Gordon Moore Passes Away: इंटेल के सह-संस्थापक गॉर्डन मूर का निधन, 94 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
इंटेल कॉर्पोरेशन के सह-संस्थापक गॉर्डन अर्ले मूर का शनिवार को 94 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। इंटेल और बेट्टी मूर फाउंडेशन ने उनके निधन की पुष्टि की है।
इंटेल कॉर्पोरेशन के सह-संस्थापक गॉर्डन अर्ले मूर का शनिवार को हवाई में उनके घर पर निधन हो गया। फिलहाल, 94 वर्षीय मूर का निधन किन परिस्थितियों में हुआ इस संबंध में अधिक जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी है, लेकिन इंटेल और बेट्टी मूर फाउंडेशन ने उनके निधन की पुष्टि की है।
सेमीकंडक्टर
चिप्स
के
डिजाइन
और
निर्माण
में
निभाई
थी
अहम
भूमिका
गॉर्डन
अर्ले
मूर
का
जन्म
3
जनवरी,
1929
को
सैन
फ्रांसिस्को
में
हुआ
था,
मूर
ने
सेमीकंडक्टर
चिप्स
के
डिजाइन
और
निर्माण
में
अहम
भूमिका
निभाई
थी।
न्यूयॉर्क
टाइम्स
की
रिपोर्ट
के
अनुसार,
कैलिफ़ोर्निया
सेमीकंडक्टर
चिप
निर्माता,
जिन्होंने
सिलिकॉन
वैली
को
अपना
नाम
देने
में
मदद
की।
मूर
हमेशा
खुद
को
एक
'एक्सीडेंटल
एंटरप्रेन्योर'
कहते
थे,
क्योंकि
वह
हमेशा
एक
शिक्षक
बनना
चाहते
थे,
लेकिन
किस्मत
ने
उनके
लिए
कुछ
और
ही
लिख
रखा
था।
इंटेल की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, मूर का 25 मार्च, 2023 को निधन हो गया। मूर ने 1968 में इंटेल की स्थापना की, जिसे मूल रूप से इंटीग्रेटेड इलेक्ट्रॉनिक्स नाम दिया गया था। वह 1979 में कंपनी के अध्यक्ष और सीईओ बने और आठ वर्षों तक सीईओ के रूप में कार्य किया। द गॉर्डन एंड बेट्टी मूर फाउंडेशन के अनुसार, वह हाल के वर्षों में अपनी पत्नी के साथ पर्यावरण संरक्षण, वैज्ञानिक अनुसंधान, शिक्षा और सैन फ्रांसिस्को खाड़ी क्षेत्र से संबंधित समस्याओं पर काम करने को लेकर जाने जाते थे।
इंटेल के सीईओ पैट जेलसिंगर ने मूर के निधन को लेकर एक बयान जारी करते हुए कहा कि, 'गॉर्डन मूर प्रौद्योगिकी उद्योग के अग्रणी थे और उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया को आकार देने में अहम भूमिका अदा करेगा। हम उनके नेतृत्व, उनकी दृष्टि और कंप्यूटिंग के क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता के लिए आभारी हैं।'
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दरअसल, प्रौद्योगिकी जगत में मूर के प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता। वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने आज हम जिस डिजिटल युग में जी रहे हैं उसकी नींव रखने में मदद की। उनकी विरासत उन कई कंपनियों और प्रौद्योगिकियों के माध्यम से जीवित रहेगी, जिन्हें बनाने में उन्होंने मदद की, और बाद के वर्षों में उन्होंने जनहित के कार्यों के माध्यम से अपना जीवन दूसरे के नाम किया।