फिलीपींस के बाद अब ये मुस्लिम देश भारत से खरीदेगा ब्रह्मोस मिसाइल, मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक
नई दिल्ली, जुलाई 20: दुनियाभर में भारतीय विध्वंसक हथियारों की धाक बढ़ती जा रही है और एक अहम मुस्लिम देश को विध्वंसक ब्रह्मोस मिसाइल बेचकर भारत अपनी ईस्ट पॉलिसी को कामयाब बनाने जा रहा है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और इंडोनेशिया के बीच इस साल के अंत तक ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के तट आधारित एंटी-शिप वैरिएंट के लिए एक और निर्यात ऑर्डर पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने पुष्टि की है, कि 'भारत और इंडोनेशिया के बीच ब्रह्मोस मिसाइल के लिए डील आखिरी चरण में पहुंच चुकी है'।
इंडोनेशिया को ब्रह्मोस मिसाइल बेचेगा भारत
रिपोर्ट
के
मुताबिक,
दोनों
देशों
के
बीच
ब्रह्मोस
मिसाइल
के
लिए
ये
सौदा
इस
साल
के
अंत
तक
या
फिर
अगले
साल
की
शुरूआत
में
मुहर
लगेगी
और
इस
देरी
के
पीछे
की
वजह
इंडोनेशिया
ने
अपनी
कुछ
घरेलू
दिक्कतों
को
बताया
है।
इस
सौदा
के
पूरा
होते
ही
फिलीपींस
के
बाद
भारत
से
मिसाइल
आयात
करने
वाला
इंडोनेशिया
दूसरा
आसियान
सदस्य
देश
बन
जाएगा।
फिलीपींस
के
बाद
से
ही
ऐसे
कयास
लगाए
जा
रहे
थे,
कि
इंडोनेशिया
इस
क्षेत्र
के
अन्य
देशों
में
से
एक
है
जिसने
ब्रह्मोस
मिसाइल
में
रुचि
व्यक्त
की
है।
रिपोर्ट
के
मुताबिक,
जनवरी
2018
में
नई
दिल्ली
में
आयोजित
आसियान-भारत
स्मारक
शिखर
सम्मेलन
के
दौरान,
दस
आसियान
नेताओं
ने
ब्रह्मोस
और
आकाश
मिसाइलों
के
लिए
भारत
से
संपर्क
किया
था।
भारत और फिलीपींस ने किया है सौदा
इस
साल
की
शुरुआत
में,
भारत
और
फिलीपींस
ने
ब्रह्मोस
सुपरसोनिक
क्रूज
मिसाइल
के
तट
आधारित
एंटी-शिप
वेरिएंट
की
आपूर्ति
के
लिए
374.96
मिलियन
अमरीकी
डालर
का
अनुबंध
किया
था।
इस
सौदे
के
बाद
फिलीपींस,
भारत
से
मिसाइल
आयात
करने
वाला
पहला
आसियान
सदस्य
देश
बन
गया
था।
वहीं,
रिपोर्ट
के
मुताबिक,
इंडोनेशिया
द्वारा
भारत
से
आयात
की
जाने
वाली
ब्रह्मोस
मिसाइल
को
उसके
युद्धपोतों
में
फिट
किया
जाएगा।
नई
दिल्ली
और
मॉस्को
के
बीच
ब्रह्मोस
एयरोस्पेस
संयुक्त
उद्यम
की
एक
टीम
मिसाइल
को
फिट
करने
की
संभावना
का
अध्ययन
करने
के
लिए
पहले
ही
इंडोनेशिया
शिपयार्ड
का
दौरा
कर
चुकी
है।
आपको
बता
दें
कि,
ब्रह्मोस
कम
दूरी
की
रैमजेट
सुपरसोनिक
क्रूज
मिसाइल
है
और
कंपनी
के
मुताबिक
इसे
विमान,
जहाज,
जमीन
के
प्लेटफॉर्म
और
पनडुब्बियों
से
लॉन्च
किया
जा
सकता
है।
और
यह
मिसाइल
2.8
मैक
यानी
ध्वनि
की
गति
के
तीन
गुना
के
बराबर
की
रफ्तार
से
उड़ान
भर
सकती
है।
कम बजट में बनाया गया है ब्रह्मोस
ब्रह्मोस,
जिसे
सिर्फ
300
मिलियन
डॉलर
के
कम
बजट
पर
विकसित
किया
गया
है,
उसकी
डिमांड
कई
और
देशों
में
की
जा
रही
है।
फिलीपींस
ने
तो
ब्रह्मोस
खरीद
लिया
है
और
इंडोनेशिया
से
अभी
ब्रह्मोस
के
लिए
आखिरी
दौर
की
बातचीत
चल
रही
है,
वहीं
अन्य
देश,
जैसे
मलेशिया,
जो
लाइट
कॉम्बैट
एयरक्राफ्ट
(एलसीए),
सिंगापुर,
थाईलैंड
और
वियतनाम
भी
ब्रह्मोस
मिसाइल
खरीदने
के
लिए
भारत
सरकार
से
संपर्क
करने
वाले
हैं।
फाइनेंशियल
एक्सप्रेस
ऑनलाइन
ने
पहले
बताया
था
कि,
वियतनाम
ब्रह्मोस
और
आकाश
मिसाइल
दोनों
के
लिए
भारत
के
साथ
बातचीत
कर
रहा
है।
ब्रह्मोस
मिसाइल
के
लिए
मलेशिया
से
भी
बातचीत
चल
रही
है,
जो
अभी
शुरुआती
चरण
में
है।
इंडोनेशिया
के
साथ
सौदा
साल
के
अंत
तक,
या
फिर
अगले
साल
की
शुरुआत
में
होने
की
उम्मीद
है
और
इस
सौदे
के
होने
के
बाद
यह
भारत
को
इस
क्षेत्र
में
एक
रणनीतिक
पकड़
देगा
और
साथ
ही
अर्थव्यवस्था
को
बढ़ावा
देगा।
आपको
बता
दें
कि,
फिलीपींस
को
ब्रह्मोस
मिसाइल
की
बिक्री
की
घोषणा
शुरू
में
नई
दिल्ली
में
रूसी
पक्ष
द्वारा
की
गई
थी।
रूस
को
इंडोनेशिया
को
निर्यात
करने
में
कोई
आपत्ति
नहीं
होगी,
क्योंकि
वह
पहले
से
ही
उस
देश
को
Su-27
लड़ाकू
जेट
और
साथ
ही
किलो
क्लास
पनडुब्बियां
बेच
रहा
है।
भारत-इंडोनेशिया सैन्य गठबंधन
भारत
और
इंडोनेशिया
के
बीच
पिछले
कुछ
सालों
में
द्विपक्षीय
सैन्य
गठबंधन
काफी
गहरे
हुए
हैं
और
इंडोनेशिया
को
भारत
की
"एक्ट
ईस्ट"
नीति
के
लिए
एक
महत्वपूर्ण
भागीदार
माना
जाता
है।
साल
2018
में,
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
के
दौरे
पर
दोनों
देशों
के
बीच
द्विपक्षीय
संबंधों
को
"व्यापक
रणनीतिक
साझेदारी"
तक
बढ़ा
दिया
गया
है।
देश।
इस
साझेदारी
का
मुख्य
स्तंभ
समुद्री
सुरक्षा
और
डिफेंस
और
सुरक्षा
सहयोग
पर
आधारित
है।
वहीं,
साल
2018
में
पहली
बार
भारतीय
नौसेना
और
इंडोनेशियाई
नौसेना
द्विपक्षीय
अभ्यास
'समुद्र
शक्ति'
शामिल
हुई
थी।
दोनों
देशों
के
बीच
की
ये
पहली
ड्रिल
इंटरऑपरेबिलिटी
बढ़ाने,
समुद्री
सहयोग
का
विस्तार
करने
और
सर्वोत्तम
प्रथाओं
का
आदान-प्रदान
करने
पर
केंद्रित
थी।
वहीं,
भारत
और
इंडोनेशिया
हिंद
महासागर
के
तटवर्ती
पड़ोसी
हैं
और
दोनों
पक्ष
सैन्य
संबंधों
को
मजबूत
करने
की
दिशा
में
काम
कर
रहे
हैं।
वहीं,
हिंद
महासागर
क्षेत्र
में
बढ़ती
चीनी
उपस्थिति
और
नटूना
द्वीप
समूह
के
पास
चीन
की
अवैध
गतिविधियों
को
देखते
हुए,
भारत
और
इंडोनेशिया
दोनों
समुद्री
सहयोग
को
और
गहरा
करने
और
हिंद-प्रशांत
में
संचार
के
सुरक्षित
समुद्री
मार्ग
सुनिश्चित
करने
की
दिशा
में
काम
कर
रहे
हैं।
हथियार सप्लायर बनने की दिशा में बड़ा कदम
पूरी
दुनिया
में
भारत
उन
देशों
शामिल
है
जो
सबसे
ज्यादा
हथियार
खरीदते
हैं।
मगर
पिछले
कुछ
सालों
में
भारत
ने
अपना
लक्ष्य
बदलते
हुए
हथियार
एक्सपोर्टर
बनने
की
तरफ
किया
है।
सुपरसोनिक
क्रूज
मिसाइल
ब्रह्मोस,
जिसकी
मारक
क्षमता
292
किलोमीटर
है,
भारत
उसे
अपने
मित्र
देशों
को
बेचना
चाहता
है
और
इस
मिसाइल
में
इतनी
खूबियां
हैं
कि
कई
छोटे
देशों
के
लिए
ब्रह्मोस
मिसाइल
फायदे
का
सौदा
साबित
हो
रहा
है।
लिहाजा
DRDO
और
डिपार्टमेंट
और
डिफेंस
प्रोडक्शन
यानि
डीडीपी
के
लिए
ब्रह्मोस
'हॉट
सेलिंग'
वीपन
बन
गया
है।
भारत
सरकार
ने
2025
तक
ब्रह्मोस
मिसाइल
बेचकर
5
बिलियन
डॉलर
जुटाने
का
लक्ष्य
रखा
है।
ब्रह्मोस
का
निर्माण
हैदराबाद
में
हुआ
है
और
इसकी
रिपेयरिंग
और
मेंटिनेंस
हैदराबाद
में
किया
जाता
है
साथ
ही
इसके
क्रूशियल
पार्ट्स
रसियन
हैं।
इसमें
लगा
इंजन
और
रडार
सिस्टम
रूस
का
है
जो
बेहद
खतरनाक
माना
जाता
है।
पड़ोसी देशों में ब्रह्मोस की डिमांड क्यों?
ब्रह्मोस
एक
कम
दूरी
की
रैमजेट
सुपरसोनिक
मिसाइल
है
और
इस
मिसाइल
को
रूस
के
साथ
मिलकर
भारत
में
बनाया
गया
है।
इस
मिसाइल
में
कई
तरह
की
खासियतें
हैं।
इसे
पनडुब्बी
से,
पानी
के
जहाज
से,
विमान
से
या
फिर
जमीन
से...कहीं
से
भी
छोड़ा
जा
सकता
है।
रूस
की
एनपीओ
मशीनोस्ट्रोयेनिया
और
भारत
के
रक्षा
अनुसंधान
एवं
विकास
संगठन
यानि
डीआरडीओ
ने
मिलकर
सुपरसोनिक
ब्रह्मोस
मिसाइल
को
बनाया
है।
यह
मिसाइल
रूस
की
पी-800
ओकिंस
क्रूज
मिसाइल
टेक्नोलॉजी
पर
आधारित
है।
ब्रह्मोस
मिसाइल
को
भारतीय
सेना
इस्तेमाल
कर
रही
है।
पिछले
दिनों
ब्रह्मोस
मिसाइल
ही
गलती
से
छूट
गया
था
और
पाकिस्तान
की
सीमा
के
अंदर
कई
किलोमीटर
तक
चला
गया
था,
लेकिन
पाकिस्तानी
रडार
ब्रह्मोसो
को
पकड़
नहीं
पाई
थी
और
चूंकि
पाकिस्तान
में
चीन
का
रडार
सिस्टम
लगा
हुआ
है,
लिहाजा
चीन
भी
ब्रह्मोस
मिसाइल
से
खौफ
खाता
है।
ब्रिटेन में भीषण गर्मी से कुत्ते हो रहे पागल, बौखलाकर मालकिन की ले ली जान, पति भी जख्मी