भारत को मिले अमेरिका में बने चिनुक हेलीकॉप्टर्स, सियाचिन और लद्दाख में सेना की ताकत दोगुनी
फिलाडेल्फिया। शुक्रवार को भारतीय वायुसेना (आईएएफ) की ताकत में और इजाफा हुआ जब उसे चिनुक हेलीकॉप्टर्स की पहली खेप आधिकारिक तौर पर सौंप दी गई। अमेरिका के फिलाडेल्फिया में स्थित बोइंग फैसेलिटी में भारतीय राजदूत हर्ष श्रींगला की मौजूदगी में आईएएफ को हेलीकॉप्टर्स सौंपे गए। जिस कार्यक्रम के तहत ये हेलीकॉप्टर्स आईएएफ को मिले उसे 'इंडिया-चिनुक ट्रांसफर सेरेमनी' नाम दिया गया था। इस मौके पर डीजीएओ एयर मार्शल ए देव, भारत के न्यूयॉर्क में पोस्टेड काउंसल जनरल संदीप चक्रवर्ती और एयर अटैच एयर कमोडेर शिवानंद मौजूद थे। अमेरिका में भारतीय दूतावास की ओर इस बात की जानकारी दी गई है।
इस समय दुनिया की 18 देशों की सेनाओं के पास
अपने संबोधन में राजदूत श्रींगला ने भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती औद्योगिक साझेदारी की वकालत की। उन्होंने इस दौरान मेक इन इंडिया के लिए बोइंग की प्रतिबद्धता की सराहना भी की। भारत ने साल 2015 में 22 अपाचे अटैक और 15 चिनुक ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर्स की डील अमेरिका से की थी। इस वर्ष मार्च तक भारत को ये हेलीकॉप्टर्स हासिल हो जाएंगे। बोइंग की ओर से बताया गया है कि चिनुक को इस समय 18 देशों की सेनाएं प्रयोग कर रही हैं। चिनुक का एक हिस्सा भारत में तैयार किया जाएगा।
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चंडीगढ़ होगा चिनुक का बेस
विशेषज्ञों की मानें तो चिनुक हेलीकॉप्टर असॉल्ट रोल में भी काफी कारगर है। जरूरत पड़ने पर यह अमेरिका के पांच यूएच-60 अटैक हेलीकॉप्टर्स की जगह ले सकता है।चिनुक हेलीकॉप्टर्स को चंडीगढ़ में रखा जाएगा ताकि जरूरत पड़ने पर इन्हें सियाचिन और लद्दाख के लिए रवाना किया जा सके।
मल्टी मिशन हेलीकॉप्टर है चिनुक
बोइंग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अपाचे दुनिया का सर्वश्रेष्ठ मल्टी रोल अटैक हेलीकॉप्टर है। इसके अलावा चिनुक एक एडवांस्ड मल्टी मिशन हेलीकॉप्टर है जो ऊंचाई वाली जगहों पर आसानी से जरूरी सामान की आपूर्ति कर सकता है। दोनों को इस समय अमेरिकी सेना प्रयोग कर रही है। इसके बाद साल 1967 में वियतनाम युद्ध के दौरान पहली बार चिनुक को जंग के मैदान में देखा गया था।
अफगानिस्तान में हुआ प्रयोग
यह हेलीकॉप्टर इस समय ईरान और लीबिया की सेनांओं के पास भी है। चिनुक हेलीकॉप्टर्स को अमेरिका ने अफगानिस्तान में कोल्ड वॉर के दौरान तैनात किया था। इसके बाद ईराक में इन्हें तैनात किया गया। अफगानिस्तान में जहां पर ऊंची पहाड़ियां हैं और तापमान भी अनिश्चित रहता है, वहां पर सैनिकों को एयरलिफ्ट करने में इस हेलीकॉप्टर ने अपनी क्षमताओं का बखूबी प्रदर्शन किया।