भारत को कोसने में गुजरती थी इस राष्ट्रपति की दिन रात, कंगाली में मोदी सरकार ने ही बचाई लाज
श्रीलंका की सत्ता ज्यादातर वक्त राजपक्षे परिवार के पास ही रही है और 2015 से पहले महिन्द्रा राजपक्षे जब राष्ट्रपति हुआ करते थे, तो भारत विरोधी बयान की वजह से अकसर सुर्खियां बटोरते रहते थे।
नई दिल्ली, जनवरी 19: जनवरी 2015 में श्रीलंका में चुनाव परिमाण घोषित किए गये और पता चला कि, श्रीलंका के राष्ट्रपति महिन्द्रा राजपक्षे चुनाव हार चुके हैं। चूकीं, भारत और चीन के बीच का तनाव लगातार बना रहता है, लिहाजा श्रीलंका काफी महत्वपूर्ण हो जाता है और श्रीलंका चुनाव को कवर करने के लिए कई देशों के पत्रकार गये हुए थे। चुनाव हारने के 2 महीने के बाद महिन्द्रा राजपक्षे ने एक चीनी अखबार साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट को दिए इंटरव्यू में कहा...'मैं यह चुनाव हारा नहीं हूं, मुझे ये चुनाव रॉ ने हराया है'।.... इस बात को 7 साल बीत चुके हैं और महिन्द्रा राजपक्षे इस वक्त श्रीलंका के प्रधानमंत्री हैं, लेकिन जिस भारत के खिलाफ राजपक्षे ने इतना बड़ा आरोप लगा दिया था, वही भारत आज भी श्रीलंका को थामे हुआ है।
भारत को कोसने वाले राष्ट्रपति
श्रीलंका की सत्ता ज्यादातर वक्त राजपक्षे परिवार के पास ही रही है और 2015 से पहले महिन्द्रा राजपक्षे जब राष्ट्रपति हुआ करते थे, तो भारत विरोधी बयान की वजह से अकसर सुर्खियां बटोरते रहते थे और ऐसा माना जाता है कि, श्रीलंका की एक बड़ी आबादी के बीच महिन्द्रा राजपक्षे ने भारत विरोधी भावनाएं भड़काने की कोशिश में कामयाबी भी पा ली और इस दौरान वो महिन्द्रा राजपक्षे चीन के साथ लगातार चिपकने की कोशिश करते रहे। भारत विरोधी रथ पर सवार महिन्द्रा राजपक्षे चीन के इतने करीब चले आए, कि शायद अब श्रीलंका के पास अपना कुछ नहीं बचा है और अगर श्रीलंका ने चीन को कर्ज के पैसे नहीं लौटाए, तो बाकी श्रीलंका का भी वही हाल हो सकता है, तो हंबनटोटा का हुआ है। हंबनटोटा बंदरगाह 99 सालों के लिए चीन के पास श्रीलंका को गिरवी रखनी पड़ी है।
जब राजपक्षे ने रॉ को घसीटा
साल 2014 में भारत में नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बन चुके थे और साल 2015 के मार्च में महिन्द्रा राजपक्षे राष्ट्रपति चुनाव हार जाते हैं। जिसके बाद वो भारत की खुफिया एजेंसी रॉ और अमेरिका पर चुनाव हरवाने का आरोप लगाना शुरू कर देते हैं। महिन्द्रा राजपक्षे ने बगैर कोई सबूत पेश किए कहा था कि, उनकी चुनावी हार के पीछे रॉ और अमेरिका की साजिश है। भारत के साथ साथ महिन्द्रा राजपक्षे ने नॉर्वे और यूरोपीय देशों पर भी अपनी हार का ठीकरा फोड़ दिया था। महिन्द्रा राजपक्षे ने साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट को दिए गये इंटरव्यू में भारत के खिलाफ इतने संगीन आरोप लगा दिए थे। वहीं, भारत सरकार की तरफ से तमाम आरोपों को खारिज कर दिया गया था। इतना ही नहीं, महिन्द्रा राजपक्षे लगातार भारत के खिलाफ अनर्गल आरोप लगाते रहे और चीन की बाहों में बलखाते रहे। लेकिन, वो भूल गये थे... भारत की मिट्टी का मंत्र वसुधैव कुटुमंबकम है, चीन की मिट्टी का नहीं।
सोना बेचने पर मजबूर श्रीलंका
श्रीलंका की मदद मोदी सरकार कैसे कर रही है, वो हम आपको आगे बताते हैं, लेकिन फिलहाल ये जान लीजिए, कि श्रीलंका की वर्तमान स्थिति क्या है? श्रीलंका करीब करीब दिवालिया होने के कगार पर खड़ा एक 'फेल' देश होने वाला है और अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए श्रीलंका अब देश का सोना बेच रहा है। श्रीलंकन केन्द्रीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि, विदेशी मुद्रा भंडार को देखते हुए उसने गोल्ड रिजर्व का एक हिस्सा बेच दिया है। वहीं, श्रीलंका के एक प्रमुख अर्थशास्त्री और सेंन्ट्रल बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर डॉ. डब्ल्यू. ए विजेवर्धने ने भी एक ट्वीट में रिजर्व बैंक द्वारा सोना बेचने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि, सेन्ट्रल बैंक का गोल्ड रिजर्व अब 38.2 करोड़ डॉलर से घटकर 14.5 करोड़ डॉलर हो गया है।
बार बार सोना बेचता श्रीलंका
इकोनॉमी नेक्स्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 में श्रीलंका के केन्द्रीय बैंक के पास 6.69 टन सोने का भंडार था, जिसमें से करीब 3.6 टन सोना अभी तक बेचा जा चुका है और अब अनुमान के मुताबिक, श्रीलंका के पास करीब 3.0 से 31 टन ही सोना बचा है। श्रीलंका ने कोई पहली बार सोना नहीं बेचा है, बल्कि इससे पहले साल 2020 की शुरूआत में श्रीलंका के पास 19.6 टन सोना था, जिसमें से 12.3 टन सोना बेच दिया गया। इससे पहले साल 2015, साल 2018 और साल 2019 मं श्रीलंका ने सोना बेचा था और विदेशी मुद्रा जमा किया था और अब स्थिति ये है, कि श्रीलंका के पास सिर्फ 3 टन सोना बचा है, यानि इसके बाद श्रीलंका के पास बेचने के लिए कुछ नहीं बचेगा।
जिसकी गोद में खेले....उसने दुत्कारा
श्रीलंका की राजपक्षे सरकार जिस चीन की गोद में खेल रही थी, उस चीन ने जरूरत पड़ने पर श्रीलंका को दुत्कार दिया है। इसी महीने दिवालिया होने के कगार पर पहुंच चुके श्रीलंका ने चीन के सामने कर्ज में कुछ छूट के लिए गुहार लगाई थी, लेकिन चीन ने कर्ज में किसी भी तरह की छूट देने से इनकार कर दिया। जनवरी के पहले हफ्ते में श्रीलंका के राष्ट्रपति ने चीन से अनुरोध किया था, कि श्रीलंका की आर्थिक स्थिति काफी ज्यादा खराब है, लिहाजा चीन की तरफ से श्रीलंका को कर्ज स्ट्रक्चर में कुछ रियायत दी जाए, जिसे चीन ने ना सिर्फ सीधे तौर पर नकार दिया है, बल्कि साफ कर दिया, कि श्रीलंका को कैसे अपने देश में सुधार कार्यक्रम लाना है, उसका फैसला वो चीन से पूछकर करे।
चीन के कर्ज के जाल में फंसा श्रीलंका
श्रीलंका की सरकार ने देश को कर्ज के जाल में बुरी तरह से फंसा दिया है और खासकर चीन से कर्ज लेने की वजह से अब देश की नीति को बहुत हद तक चीन कंट्रोल करने लगा है। ब्रिटिश मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका के ऊपर चीन का करीब 5 अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज है और पिछले साल भी श्रीलंका की सरकार ने देश को आर्थिक संकट से बचाने के लिए चीन से एक अरब डॉलर काऔर कर्ज लिया था, लिहाजा अब बारी चीन से लिए गये कर्ज के भुगतान की है, जिसे चुकाने में श्रीलंका पूरी तरह से असमर्थ है। श्रीलंका सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, अगले एक साल में देश की सरकार को और देश के निजी सेक्टर को कम के कम 7 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुकाना है, जिसमें 50 करोड़ डॉलर का इंटरनेशनल सॉवरेन बॉन्ड भी शामिल है और इसका भुगतान इसी महीने करना है, जबकि देश के पास सिर्फ 1.6 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा ही बचा है, लिहाजा श्रीलंका के ऊपर दिवालिया होने का खतरा मंडरा रहा है।
भारत ने की मुश्किल वक्त में मदद
मुश्किल में फंसे श्रीलंका की मदद के लिए एक बार फिर से भारत ही आगे आया है और बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, 13 जनवरी को श्रीलंका स्थित भारतीय उच्चायुक्त ने श्रीलंका को 90 करोड़ डॉलर की मदद की घोषणा की है, लेकिन श्रीलंका का काम इतने से नहीं चला। जिसके बाद भारत सरकार ने इसी हफ्ते 50 करोड़ डॉलर की और मदद श्रीलंका को दी है, ताकि श्रीलंका पेट्रोलियम पदार्थ खरीद सके। अगर भारत सरकार मदद नहीं देती, तो श्रीलंका में तमाम कारखाने और बिजली उत्पादन बंद हो जाते। यानि, पूरा श्रीलंका गुप अंधेरे में चला जाता। इसके अलावा श्रीलंका के प्रमुख अखबार फाइनैंशियल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, भारत ने श्रीलंका को 2.4 अरब डॉलर की एक और आर्थिक मदद दी है, जिसकी पुष्टि श्रीलंका के वित्त मंत्री ने की है। आज के तमाम श्रीलंकन अखबारों में भारत की मदद हेडलाइंस बनी हुई है।
श्रीलंका में रिकॉर्ड तोड़ महंगाई
भारी कर्ज के बोझ तले दबे इस देश में महंगाई चरम पर पहुंच गई है। यहां सब्जियों और मिल्क प्रोडक्ट्स के दाम में भारी बढ़ोतरी हुई है। वहीं यहां मिल्क प्रोडक्ट्स की भारी कमी हो रही है। यहां मिल्क पाउडर की कीमत में 12.5 फीसदी की तेजी आई है। यहां मिर्च की कीमत 710 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया। जबकि बैंगन की कीमत में 51 फीसदी की तेजी आ चुकी है। वहीं प्याज की कीमत में 40 फीसदी की तेजी आई है। यहां आलू 200 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। करेला 160 रुपए, गाजर 200 रुपए प्रति किलो, टमाटर 200 रुपए किलो बिक रहा है।
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