Coronavirus: WHO चीफ ने चेताया- सिर्फ चार दिन में ही 2 लाख से 3 लाख पर पहुंच गया महामारी का आंकड़ा
जेनेवा। यूनाइटेड किंगडम (यूके) से लेकर भारत तक जो लोग कोरोना वायरस की भयावहता को नजरअंदाज कर लॉकडाउन की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं, उनके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की तरफ से आया बयान एक चेतावनी की तरह है। डब्लूएचओ के प्रमुख टेडरॉस एडहानोम घेब्रेसियस ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी तेजी से बढ़ रही है। इस महामारी के केसेज को दो लाख से तीन लाख तक होने में बस चार दिन का समय लगा था।
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तेजी से बढ़ रही है महामारी
डब्लूएचओ के चीफ टेडरॉस ने कहा, 'कोरोना वायरस के एक लाख केस होने में 67 दिन लगे थे। फिर सिर्फ 11 दिन के अंदर केस एक लाख से दो लाख तक पहुंच गए थे। इसके बाद सिर्फ चार दिन में ही केस दो लाख से तीन लाख पर पहुंच गए थे।' उन्होंने कहा कि सिर्फ लोग ही इस महामारी की रेखा को बदल सकते हैं यानी सिर्फ जनता ही तय कर पाएगी कि यह महामारी किस दिशा में जाएगी। सगंठन ने बताया है कि अब तक 300,000 से ज्यादा केसेज रिपोर्ट हुए हैं। यूरोप-अफ्रीका से लेकर धरती पर मौजूद हर देश से उसके पास केस आ रहे हैं।
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अपने घरों में ही रहिए
डब्लूएचओ चीफ ने कहा है कि आंकड़ें मायने नहीं रखते है मगर यह ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आप अपने परिवार के लिए क्या कर रहे है। टेडरॉस ने कहा, 'हमारे लिए यह अहम है कि हम क्या कर रहे हैं? आप कोई भी खेल बस रक्षात्मक होकर नहीं जीत सकते हैं, आपको बेहतरी से हमला करना भी आना चाहिए। मै सभी लोगों से अपील करूंगा कि वे सभी घरों में रहें और फिजिकल डिस्टेंसिंग के उपायों को अपनाएं।' टेडरॉस ने कहा कि इन्हीं उपायों से हम कोरोना वायरस को फैलने से रोक सकते हैं।
हर संदिग्ध की टेस्टिंग जरूरी
टेडरॉस ने हर संदिग्ध की टेस्टिंग की अपील भी की है। हर कंफर्म केस को आइसोलेट करना और उनकी सही देखभाल करना और उनके संपर्क में आए लोगों को क्वारंटाइन करने के लिए भी उन्होंने कहा है। डब्लूएचओ चीफ ने कहा कि संगठन इस बात को समझता है कि कुछ देश के पास इतनी क्षमता नहीं है कि वे इन आक्रामक तरीकों को अपना सकें। वहीं कुछ देशों ने दिखाया है कि संसाधनों को कैसे कम प्रभावित क्षेत्र से मोबालाइज किया जा सकता है।
सोशल नहीं फिजिकल डिस्टेंसिंग
टेडरॉस ने पिछले दिनों 'सोशल डिस्टेसिंग' की जगह 'फिजिकल डिस्टेसिंग' शब्द का प्रयोग शुरू किया है। टेडरॉस ने कहा था कि वह इस शब्द का प्रयोग इसलिए कर रहे हैं ताकि दो लोगों के बीच में इतनी दूरी हो कि वायरस फैलने से रूक सके। उन्होंने कहा कि लोगों को आइसोलेशन में जाने की जरूरत है मगर उन्हें सामाजिक तौर पर आइसोलेशन की जरूरत बिल्कुल नहीं थी। उन्होंने कहा कि ऐसी संकट की स्थिति में तनावपूर्ण, कनफ्यूज और डरा हुआ महसूस करना सामान्य हैं। ऐसी स्थिति में आपको ऐसे लोगों से बात करनी चाहिए, जो इस बारे में जानते हैं।