ईरान में भारत के चाबहार पोर्ट में साझीदार बनेगा पाकिस्तान, ईरानी विदेश मंत्री का बयान बढ़ा सकता है भारत के साथ तनाव
रान में भारत का चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट वह प्रोजेक्ट है जो भारत को अफगानिस्तान के अलावा यूरोप में तक पहुंचने में मदद करता है। लेकिन ईरान के विदेश मंत्री की ओर से किए गए एक दावे के बाद भारत और ईरान के बीच इस प्रोजेक्ट की वजह से तनाव आ सकता है।
तेहरान। ईरान में भारत का चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट वह प्रोजेक्ट है जो भारत को अफगानिस्तान के अलावा यूरोप में तक पहुंचने में मदद करता है। लेकिन ईरान के विदेश मंत्री की ओर से किए गए एक दावे के बाद भारत और ईरान के बीच इस प्रोजेक्ट की वजह से तनाव आ सकता है। ईरान के विदेश मंत्री जावेद जारीफ ने मंगलवार को कहा है कि उनके देश ने पाकिस्तान और चीन को भी भारत के इस प्रोजेक्ट में हिस्सेदार बनने की पेशकश की थी। इस पोर्ट प्रोजेक्ट की भारत के लिए रणनीति अहमियत काफी ज्यादा है और इसलिए ही इस पर तेजी से काम हो रहा है। भारतीय अधिकारियों की ओर से बार-बार कहा गया है कि यह बंदरगाह भारत के लिए काफी नाजुक है क्योंकि इस पोर्ट के जरिए भारत, पाकिस्तान से गुजरे बिना ही अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच सकता है। ईरान के विदेश मंत्री के इस बयान ने भारत के राजनयिक हलकों में हलचल जरूर मचा दी है।
भारत के हस्तक्षेप को लेकर परेशान जारीफ
विदेश मंत्री जारीफ के हवाले से पाकिस्तान के डेली द डॉन ने लिखा है, 'हमने चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर में हिस्सेदार बनने की पेशकश की थी। हमने पाकिस्तान और चीन को चाबहार प्रोजेक्ट में भी शामिल होने की पेशकश की थी।' जारीफ इस समय पाकिस्तान के तीन दिवसीय दौरे पर हैं। उन्होंने यह बात सोमवार को इस्लामाबाद स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज में एक लेक्चर देते समय कही। जारीफ के इस दावे पर फिलहाल भारत की ओर से कोई भी आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं है लेकिन अधिकारियों ने कहा है कि वह इस मुद्दे पर सीधे ईरान का पक्ष सुनना चाहेंगे। डॉन की ओर से कहा गया है कि जारीफ ईरान के बंदरगाह में भारत के हस्तक्षेप को लेकर चिंतित हैं और अपनी चिंताओं को जाहिर करने के लिए ही उनकी तरफ से यह बयान आया है।
साल 2016 में हुआ था त्रिपक्षीय समझौता
पाकिस्तान की तरफ से आए आधिकारिक बयान ने भी भारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं। जारीफ और पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ की मुलाकात के बाद जो बयान आया है उसमें दावा किया गया है कि दोनों नेताओं ने 'फिलीस्तीन और कश्मीर में आजादी के लिए जारी लोगों के संघर्ष' को समर्थन की बात दोहराई है। भारत अब इन दोनों मुद्दों पर ईरान से सफाई चाहता है। भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच साल 2016 में एक त्रिपक्षीय समझौता साइन हुआ था और इस समझौते के तहत ही तीनों देशों ने चाबहार पोर्ट को विकसित करने की बात कही थी। इस पोर्ट के विकसित होने से तीनों देशों को आपस में जोड़ने वाला एक रास्ता खुलता और यह रास्ता रणनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण होता। यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा पर साइन किया गया था।
चाबहार से गेहूं पहुंचा अफगानिस्तान
नवंबर 2017 में भारत ने अफगानिस्तान में गेहूं की पहली खेप भेजी थी और यह खेप चाबहार पोर्ट होते हुए अफगानिस्तान गई थी। पाकिस्तान या चीन के लिए चाबहार पोर्ट में बड़े रोल का मतलब है भारत के हितों को खतरा होना। यहां यह बात और भी दिलचस्प हो जाती है कि जापान इस बंदरगाह में भारत के साथ साझेदारी की योजना बना रहा है। लेकिन अमेरिका ने ईरान पर ताजा प्रतिबंध लगा दिए हैं और इस वजह से अब जापान थोड़ा हिचक रहा है। अहमदाबाद में हुई भारत-जापान समिट के दौरान तो जापान ने इस बंदरगाह का जिक्र ही नहीं किया था।
पाकिस्तान का नुकसान नहीं होने देगा ईरान
ईरान के विदेश मंत्री जारीफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान का ग्वादर बंदरगाह और चाबहार पोर्ट को एक-दूसरे से लिंक होना चाहिए। जारीफ के मुताबिक अगर दोनों बंदरगाह एक-दूसरे से जुड़ते हैं तो फिर पूर्व और दक्षिणी-पूर्वी ईरान के साथ ही दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान का भी विकास हो सकेगा। जारीफ ने यह भी कहा कि हम इसके लिए कदम उठा रहे हैं और पाकिस्तान को इसके लिए खुला आमंत्रण देते हैं। जारीफ यहीं नहीं रुके उन्होंने यहां तक कहा कि इस प्रोजेक्ट का मतलब पाकिस्तान या फिर किसी और को दबाना नहीं है। जारीफ की मानें तो ईरान किसी को भी अपनी सीमा से पाकिस्तान को चोट पहुंचाने का मौका नहीं देगा।