Russian Oil Price Cap: तेल के प्रस्तावित मूल्य पर मचा बवाल! भारत को तेल के 'खेल' में ऐसे मिलेगा बंपर फायदा
अमेरिका चाहता है कि रूसी तेल वैश्विक बाजारों में तेल की आपूर्ति जारी रखे। आप मार्केट में रह सकते हैं।
अमेरिकी (US) की वित्त मंत्री जेनेट येलेन (Janet Yellen) ने यूक्रेन जंग के बीच बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि रूस वैश्विक मार्केट में रहकर तेल की आपूर्ति जारी रख सकता है। हालांकि, उन्होंने इसके लिए मास्को के समक्ष बड़ी शर्त रख दी है। वहीं, जेनेट येलेन का मानना है कि भारत को तेल पर प्रस्तावित मूल्य सीमा से लाभ होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश रूसी ऊर्जा पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहता है।
वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा...
खबर के मुताबिक, इस सप्ताह के अंत में अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन भारत का दौरा करेंगी। भारत यात्रा से पूर्व उन्होंने सोमवार को पीटीआई के साथ विशेष साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि, अमेरिका चाहता है कि रूसी तेल वैश्विक बाजारों में तेल की आपूर्ति जारी रखे। आप मार्केट में रह सकते हैं। लेकिन अमेरिका यह सुनिश्चित करना चाहता है कि यूक्रेन जंग के बीच मास्को तेल की कीमत बढ़ाकर अनुचित लाभ का आनंद न लेने लग जाए।
भारत को होगा फायदा
बता दें कि, भारत 85 फीसदी तेल आयात करता है। बीते वित्त वर्ष यानी 31 मार्च 2022 तक भारत की ओर से आयात किए गए सभी तेल में रूस के तेल का सिर्फ 0.2 फीसदी हिस्सा था। रूस ने अक्टूबर में भारत को 935,556 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कच्चे तेल की सप्लाई की, जो अब तक की सबसे ज्यादा है। यह अब भारत के कुल क्रूड ऑयल (Crude Oil) के आयात का 22 फीसदी हो गया है, जो इराक के 20.5 फीसदी और सऊदी अरब के 16 फीसदी से ज्यादा है।
ऊर्जा संकट के बीच भारत को मिलेगा फायदा
अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन का मानना है कि भारत को तेल पर प्रस्तावित मूल्य सीमा से लाभ होगा। अमेरिका नहीं चाहता है कि रूस यूक्रेन जंग की आड़ में तेल की कीमतों से कोई अनुचित लाभ उठाए। वैश्विक ऊर्जा कीमतों में बढोतरी के बीच भारत और चीन जैसे विकासशील देश तेजी से रूस से रियायती रूसी तेल खरीद रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि पश्चिमी देश रूसी ऊर्जा पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहता है।
वैश्विक तेल व्यापार
जेनेट येलेन ने कहा कि तेल व्यापार को बनाए रखने के लिए रूस पर लगाम लगाना जरूरी है। उन्होंने ,कहा कि रूस से कई देश सस्ते तेल खरीदते हैं। भारत भी इस मूल्य सीमा का लाभ उठाएगा लेकिन इनकी कंपनियां रूस के साथ सौदेबाजी कर रही है। यदि वे भारत बीमा जैसी पश्चिमी वित्तीय सेवाओं का उपयोग करना चाहते हैं, तो मूल्य सीमा उनकी खरीद पर लागू होगी। लेकिन अगर वे अन्य वित्तीय सेवाओं का उपयोग करते हैं, तो भी हमारा मानना है कि मूल्य सीमा उन्हें विश्व बाजारों से अच्छी छूट पर बातचीत करने का लाभ देगी। हमें उम्मीद है कि भारत इस कार्यक्रम से लाभान्वित होगा।'
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हालात बदल गए हैं
बता दें कि, रूस और यूक्रेन जंग के कारण हालात काफी बदल गए हैं। मास्को और वाशिंगटन के बीच जारी तनातनी के बीच पश्चिमी देश ऊर्जा के क्षेत्र में रूस पर अपनी निर्भरता को खत्म करना चाहता है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (US secretary of state Antony Blinken) कुछ समय पहले 9 सितंबर को कहा था कि यूक्रेन में रूस के युद्ध ने यूरोप को रूसी ऊर्जा पर अपनी निर्भरता को समाप्त करने का अवसर प्रदान किया है। ब्लिंकन ने यूक्रेन के औचक दौरे के बाद ब्रसेल्स जाते समय यह टिप्पणी की थी। उन्होंने नाटो के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक में ऊर्जा सुरक्षा पर चर्चा भी की थी।