अंतरिक्ष से मिली स्वतंत्रता दिवस की बधाई, जानिए NASA की ये वैज्ञानिक क्यों करती हैं भारत से मोहब्बत?
नासा और भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो एक साथ मिलकर एसएआर मिशन (एनआईएसएआर) पर काम कर रहे हैं और भारतीय और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा संयुक्त रूप से इसे विकसित किया जा रहा है ताकि वैश्विक आपदाओं को ट्रैक किया जा सके।
वॉशिंगटन, अगस्त 14: भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। भारत में इन दिनों तिरंगा यात्रा निकाली जा रही है और इस मौके पर भारत को दुनिया भर से संदेश आ रहे हैं, लेकिन ऐसा ही एक संदेश दुनिया के बाहर से आया है। जी हां, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर काम कर रही अंतरिक्ष यात्री सामंथा क्रिस्टोफोरेटी ने इस ऐतिहासिक क्षण पर भारत को बधाई भेजी है।
सामंथा क्रिस्टोफोरेटी ने भेजी बधाई
एक वीडियो संदेश में अंतरिक्ष यात्री सामंथा क्रिस्टोफोरेटी ने कहा है कि, आजादी के 75 साल पूरे होने पर भारत को बधाई देते हुए खुशी हो रही है और दशकों से अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ मिलकर कई अंतरिक्ष और विज्ञान मिशनों पर काम किया है। इसके साथ ही उन्होंने इसरो की दो अहम परियोजनाओं का भी जिक्र किया है, जिससे पूरी दुनिया की अंतरिक्ष एजेंसी और वैज्ञानिकों को काफी मदद मिलने वाली है। इसरो द्वारा विकसित की जा रही दो बड़ी परियोजनाओं के बारे में बात करते हुए सामंथा ने कहा कि, "इसके के साथ हमारी आज भी सहयोग जारी है, क्योंकि इसरो आगामी एनआईएसएआर पृथ्वी विज्ञान मिशन के विकास पर काम कर रहा है, जो हमें आपदाओं को ट्रैक करने में मदद करेगा और हमें हमारे बदलते जलवायु की बेहतर समझ प्राप्त करने में मदद करेगा।"
नासा और इसरो साथ साथ करते कई प्रोजेक्ट
नासा और भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो एक साथ मिलकर एसएआर मिशन (एनआईएसएआर) पर काम कर रहे हैं और भारतीय और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा संयुक्त रूप से इसे विकसित किया जा रहा है ताकि वैश्विक आपदाओं को ट्रैक किया जा सके और कम समय के फ्रेम में आपदाओं पर पूरी दुनिया को जानकारी दी जा सके, ताकि वक्त रहते इंसानों की जान बचाने के साथ साथ इकोनॉमी और होने वाली बर्बादी से बचा जा सके। अंतरिक्ष यान ग्रह की सतह की गति का पता लगाएगा और भीतर होने वाली प्रक्रियाओं को समझाने में मदद करेगा। वहीं, सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर),काफी हाई-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें खींचेगा, जिसके जरिए वैज्ञानिकों को प्राकृतिक परिवर्तन के बारे में सटीक जानकारी हासिल होगी। एनआईएसएआर अंतरिक्ष यान दो पूरी तरह से सक्षम सिंथेटिक एपर्चर रडार उपकरणों को समायोजित करेगा। नासा के 24 सेमी तरंग दैर्ध्य एल-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (एल-एसएआर) और एक 10 सेमी तरंग दैर्ध्य एस-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (एस-एसएआर) को इसरो ने बनाया है।
गगनयान मिशन पर भी की बात
इटली की रहने वाली अंतरिक्ष यात्री समांथा ने भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के बारे में भी बात की, जिसके अगले साल अपनी पहली मानव रहित कक्षीय उड़ान भरने की संभावना है। इसरो द्वारा जारी एक वीडियो में उन्होंने कहा कि, "नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और अन्य सभी एजेंसियों की ओर से, मैं इसरो को शुभकामनाएं देना चाहती हूं क्योंकि यह गगनयान मिशन पर काम कर रहा है और इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए तैयार है।" आपको बता दें कि, भारत गगनयान मिशन मापदंडों के परीक्षण के अंतिम चरण में है। इसरो ने इस सप्ताह की शुरुआत में लो एल्टीट्यूड एस्केप मोटर का परीक्षण किया था, जो क्रू एस्केप सिस्टम को शक्ति प्रदान करेगी, जो किसी आकस्मिक घटना की स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों के साथ गगनयान क्रू मॉड्यूल को बाहर निकालने की प्रणाली है। पहली मानव रहित कक्षीय उड़ान से पहले इसरो दो मानव रहित मिशन भी आयोजित करेगा। उन्होंने आगे कहा कि, इसरो के साथ साझेदारी का विस्तार करना, और ब्रह्मांड की खोज में एक साथ काम करना भविष्य के लिए एक लक्ष्य है।
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