का इलाज मिला, पक्षी पर किया सफल परीक्षण
नई दिल्ली। दुनियाभर में जानलेवा कोरोना वायरस का खतरा मंडरा रहा है। दर्जनों देश इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। इस बीच इजरायल के शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस के इलाज की दिशा में बड़ी सफलता हासिल करने का दावा किया है। इजरायल के शोधकर्ताओं के एक गुट ने दावा किया है कि उन्होंने कोरोना वायरस के वैज्ञानिक इलाज की दिशा में बड़ी सफलता हासिल की है। मिगल गैलिले रिसर्च इंस्टिट्यूट की ओर से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई है, जिसमे दावा किया गया कि एक पक्षी पर शोध के दौरान उन्हें कोरोना वायरस से इलाज में बड़ी सफलता हाथ लगी है। कोरोना वायरस का इलाज ढूंढ लिया गया जिसकी मदद से कोरोना वायरस से संक्रमित पक्षी का इलाज किया गय। जिसके बाद इसका वोल्केनी एग्रिकल्चरल रिसर्च इंस्टिट्यूट में क्लीनिकल ट्रायल किया गया और यहां पर इसके सफल होने की पुष्टि की गई है।
पक्षी पर हुआ सफल परीक्षण
शोधकर्ताओं ने कहा कि जिस पक्षी पर कोरोना वायरस का टेस्ट किया गया उसका पैटर्न इंसानों के पैटर्न से बिल्कुल मिलता जुलता है। इंसानों और पक्षियों का जेनेटिक स्ट्रक्चर काफी हद तक एक समान है। कोरोना वायरस से संक्रमित पक्षी का जो इलाज किया गया है उसे इंसानों पर भी आजमाया जा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि वह इंसानों का कोरोना वायरस से पुख्ता इलाज अगले तीन महीने में तलाश लेंगे। इंस्टिट्यूट के चीफ ऑपरेटिंग अधिकारी डेविड जिगडॉन ने बताया कि इंसानों में फैले कोरोना वायरस से निपटने के लिए जल्द से जल्द इसके इलाज की जरूरत है और हम इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।
90 दिन के भीतर मुहैया हो सकता है इलाज
डेविड ने बताया कि हमने कोविड-19 के इलाज के लिए जो रास्ता निकाला है वह काफी प्रभावी है, हमे इस बात का भरोसा है कि अगले 8-10 हफ्तों में हम इंसानों का भी इससे इलाज कर सकते हैं। हमे लोगों की सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए 90 दिन का टेस्टिंग टाइम चाहिए। हमने पक्षी के लिए जो इलाज तैयार किया है उसे पक्षी के मुंह से दिया गया है। हम इंसानों का कोरोना वायरस से इलाज के लिए जो दवा तैयार कर रहे हैं उसे भी मुंह से ही लेना होगा, लिहाजा हम दिशा में काम कर रहे हैं।
जल्द आ सकता है इलाज
इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर प्रोफेसर डैन लेवनॉन ने बताया कि कितनी रफ्तार के साथ इस इलाज का इस्तेमाल किया जा सकता है यह इस बात पर निर्भर करेगा कि हमे नियामक द्वारा किस तरह की अनुमति मिलती है। मौजूदा स्थिति में इस बीमारी से काफी नुकसान हो रहा है, मुझे इस बात का भरोसा है कि नियामक हमे अनुमति देने में नरमी बरतेगा। इस इलाज की स्वीकृति के लिए इसे कई चरण में पास होना जरूरी है। साधारण स्थिति में इस तरह के इलाज को अनुमति मिलने में कई वर्ष लग जाते हैं।